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Friday, 8 January 2021

संपर्क और संजोग

 

एक साधु का न्यूयार्क में बडे पत्रकार इंटरव्यू ले रहा थे।

पत्रकार- सर, आपने अपने लास्ट लेक्चर में संपर्क (Contact) और  संजोग (Connection) पर स्पीच दिया लेकिन यह बहुत कन्फ्यूज करने वाला था। क्या आप इसे समझा सकते हैं ?

साधु मुस्कराये और उन्होंने कुछ अलग पत्रकारों से ही पूछना शुरू कर दिया।

आप न्यूयॉर्क से हैं?

पत्रकार: Yeah

सन्यासी: आपके घर मे कौन कौन हैं?

पत्रकार को लगा कि साधु उनका सवाल टालने की कोशिश कर रहे है क्योंकि उनका सवाल बहुत व्यक्तिगत और उसके सवाल के जवाब से अलग था।

फिर भी पत्रकार बोला : मेरी माँ अब नही हैं, पिता हैं तथा 3 भाई और एक बहिन हैं ! सब शादीशुदा हैं

साधू ने चेहरे पे एक मुस्कान के साथ पूछा:  आप अपने पिता से बात करते हैं?

पत्रकार चेहरे से गुस्से में लगने लगा

साधू ने पूछा, आपने अपने फादर से last कब बात की?

पत्रकार ने अपना गुस्सा दबाते हुए जवाब दिया : शायद एक महीने पहले

साधू ने पूछा: क्या आप भाई-बहिन अक़्सर मिलते हैं? आप सब आखिर में कब मिले एक परिवार की तरह ?

इस सवाल पर पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया कि , इंटरव्यू मैं ले रहा हूँ या ये साधु ?  ऐसा लगा साधु, पत्रकार का इंटरव्यू ले रहा है?

एक आह के साथ पत्रकार बोला : क्रिसमस पर 2 साल पहले

साधू ने पूछा: कितने दिन आप सब साथ में रहे ?

पत्रकार अपनी आँखों से निकले आँसुओं को पोंछते हुये बोला :  3 दिन

साधु: कितना वक्त आप भाई बहनों ने अपने पिता के बिल्कुल करीब बैठ कर गुजारा ?

पत्रकार हैरान और शर्मिंदा दिखा और एक कागज़ पर कुछ लिखने लगा

साधु ने पूछा:  क्या आपने पिता के साथ नाश्ता , लंच या डिनर लिया ?  क्या आपने अपने पिता से पूछा के वो कैसे हैँ ?  माता की मृत्यु के बाद उनका वक्त कैसे गुज़र रहा है !!

साधु ने पत्रकार का हाथ पकड़ा और कहा:  शर्मिंदा, या दुखी मत होना। मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई हो, लेकिन ये ही आपके सवाल का जवाब है । संपर्क और संजोग (Contact and Connection) आप अपने पिता के सिर्फ संपर्क

 (Contact) में हैं ‌पर आपका उनसे कोई 'Connection'  (जुड़ाव ) नही है। You are not connected to him आप अपने father से संपर्क में हैं  जुड़े नही है Connection हमेशा आत्मा से आत्मा का होता है।  heart से heart होता है। एक साथ बैठना, भोजन साझा करना और  एक दूसरे की देखभाल करना, स्पर्श करना,  हाथ मिलाना, आँखों का संपर्क होना,  कुछ समय एक साथ बिताना आप अपने  पिता, भाई और बहनों  के संपर्क ('Contact') में हैं लेकिन आपका आपस मे कोई' जुड़ाव '(Connection) नहीं है

पत्रकार ने आंखें पोंछी और बोला: मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद

आज ये भारत की भी सच्चाई हो चली है। सबके हज़ारो संपर्क (contacts) हैं पर  कोई  connection नही। कोई विचार-विमर्श  नहीं। हर आदमी अपनी नकली दुनिया में खोया हुआ है। वो साधु और कोई नहीं  स्वामी विवेकानंद थे।

Thursday, 23 July 2020

पोटचा गोळा

सहज वाचनात आलेली एक कविता मी आज इथे शेयर करत आहे. कृपया वाचा शेवटपर्यंत. या कवितेचे कवी कोण हे तर माहित नाही पण कविता नितांत सुंदर आहे. 

उपवर झालेली लेक एका वडिलांसाठी काय असते हे खरंच फार छान या कवितेत सांगितले आहे कवी मोहोदयांनी. 

लेकी कडून दुःख मला
कधीच नाही मिळालं
चिमणी कधी मोठी झाली
काहीच नाही कळालं........

पोरगी जाणार म्हणलं की
पोटात उठतो गोळा
अंथरुणावर पडतो पण
लागत नाही डोळा.........

खरंच माझी लेक आता
मला सोडून जाईल
अंगण, वसरी, गोठा सारं
सूनसून होईल......

