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Tuesday, 31 May 2022

विष्णुअर्पण

 

भक्त के भाव... 

एक पुरानी कहानी  है कि एक पण्डित जी ने अपनी पत्नी की आदत बना दी थी कि घर में रोटी खाने से पहले कहना है कि "विष्णु अर्पण" अगर पानी पीना हो तो पहले कहना है कि"विष्णु अर्पण" उस औरत की इतनी आदत पक्की हो गई
की जो भी काम करती पहले मन में यह कहती की 
"विष्णु अर्पण" "विष्णुअर्पण" फिर वह काम करती एक दिन उसने घर का कूड़ा इक्कठा किया और फेंकते हुए कहा की  "विष्णु अर्पण""विष्णु अर्पण" वहीँ पास से  नारद मुनि जा रहे थे ,नारद मुनि ने जब यह सुना तो उस औरत को थप्पड़ मारा की विष्णु जी को कूड़ा अर्पण कर रही है फैक कूड़ा रही है और कह रही है कि "विष्णु अर्पण" वह औरत विष्णु जी के प्रेम में रंगी हुई थी  कहने लगी नारद मुनि तुमने जो थप्पड़ मारा है वो थप्पड़ भी  "विष्णु अर्पण" अब नारद जी ने दुसरे गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा कि बेकूफ़ औरत तू थप्पड़ को भी विष्णु अर्पण कह रही है । लेकिन उस औरत फिर यही कहा आपका मार यह थप्पड़ भी "विष्णु अर्पण"
" जब नारद मुनि  विष्णु पूरी में गए तो क्या देखते है कि विष्णु जी के दोनों गालों पर उँगलियों के निशान बने हुए थे " , नारद  पूछने लगे कि"भगवन यह क्या हो गया" ? आप जी के चेहरे पर यह निशान कैसे पड़े", 
विष्णु जी कहने लगे कि "नारद मुनि थप्पड़ मारे भी तू और पूछे भी तू" , नारद जी कहने लगे की "मैं आप को थप्पड़ कैसे मार सकता हूँ"?, विष्णु जी कहने लगे,
"नारद मुनि जिस औरत ने  कूड़ा फेंकते हुए यह कहा था की विष्णु अर्पण और तुने उस को थप्पड़ मारा था तो वह थप्पड़ सीधे मेरे को ही लगा था , क्योकि वह मुझे अर्पण था"...

कथा सार :-जब आप कर्म करते समय कर्ता का भाव निकाल लेते है। और अपने हर काम में मै मेरी मेरा की भावना हटा कर अपने इष्ट या सतगुरु को आगे रखते है तो करमो का बोझ भी नहीं बढ़ता और वो काम आप से भी अच्छे तरीके से होता है  !!


          राधे राधे 

Monday, 30 May 2022

Choice

Hello, my dear reader. I hope you are reading my articles regularly and trying to apply the affirmations in your routine. And also sharing them with your friends and family. Here in this article, I am sharing a small paragraph from a newspaper column. Also, the affirmations based on the same are written at the end. Please read it till the end.

 

If you fail to get your way, don’t let it get you down. Take what is, what has happened, what you have, and make the choice to move forward. It’s great to set positive intentions and to make them happen. Yet if a particular intention does not happen, it’s not the end of the world. Disappointment reminds you of what you care about and helps you learn from what went wrong. Feel the disappointment, absorb its benefits, and then let it go. There is nothing to be gained by extending your disappointment. There is nothing to be gained by feeling sorry for yourself or seeking the sympathy of others. Instead, transform disappointment into determination. Use the energy of that determination to be more effective at bringing your next intention to life. Disappointment is a powerful feeling. Whenever it comes along, choose to use its power positively. Those who keep talking about how much they have accomplished, haven’t accomplished much at all. Those who blame others for their lack of progress won’t ever get very much done. Those who spend all their time making promises, never get around to following through on those promises. Those who are skilled at finding fault won’t ever find a way to create value.

 

Affirmations based on the article:

1) If I am confused about what to do I can find my way in the easy-going.

 

2) I set positive intentions to make them happen.

 

3) I know very well that disappointment is part of the journey towards the destination. And it reminds me of what I care about and I learn a new lesson from what went wrong.

 

4) Whenever I get disappointed I feel it and justify its benefits and learn from it and lastly I just let it go.

 

5) I can transform my disappointment into determination. Then I use that determination to help me out to get the success in my life.

