दद अक्षर टालो भरो अन धन्न का भण्डारजी ।
गुरु नंद का ध्यान विनती करु बारंबारजी।
कहे माधोसिंह पढीयार आ बेड़ा लगादो पारजी ।
म्हाकौ समा में रंग बरसावोजी लारे रिद्ध सिध्द संग मैं ल्यावो।। टेर
गढ रणत भंवर का राजा थाके बाजे नौबत बाजा ।
माता गिरजा के हो लाला थाके चढे मिठाई माला ।
बाबा थे तो दुंद दूँदाला थाने कहवे सूंड सूंडाला।
म्हारे रमता खेलता आबोजी सव देवां में बड़ा कहावो । महाराज
थे अन धन देवण वाला संकट का काटण वाला ।
कहे माधोसिंह सुण देवा म्हें करां आप की सेवा ।
म्हारा मनकी आस पुरावोजी गुरूनंदजी का मान बढ़ावो । महाराज