दारी सजतो मांडव
पण उरात भरते धडकी
आता मला सोडून जाणार
माझी चिमणी लाड़की.........

सूर सनई चे पडता कानी
डोळा येते पाणी 
आठवत राहातात छकुलीची
बोबडी बोबडी गाणी...........

भरलेल्या मांडवात बाबा
कहाणी सांगत असतात
कल्याण झालं म्हणत-म्हणत
सारखे डोळे पुसतात.........

पुन्हा पुन्हा लेकी कडे
बाबा पहातात चोरून
कितीही समजूत घातली तरी
डोळे येतात भरून...........

हुंदके म्हणजे काय असतात
पहिल्यांदाच कळतं
कौलारूच्या छपरावनी
बापाचं मन गळतं.......

सरी मागून सरी येऊन
डोळे वाहात राहतात
चिऊ काऊच्या गोष्टी ऐकत
चिमण्या उडून जातात...

लेकीचा सांभाळ करा म्हणून
बाप हात जोडीत राहतो 
डोळ्या मधे पाणी आणून
केविलवाणे पहात रहातो........

लेक लावतो वाटी पण
बाप जातो तुटून
हुंदका जरी दाबला तरी
काळीज जातं फुटून..........

पोटचा गोळा दिल्या नंतर
पापणी काही मिटत नाही
कितीही डोळे पुसले तरी
पाणी काही आटत नाही

कुठलीच लेक आपल्या आई वडिलांना दुःख देत नाही हे खरं आहे. ती देते तर प्रेम. मुलगा असो व मुलगी कधी लहानाचे मोठे झाले कळत नाही पण मुलगी मोठी होणे फार वेगळी गोष्ट आहे. कारण मुलगी मोठी झाल्यावर ती लग्न होऊन दुसऱ्या घरी जाणार असते. आपलं घर अंगण सोडून जाणार म्हंटले की सगळ्या भावना दाटून येतातच आहे की नाही. मांडव, सनई - सगळी लगीनघाई तिचे बालपण, तिचे प्रेमळ वागणं सगळंच आठवते. मुलगी होणं खरंच कल्याणकारी असते आपल्या काळजाची कोर दुसऱ्या हाती सोपवणे फार मोठं मन लागतं त्याच्या साठी. सासरी जाणाऱ्या मुलीचा बाप हाथ जोडतो पण आतून तुटून जातो. जर तुम्ही एका कन्येचे माता पिता असाल तर नक्की शेयर करा आणि नसाल तरीही शेयर करा कारण तुमच्या घरी कोणाची तरी लेक नांदायला नक्की येईल. 

धन्यवाद!


इमेज क्रेडीट: - मराठी वेडिंग्स

आपण सर्व वाचक मंडळीस माझी विनंती आहे की आपले विचार आपण मुक्त पणे कंमेंट करावेत जेणे करून या ब्लॉग ची सुधारणा होईल तसेच अन्य वाचकांचे ज्ञान वाढेल.