 

6) I can positively use the power of disappointment because I know very well that disappointment is a powerful feeling. The same power which can destroy can construct.

 

Thanks for reading till the end. Pick at least anyone of the above affirmations and repeat it daily in your mind a minimum of five times for a week and you will find a magical change in your life. Please comment on your experiences below so that others will also get motivated. Your comments are helping hands for all the readers.

 

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Sunday, 29 May 2022

Importance of master plan

 

Hello, friends in this article you are going to read about Ramayana.

Importance of master plan- 

A master plan is the spinal cord of every achievement. 

At the time of Sita's abduction, Ravana came with Maricha with a full-proof plan and a backup plan. Though Maricha was dying he shouted in the voice of Ram to mislead Lakshman. The plan of Ravana was executed finely as no one deviated from instructions. 

On the other side on demand of Sita, Ram was set to hunt that golden deer by giving an instruction to Laksman, not to leave Sita at any cost. This instruction of Ram was itself a plan for the protection of Sita, but they didn't follow it. 

After listening to an urge for help in the voice of Ram, Lakshman had to go so he instructed Sita not to come out of 'Lakshman Rekha'. But again Sita didn't follow the instruction and Ravana got success in abducting her. 

This incident teaches us how the team gets deviated from the goal by not following the master plan. For achievement, it is necessary to follow the master plan in any way without fail. The master plan importance is the thing that each one should learn.

Thanks for reading till the end. Please share this blog.

Wednesday, 25 May 2022

गजानंदजी की स्तुति

 

।। स्तुति शारदा की ।। 

सिवरूँ  माता शारदा कंठा विराजो आयजी ।
दद अक्षर टालो  भरो अन धन्न का भण्डारजी ।
गुरु नंद का ध्यान विनती करु बारंबारजी। 
कहे माधोसिंह पढीयार आ बेड़ा लगादो पारजी । 

।। गजानंदजी की स्तुति ।। 

महाराज गजानन आयोजी म्हाकी सभा में रंग बरसावोजी ।
म्हाकौ समा में रंग बरसावोजी लारे रिद्ध सिध्द संग मैं ल्यावो।।  टेर

गढ रणत भंवर का राजा थाके बाजे नौबत बाजा । 
थे मूसा पर चढ़ आवोजी भक्तां घर चंवर ढुलवो। महाराज

माता गिरजा के हो लाला थाके चढे मिठाई माला । 
ये रुच रुच भोग लगावोजी म्हाने परसाद खुवावो । महाराज

बाबा  थे तो दुंद दूँदाला थाने कहवे  सूंड सूंडाला। 
म्हारे रमता खेलता आबोजी सव देवां में बड़ा कहावो । महाराज

थे अन धन देवण वाला संकट का काटण वाला । 
दुख दलीदर दूर हटावोजी म्हाने धनवान वणावो । महाराज 

कहे माधोसिंह सुण देवा म्हें करां आप की सेवा ।
म्हारा मनकी आस पुरावोजी गुरूनंदजी का मान बढ़ावो । महाराज  

Tuesday, 24 May 2022

कामदा एकादशी

 

युधिष्ठिर ने पूछा: वासुदेव ! आपको नमस्कार है ! कृपया आप यह बताइये कि चैत्र शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! एकाग्रचित्त होकर यह पुरातन कथा सुनोजिसे वशिष्ठजी ने राजा दिलीप के पूछने पर कहा था ।
वशिष्ठजी बोले : राजन् ! चैत्र शुक्लपक्ष में कामदा’ नाम की एकादशी होती है । वह परम पुण्यमयी है । पापरुपी ईँधन के लिए तो वह दावानल ही है ।
प्राचीन काल की बात है: नागपुर नाम का एक सुन्दर नगर थाजहाँ सोने के महल बने हुए थे । उस नगर में पुण्डरीक आदि महा भयंकर नाग निवास करते थे । पुण्डरीक नाम का नाग उन दिनों वहाँ राज्य करता था । गन्धर्वकिन्नर और अप्सराएँ भी उस नगरी का सेवन करती थीं । वहाँ एक श्रेष्ठ अप्सरा थीजिसका नाम ललिता था । उसके साथ ललित नामवाला गन्धर्व भी था । वे दोनों पति पत्नी के रुप में रहते थे । दोनों ही परस्पर काम से पीड़ित रहा करते थे । ललिता के हृदय में सदा पति की ही मूर्ति बसी रहती थी और ललित के हृदय में सुन्दरी ललिता का नित्य निवास था ।
एक दिन की बात है । नागराज पुण्डरीक राजसभा में बैठकर मनोंरंजन कर रहा था । उस समय ललित का गान हो रहा था किन्तु उसके साथ उसकी प्यारी ललिता नहीं थी । गाते गाते उसे ललिता का स्मरण हो आया । अत: उसके पैरों की गति रुक गयी और जीभ लड़खड़ाने लगी ।
नागों में श्रेष्ठ कर्कोटक को ललित के मन का सन्ताप ज्ञात हो गयाअत: उसने राजा पुण्डरीक को उसके पैरों की गति रुकने और गान में त्रुटि होने की बात बता दी । कर्कोटक की बात सुनकर नागराज पुण्डरीक की आँखे क्रोध से लाल हो गयीं । उसने गाते हुए कामातुर ललित को शाप दिया : दुर्बुद्धे ! तू मेरे सामने गान करते समय भी पत्नी के वशीभूत हो गयाइसलिए राक्षस हो जा ।
महाराज पुण्डरीक के इतना कहते ही वह गन्धर्व राक्षस हो गया । भयंकर मुखविकराल आँखें और देखनेमात्र से भय उपजानेवाला रुप - ऐसा राक्षस होकर वह कर्म का फल भोगने लगा ।
ललिता अपने पति की विकराल आकृति देख मन ही मन बहुत चिन्तित हुई । भारी दु:ख से वह कष्ट पाने लगी । सोचने लगी: क्या करुँकहाँ जाऊँमेरे पति पाप से कष्ट पा रहे हैं…’
वह रोती हुई घने जंगलों में पति के पीछे पीछे घूमने लगी । वन में उसे एक सुन्दर आश्रम दिखायी दियाजहाँ एक मुनि शान्त बैठे हुए थे । किसी भी प्राणी के साथ उनका वैर विरोध नहीं था । ललिता शीघ्रता के साथ वहाँ गयी और मुनि को प्रणाम करके उनके सामने खड़ी हुई । मुनि बड़े दयालु थे । उस दु:खिनी को देखकर वे इस प्रकार बोले : शुभे ! तुम कौन हो कहाँ से यहाँ आयी होमेरे सामने सच सच बताओ ।
ललिता ने कहा : महामुने ! वीरधन्वा नामवाले एक गन्धर्व हैं । मैं उन्हीं महात्मा की पुत्री हूँ । मेरा नाम ललिता है । मेरे स्वामी अपने पाप दोष के कारण राक्षस हो गये हैं । उनकी यह अवस्था देखकर मुझे चैन नहीं है । ब्रह्मन् ! इस समय मेरा जो कर्त्तव्य होवह बताइये । विप्रवर! जिस पुण्य के द्वारा मेरे पति राक्षसभाव से छुटकारा पा जायेंउसका उपदेश कीजिये ।
ॠषि बोले : भद्रे ! इस समय चैत्र मास के शुक्लपक्ष की कामदा’ नामक एकादशी तिथि हैजो सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है । तुम उसीका विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत का जो पुण्य होउसे अपने स्वामी को दे डालो । पुण्य देने पर क्षणभर में ही उसके शाप का दोष दूर हो जायेगा ।
राजन् ! मुनि का यह वचन सुनकर ललिता को बड़ा हर्ष हुआ । उसने एकादशी को उपवास करके द्वादशी के दिन उन ब्रह्मर्षि के समीप ही भगवान वासुदेव के (श्रीविग्रह के) समक्ष अपने पति के उद्धार के लिए यह वचन कहा: मैंने जो यह कामदा एकादशी’ का उपवास व्रत किया हैउसके पुण्य के प्रभाव से मेरे पति का राक्षसभाव दूर हो जाय ।
वशिष्ठजी कहते हैं : ललिता के इतना कहते ही उसी क्षण ललित का पाप दूर हो गया । उसने दिव्य देह धारण कर लिया । राक्षसभाव चला गया और पुन: गन्धर्वत्व की प्राप्ति हुई ।
नृपश्रेष्ठ ! वे दोनों पति पत्नी कामदा’ के प्रभाव से पहले की अपेक्षा भी अधिक सुन्दर रुप धारण करके विमान पर आरुढ़ होकर अत्यन्त शोभा पाने लगे । यह जानकर इस एकादशी के व्रत का यत्नपूर्वक पालन करना चाहिए ।
मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इस व्रत का वर्णन किया है । कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है । राजन् ! इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।
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Monday, 23 May 2022

Wish

 

Hello, in this article I am sharing a small conversation between a son and father. This small motivational incident I got from a newspaper column. In the end, I shared some affirmative sentences which are based on the same article. Please read till the end.