Friday, 29 May 2020

माँ सयानी होती है


चूल्हे-चौके में व्यस्त और पाठशाला से दूर रही माँ
नहीं बता सकती कि नौ-बाई-चार की कितनी ईंटें लगेंगी दस फीट ऊँची दीवार में
लेकिन अच्छी तरह जानती है कि कब, कितना प्यार ज़रूरी है एक हँसते-खेलते परिवार में।
त्रिभुज का क्षेत्रफल और घन का घनत्व निकालना उसके शब्दों में स्यापाहै
क्योंकि उसने मेरी छाती को ऊनी धागे के फन्दों और सिलाइयों की मोटाई से नापा है
वह नहीं समझ सकती कि को सीबनाने के लिए क्या जोड़ना या घटाना होता है
लेकिन अच्छी तरह समझती है कि भाजी वाले से आलू के दाम कम करवाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाना होता है।
मुद्दतों से खाना बनाती आई माँ ने कभी पदार्थों का तापमान नहीं मापा तरकारी के लिए सब्ज़ियाँ नहीं तौलीं और नाप-तौल कर ईंधन नहीं झोंका चूल्हे या सिगड़ी में
उसने तो केवल ख़ुश्बू सूंघकर बता दिया है कि कितनी क़सर बाकी है बाजरे की खिचड़ी में।
घर की कुल आमदनी के हिसाब से उसने हर महीने राशन की लिस्ट बनाई है ख़र्च और बचत के अनुपात निकाले हैं रसोईघर के डिब्बों घर की आमदनी और पन्सारी की रेट-लिस्ट में हमेशा सामन्जस्य बैठाया है
लेकिन अर्थशास्त्र का एक भी सिद्धान्त कभी उसकी समझ में नहीं आया है।
वह नहीं जानती सुर-ताल का संगम कर्कश, मृदु और पंचम सरगम के सात स्वर स्थाई और अन्तरे का अन्तर ….स्वर साधना के लिए वह संगीत का कोई शास्त्री भी नहीं बुलाती थी
लेकिन फिर भी मुझे उसकी लल्ला-लल्ला लोरी सुनकर बड़ी मीठी नींद आती थी।
नहीं मालूम उसे कि भारत पर कब, किसने आक्रमण किया और कैसे ज़ुल्म ढाए थे आर्य, मुग़ल और मंगोल कौन थे, कहाँ से आए थे?
उसने नहीं जाना कि कौन-सी जाति भारत में अपने साथ क्या लाई थी लेकिन हमेशा याद रखती है
कि नागपुर वाली बुआ हमारे यहाँ कितना ख़र्चा करके आई थी।
वह कभी नहीं समझ पाई कि चुनाव में किस पार्टी के निशान पर मुहर लगानी है लेकिन इसका निर्णय हमेशा वही करती है कि जोधपुर वाली दीदी के यहाँ दीपावली पर कौन-सी साड़ी जानी है।
मेरी अनपढ़ माँ वास्तव में अनपढ़ नहीं है वह बातचीत के दौरान पिताजी का चेहरा पढ़ लेती है
काल-पात्र-स्थान के अनुरूप बात की दिशा मोड़ सकती है झगड़े की सम्भावनाओं को भाँप कर कोई भी बात ख़ूबसूरत मोड़ पर लाकर छोड़ सकती है
दर्द होने पर हल्दी के साथ दूध पिला पूरे देह का पीड़ा को मार देती है और नज़र लगने पर सरसों के तेल में रूई की बाती भिगो नज़र भी उतार देती है
अगरबत्ती की ख़ुश्बू से सुबह-शाम सारा घर महकाती है
बिना काम किए भी परिवार तो रात को थक कर सो जाता है लेकिन वो सारा दिन काम करके भी
परिवार की चिन्ता में रात भर सो नहीं पाती है।
सच! कोई भी माँ अनपढ़ नहीं होती सयानी होती है क्योंकि ढेर सारी डिग्रियाँ बटोरने के बावजूद बेटियों को उसी से सीखना पड़ता है कि गृहस्थी कैसे चलानी होती है।

Friday, 22 May 2020

Joker is back


पत्नी: अजी सुनते हो, आपका दोस्त एक पागल लड़की से शादी करने जा रहा है, उसे रोकते क्यूं नहीं?
पति: क्यों रोकूं? उस दुष्ट ने मुझे रोका था क्या?
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पत्नी: अजी सुनते हो, मिर्ची किस मौसम में लगती है?
पति: इसका कोई खास मौसम नहीं है। जब सच बोलो तब लग जाती है।
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शादी मतलब.....
अजी सुनते हो, से लेकर......
बहरे हो गए हो क्या.....?????
तक का सफर......
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मुझे समझ नही आ रहा पोस्ट किस तरह की करूँ
रोमांटिक पोस्ट करूँ तो लोग सोचते हैं कहीं चक्कर चल रहा
सैड पोस्ट करूँ तो लोग सोचते हैं ब्रेकअप हो गया
मैं हूँ  मासुम बन्दा करूँ तो क्या करूँ आखिर ...
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तेरे प्यार की रौशनी ऐसी हे की हर तरफ उजाला नज़र आता हे
सोचती हु घर के बिजली कटवा दू कमबख्त बिल बहोत आता हे
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Image Credit: clipartart.com
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जब घर मे बच्चा पैदा होता है
माँ : इसकी नाक तो मुझ पर गई है
बाप : इसकी आँखे मुझ पर गई है
चाचा : इसके बाल मुझ पर गए है
मामा : इसकी स्माइल मुझ पर गई है
और वही बच्चा जवान होकर लड़की छेड़ता है
सब बोलता है
पता नही हरामखोर किस पर गया है
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मैने मम्मी से पूछा :- ये लडकिया क्यों इतने व्रत रखती ह
मां ने कहा :- बेटा तू थोड़ी ना किसी को इतनी आसानी से मिल जाएगा
कसम से देवता वाली feeling आयी
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विज्ञापनो की मम्मी कितनी अच्छी होती है.
बच्चे कपड़े गंदे करके आए तो भी हँस के धोती है.
बचपन में जब हम कपडे गंदे कर के आते थे,
तो पहले हम धुलते थे, बाद में कपड़े
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Friday, 18 November 2016

माँ

ॐ शाति ।।
"............."माँ"............."

माँ- दुःख में सुख का एहसास है
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती, अज़ान है,
माँ- गीता और कुरआन है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है ।
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- ईद, दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- मैरी, फातिमा और दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।h

"अंत में मैं बस ये इक पुण्य का काम करता हूँ, दुनिया की सभी माँओं को दंडवत प्रणाम करता हूँ ।








Strategic Alliances

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