 

One day a son comes to his father for advice, “Dad, I can’t do this anymore. Those lessons only exhaust me, and the result doesn’t change. It must not be destined for me to play football and my dream will never come true. The father looked at his son and said: You know son, every person in life has a dream, a goal for his life. They are the ones that make us do what we are doing because it’s what we believe in, what we feel.

The easiest way is to quit everything and not go until the end because the path is difficult and we are not used to inconveniences. We want everything to be easy. But the wishes are fleeting! This is how our dream dies. Gradually life becomes a routine without depth and meaning. Then one day we try to forget and start everything from the beginning. But new obstacles come in our way, and we stop again. We become full of despair and anger for our own helplessness. But you only need to remember one thing: never give up, fight, battle. It doesn’t matter that you have lost one or more battles. Life goes on! Your biggest enemies are biding in you – laziness, fear, doubt, indecision. Be a warrior of your dream, a knight of your goal, and a soldier of your wishes!

 

Affirmations for this article:

1) I believe in my goals and dreams and I work accordingly.

 

2) I believe in my feelings and they are empowering me to get my goals fulfilled.

 

3) I am ready for every difficulty in the way of my dream. I am ready to handle all the inconveniences on my way.

 

4) I will face all the obstacles in my way with courage and will reach my destination.

 

5) I am a warrior of my dream and will win the battle of my dream to come true with a knight of my gaols holding in my hands.

 

Thanks for reading till the end. Pick at least anyone of the above affirmations and repeat it daily in your mind a minimum of five times for a week and you will find a magical change in your life. Please comment on your experiences below so that others will also get motivated. Your comments are helping hands for all the readers.

 

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Sunday, 22 May 2022

Importance of Communication

 

Hello, friends in this article you are going to read about Ramayana.

Importance of communication

The root of every problem in any family, team, organisation, or group of people serving the same purpose is miscommunication. 

The miscommunication was the reason behind the Sugriva and Bali conflict. Even when Sita has abducted the reason for Lakshman to go to see his brother Ram was nothing but the miscommunication imposed by Ravana. 

When this miscommunication occurs you get deviated from your master plan and thus the goal is missed. If you are the leader, then don't let miscommunication come your way. Always ensure that the job of everyone is communicated in a nice way to them.

Thanks for reading share this article with your friends and family. 

Wednesday, 18 May 2022

गोखरू सोना का

 

म्हाणे बनवादो  भरतार गोखरू सोना  का । टेर 
अब  गया जमाना नार गोखरू बणया का । टेर

रखडी सारी फूटगीजी कोई झेला गया सब टूट। 
हार गला को घीस गयोजी  या नहीं बोलू मैं झूठ ।
घडवादयो पुंच भंदार।  गोखरू सोना का ।

टूटयो जेवर कामणीजो सब रखो तिजोरी मांय ।
दूजो  अब  नहीं बण  सकेजी  थे  सुणल्यो  चित्त लगाय। 
देखों अब सपना नार । गोया सोना का ।।

दो महीना के छेवड़े जी आयो लाडकंवर रो ब्याव ।
जेवर बिना कांई पैरस्यूं जी मने जेवर को घणो चाव ।
करवायदो  कियांई तैयार । गोखरू सोना का ।।

बंदिश पूरी होंगईजी सोनो नहीं घड़ सके सुनार ।
नयो सोनो  भी  नहीं मिलेजी बंद कर दीयो सरकार ।
उठ गया है कारोबार  । गोखरु मोना का । ।

सुनार काम बंद कर दियो तो थे सीधा ही ल्यावो  जार।
नया बाजार चौफ्ड के मांहीजी जेवर मिले बण्यो तैयार।
झट जावो ल्यावो तुलार । गोखरू सोना का । ।

सीधो भी अब नहीं मिलेजी जेवर सोना को सुण नार।
कहे माधोसिंह सोना पाछेजी होगया केई लोग बेकार। 
कहे गुरु नंदजी बेडा पार । गोखरू सोना का । 

Tuesday, 17 May 2022

जयकृष्णदास बाबा

 

सिद्ध श्री जयकृष्णदास बाबा का जन्म बंगाल राज्य के किसी छोटे से ग्राम में हुआ। बचपन से ही हृदय में गौर चरणों के प्रति सहज प्रीति थी। महाप्रभु जी की असीम कृपा के कारण जगत से वैराग्य हुआ और वृंदावन की ओर पैदल चल पड़े। रात्रि में एक दिन श्री वृंदा देवी ने स्वपन में कहा - तुम काम्यवन के विमलकुण्ड पर जाकर भजन करो। बाबा आज्ञा मानकर विमलकुण्ड पर भजन करने लगे।

बाबा को वहां के गोप बालक परेशान करने लगे। बाबा ने विचार किया कहीं अन्य जगह जाकर एकांत में भजन करेंगे। गांव वासियों ने बाबा के लिए एक पक्की कुटिया बनवा दी जिसमें बाबा निरंतर भजन में डूबे रहते। रात भर श्यामा श्याम के ही याद में अश्रु विसर्जन करते रहते। कभी -कभी विरह में इतने व्यथित हो जाते कि प्रेम वेश में ऐसी हुंकार भरते दिशाएं विकम्पित हो जाती है। एक बार उनकी विरह हूँकार से कुटिया की छत ही फट गई जो आज भी दर्शनीय है।
एक दिन मध्याह् में बाबा मानसिक लीला चितवन कर रहे थे कि विमलकुंड के चारों और असंख्य गाय और गोप बालक आ गए।  गोप बालक कुटिया के बाहर से चिल्लाने लगे - बाबा ओ बाबा!  प्यास लगी है। नेक जल पिवाय दे। बाबा तो पहले से ही गांव की गवारिया बालकों से परेशान थे।  बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया। परंतु बालक भी कौन से कम थे अनेक प्रकार के उत्पात करने लगे ।
कुछ बालक दरवाजे के पास आकर बोले - बाबा ओ बंगाली बाबा! हम सब जाने कि तू कहां भजन करे है। अरे! कुटिया ते निकल के जल पिवाय दें। हम सबकूँ बड़ी प्यास लगी है।  बाबा एक लकड़ी हाथ में लेकर क्रोधित होकर बाहर आ गए।
सामने क्या देखें असंख्य गाय और गोप बालक।  सब एक से एक सुंदर। एक से एक अद्भुत।  उनको देखते ही बाबा का क्रोध शांत हो गया। एक बालक जो सबसे सुंदर था उससे बाबा ने पूछा - लाला तुम कौन से गांव से आए हो?
बालक बोला -नंदगांव ते।
बाबा बोले- आपका नाम क्या है?
कन्हैया ! बालक ने उत्तर दिया।
दूसरे बालक से पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
बालक ने कहा - बलदाऊ! कहै मोते।
सभी बालक एक साथ बोल पड़े। देख बाबा पहले जल पिवाय दै।  बात पीछे करियो। बाबा ने स्नेहवश करुवे से सब को जल पिला दिया।
बालक बोले- देख बाबा ! हम इतेक दूर ते आमें हैप्यासे ही चले जाएं। तू कछू जल और बाल भोग राख्यो कर।
बाबा बोले -नहीं नहीं। रोज -रोज परेशान मत करना। बाबा कुटिया में चले गये। अब बाबा सोचने लगे ऐसा अद्भुत बालक और ऐसी सुंदर गाय तो मैंने कभी नहीं देखी। और ना ही मधुर हृदय को आनंद प्रदान करने वाली वाणी सुनी। ये सभी यहां के थे या दिव्य थे। बाबा ने विचार किया अभी तो बाहर ही हैं एक बार और देख लूँ। जैसे ही बाबा बाहर आए तो देखा न तो वहां गाय थी न गोप बालक। बाबा दुखित: हो उन बालकों के वचन को याद करने लगे। तभी बाबा को तंद्रा आ गई। श्री कृष्ण बोले - बाबा दुखी मत हो! कल तेरे पास में फिर आऊंगो। बाबा की तंद्रा टूटी और धैर्य धारण किया।
दूसरे दिन एक वृद्धा मैया में एक गोपाल जी का वि्ग्रह लेकर बाबा के पास आई। बोली- बाबा!मोते अब जाकी सेवा नॉय होय। लै तू जाकी सेवा कियौ कर।
बाबा बोले -मैं इनकी सेवा कैसे करूंगा सेवा की सामग्री कहां से लाऊंगा? 
वृद्धा मैया बोली -तू चिंता मत कर मैं रोज सेवा की सामग्री दै जायो करूंगी।  ऐसा कह कर वृद्धा मैया चली गई। बाबा प्रेम से गोपाल जी को निहारने लगे। अति सुंदर छवि को देखकर बाबा मुग्ध हो गये। उसी रात्रि वृद्धा मैया ने बाबा को स्वप्न में कहा -बाबा! मैं वृंदा देवी हूं।श्यामसुंदर की आज्ञा से वृद्धा के रूप में गोपाल जी देने मैं ही आई थी। अब तू प्रेम से गोपाल की सेवा कियौ कर। बाबा प्रेम से गोपाल जी की सेवा करने लगे।
इस प्रकार एक दिन बाबा मानसी लीला में डूबे हुए थे। अचानक बाबा पुकारने लगे - मेरे लहंगा कहां हैमेरी फरिया कहां हैं अपने दिव्य मंजरी स्वरुप को प्राप्त कर बाबा चैत्र शुक्ल द्वादशी अर्थात आज ही के दिन भौतिक देह छोड़कर निकुंज लीला में प्रवेश कर गए। 
एक संत बलरामदास जी कहते है-
"जहां मर कै जाना है 'बलि'
तहाँ जिन्दा क्यों नही जाइये।।"
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Monday, 16 May 2022

Good Thoughts Collection

 

Jay Shree Ram Friend! How are you?

Here is collection of some motivational lines. Please read each line carefully with peaceful mind.


21*****

The root of education is bitter but the fruit is sweet.

22*****

Every moment of life is joyful.

23*****

It is important to accept failures.

24*****

You will be treated the same you treated them. You will get back what you get in.

25*****

Allow yourself to see your own beautiful vision, and follow it joyfully forward.

26*****

Unless you are honest, change is impossible.

27*****

Transformation is a natural process, but it can also be traumatic.

28*****

Celebrate the freedom to follow your dreams.

29*****

Progress begins with sincere, grateful focus on whom and what you truly love.

30*****

The way to keep negativity at bay is to keep your dreams and highest decisions in front of you.

Sunday, 15 May 2022

Leaders have to make leaders


Hello, friends in this article you are going to read about Ramayana.

Leaders have to make leaders- If you want to grow then you must be able to identify a person who can handle the situation even in your absence with presence of mind, by taking initiative, keeping calm, and acting like a diplomate. Only Hanuman was having the strength to fly up to Lanka and find Sita. Ram, Sugriva, and Jamvant were the prominent leaders but they identified the leadership qualities of Hanuman. Hanuman met Sita at Ashok Vatika and gave the message of Ram to her- and this task was over. But Hanuman intentionally destroyed Ashok Vatika ad purposely surrendered to soldiers so that he can analyse Ravana and his cabinet and the situation around Sita. In this course Ravan Hanuman was not offered a chair, so he made his own by his tail taller than Ravana to show his dominance. Ravana ordered to set fire to Hanuman's tail, but he used it to set fire to Lanka. All these activities of Hanuman were not the monkey's act but the use of the situation to show the dominance of Ram over Ravana. 
For your family, business, or team organisation you have to create leaders. And this is what we need for goal achievement.

 

Wednesday, 11 May 2022

म्हारी हथेल्या

 

म्हारी हथेल्या रे बिच छाला पड़ग्या म्हारा मारूजी ।
मै पालो कैया काटूली। ओ म्हारा बालमजो मैं पालो कैयां काटूली। टेर। 

रोटी नहीं भावे म्हाने लापसी नहीं भावे ।
शीरा खातिर पेट म्हारो दुखे म्हारा मारुजी । मैं पालो ।

गाडी में नहीं बैठु मैं तो मोटर में नहीं बैठु। 
चालण के खातिर पग दुखे म्हारा मारुजी । मैं पालो ।

रखडी तो घड़ादी म्हारा मारुजी थे म्हाने। 
झूटणियारी गहरी मन में आवे म्हारा मारुजी । मैं पालो ।

जैपरियो दिखादियो ढोला दिल्ली भी दिखादी ।
म्हाने आगरा रो सैल करादयो म्हारा मारुजी।  मैं पालो ।

लादू  नहीं भावे म्हाने पेड़ा नहीं भावे ।
घेवरीयारी गहरी मन में आवें म्हारा मारुजी । मैं पालो

डोल्या रो काट अडावलियारो काटयो ।
इण खेतांरो पालो किण कर काटू म्हारा मारूजी । मैं पालो। 

Tuesday, 10 May 2022

पार्वतीजी की तपस्या

 

पार्वतीजी ने शिव को पति रूप मेँ पाने के लिए तपस्या आरंभ की । लेकिन शिव को सांसारिक बंधनों में कदापि रुचि नहीं थी, इसलिए पार्वतीजी ने अत्यंत कठोर तपस्या की ताकि शिव प्रसन्न होकर उनसे विवाह कर लें। 

वर्षो तपस्या करने के बाद एक दिन पार्वतीजी के पास एक ब्रह्मचारी आया। वह ब्रह्मचारी तपस्विनी पार्वती का अर्घ्य स्वीकार करने से पूर्व बोल उठा, "तुम्हारे जैसी सुकुमारी क्या तपस्या के योग्य है? मैंने दीर्घकाल तक तप किया है। चाहो तो मेरा आधा या पूरा तप ले लो, किंतु तुम इतनी कठिन तपस्या मत करो । तुम चहो तो त्रिभुवन के स्वामी भगवान विष्णु भी... ।"


किंतु पार्वती ने ऐसा उपेक्षा का भाव दिखाया कि ब्रह्मचारी दो क्षण को रुक गया । फिर बोला, "योग्य वर में तीन गुण देखे जाते है सौंदर्य, कुलीनता और संपत्ति। इन तीनों मे से शिव के पास एक भी नहीं है। नीलकंठ, त्रिलोचन, जटाधारी, बिभूति पोते, सांप लपेटे शिव में तुम्हें कहीं सौदर्य दिखता है? उनकी संपत्ति का तो कहना ही क्या, नग्न रहते है। बहुत हुआ तो चर्म (चमडा) लपेट लिया। कोई नहीं जानता कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई ।" 


ब्रह्मचारी पता नहीं क्या क्या कहता रहा, किसु अपने आराध्य क्री निंदा पार्वती को अच्छी नहीं लगी । अत: वे अन्यत्र जाने को उठ खडी हुईं । तब शिब उनकी निष्ठा देख ब्रह्मचारी रूप त्याग प्रकट हुए और उनसे विवाह किया । 


जहां दृढ लगन, कष्ट सहने का साहस और अटूट आत्मविश्वास हो, वहां लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है। 


कहानी तो वैसे शिव को पाने के लिये पार्वती ने किए हुए तप की है। परंतु यह ध्यान रखिये तपस्या भी एक कर्म है। कर्म पूरी निष्ठा से करो तो सफलता अवश्य मिलेगी। और हा इस कहानी का दूसरा पहलू है जैसे शिव के लिए पार्वती की तपस्या हमे बताई जाती है वैसे ये भी ध्यान रखे प्रकृति के सती रूप के आत्मदाह के बाद शिव जी भी गहरे ध्यान में थे। अर्थात शिव और पर्वती दोनों तप कर रहें थे। कहनेका का मतलब ये की सबको अपनी जिंदगी में मनचाही होने के लिए कर्म की भट्टी में तपना होता है।


अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रो और सखियों।  कृपया शेयर करें।

Monday, 9 May 2022

Good Thoughts Collection

 Jay Shree Ram Friend! How are you?

Here is collection of some motivational lines. Please read each line carefully with peaceful mind.

11*****

When you feel sad, you just notice your kid’s face which gives fountain of energy to you.

12*****

We all are born with love in our hearts and a purpose to fulfill.

13*****

Limitation has limitations.

14*****

The ability to forgive is the manifestation of personal control we have over our lives.

15*****

A life best lived is your best revenge.

16*****

Enjoy when you can, and endure when you must.

17*****

Instead of going after bigger things, we should try to look for small joys in our lives.

18*****

Learn the lessons and apply on the Life.

19*****

Negativity is a waste of your precious time.

20*****

Find joy in every step of the journey.

Sunday, 8 May 2022

मेंढक


एक बार भगवान राम और लक्ष्मण एक सरोवर में स्नान के लिए उतरे। उतरते समय उन्होंने अपने-अपने धनुष बाहर तट पर गाड़ दिए जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा की उनकी धनुष की नोक पर रक्त लगा हुआ था! उन्होंने भगवान राम से कहा - भ्राता ! लगता है कि अनजाने में कोई हिंसा हो गई । दोनों ने मिट्टी हटाकर देखा तो पता चला कि वहां एक मेढ़क मरणासन्न पड़ा है

 

भगवान राम ने करुणावश मेंढक से कहा- तुमने आवाज क्यों नहीं दी ? कुछ हलचल, छटपटाहट तो करनी थी। हम लोग तुम्हें बचा लेते जब सांप पकड़ता है तब तुम खूब आवाज लगाते हो। धनुष लगा तो क्यों नहीं बोले ?

 

मेंढक बोला - प्रभु! जब सांप पकड़ता है तब मैं 'राम- राम' चिल्लाता हूं एक आशा और विश्वास रहता है, प्रभु अवश्य पुकार सुनेंगे। पर आज देखा कि साक्षात भगवान श्री राम स्वयं धनुष लगा रहे है तो किसे पुकारता? आपके सिवा किसी का नाम याद नहीं आया बस इसे अपना सौभाग्य मानकर चुपचाप सहता रहा।

 

कहानी का सार- सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं सुख और दुःख प्रभु की ही कृपा और कोप का परिणाम ही तो हैं ।  कमेंट में लिखें जय श्री राम और शेयर करें

 

Thursday, 5 May 2022

Story of Tawang Monestry

 

The name of Tawang is believed to have derived its name from the grandiose Tawang Monastery perched on the edge of the ridge running along the western part of Tawang township. The popular interpretation is that the name “Tawang” was given by his holiness the Mera Lama Lodre Gyatso.

“TA” means Horse and “Wang” means Chosen. As the legend goes the site of the present Monastery is believed to have been chosen by a Horse owned by Mera Lama Lodre Gyatso. Mera Lama Lodre Gyatso was in search of an appropriate place to establish a Monastery and was unable to locate an appropriate site. Finally, he decided to sit on prayer for the guidance of divine power. As he opened his eyes after prayer, he found his horse missing. So wearily he went out for searching for his horse and found it on top of a hill calm and quiet. Believed it a good omen, Mera Lama Lodre Gyatso decided to initiate work for building up of Monastery with the help of people living across the land of Monpa in the later part of the 17th century according to the wishes of the 5th Dalai Lama.

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Wednesday, 4 May 2022

काकडी मतीरा

 

काकडी मतीरा खास्यां खुब डटके ।
देश में चालोनी ढोला मन भटके । टेर

काकडी मतीरां खास्यां नाडी आला खेत में ।
आपां दीनू कुस्ती आस्या  ठंडी बालू रेत में ।
कुण हारेजी देखां कुण जीते।  देश में चालोनी

जैपुर की साडी ढोला चुडी अजमेर की।
आगरा को घागरो चोली बीकानेर की ।
जोधपुर का आटी डोरा फ़ूँदो लटके । देश में चालोनी

बाजरा की रोटी गोरी ताती ताती खाबा ने ।
गुवारफली को साग ढोला ऊपर लूंदो लेवण ने ।
ऊँटड़ा पर कूंची बांधो चालों झटके ।। देश में चालोनी

Monday, 2 May 2022

Good Thoughts Collection

 Jay Shree Ram Friend! How are you?

Here is collection of some motivational lines. Please read each line carefully with peaceful mind.


1*****

Ignorance is certainly a bliss.

2*****

Beauty lies in the beholder’s eyes.

3*****

Pleasure is short lived while happiness is enduring.

4*****

I hope for the best, but be prepared for the worst.

5*****

Give sorrow and you will get sorrow in return.

6*****

Happiness is not mind but heart.

7*****

Obstacles do not break the path they are path.

8*****

Allow yourself to be satisfied in this moment.

9*****

You can achieve anything and everything in life with happy heart.

10*****

Happiness depends on you and you depend on happiness.

Sunday, 1 May 2022

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

 

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥ 

एकदंत, शशिभाल, गजानन,

विघ्नविनासक, शुभगुण कानन,

शिवसुत, वन्द्यमान-चतुरानन,

दु:खविनाशक, सुखदायक की। 

ऋद्धि-सिद्धि स्वामी समर्थ अति,

विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,

अघ-वन-दहन, अमल अविगत गति,

विद्या, विनय-विभव दायक की। 

पिङ्गलनयन, विशाल शुंडधर,

धूम्रवर्ण, शुचि वज्रांकुश-कर,

लम्बोदर, बाधा-विपत्ति-हर,

सुर-वन्दित सब बिधिलायक की॥ 

Strategic Alliances

  Strategic Alliances -  For any achievement gone need the right person on your team.  Sugriv was very keen on this. Very first Sugriva was ...