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Sunday, 5 June 2022

बारों में आरती गणपतचरना

 आरती

बारों में आरती गणपतचरना।

बरगजवदना गिरिजानंदना॥ बारो.॥धृ.॥

कोमल पदपंकज सुकुमार।

झ्यंझन नुपुर कर घनघोर ॥ बारो.॥१॥

पीतांबर कटी नाभि सुब्याळ।

लंबोधर गरे मोहन माल॥॥ बारो.॥२.॥

रतनमुकुट सिस चंद सुमनिये।

श्रवणच्युवत मद कुंडल सोहे॥ ॥ बारो.॥३.॥

अनुपम रुप तेरो कांहालो बखानू।

मंगिशसुत शरणागता ज्यानू॥ बारो मे॥४.॥

Saturday, 23 April 2022

जय गणेश देवा।

 आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

लडुअन के भोग लागे, सन्त करें सेवा। जय ..

एकदन्त, दयावन्त, चार भुजाधारी।

मस्तक सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय ..

अन्धन को आंख देत, कोढि़न को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ जय ..

हार चढ़े, पुष्प चढ़े और चढ़े मेवा।

सब काम सिद्ध करें, श्री गणेश देवा॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

विघ्न विनाशक स्वामी, सुख सम्पत्ति देवा॥ जय ..

पार्वती के पुत्र कहावो, शंकर सुत स्वामी।

गजानन्द गणनायक, भक्तन के स्वामी॥ जय ..

ऋद्धि सिद्धि के मालिक मूषक सवारी।

कर जोड़े विनती करते आनन्द उर भारी॥ जय ..

प्रथम आपको पूजत शुभ मंगल दाता।

सिद्धि होय सब कारज, दारिद्र हट जाता॥ जय ..

सुंड सुंडला, इन्द इन्दाला, मस्तक पर चंदा।

कारज सिद्ध करावो, काटो सब फन्दा॥ जय ..

गणपत जी की आरती जो कोई नर गावै।

तब बैकुण्ठ परम पद निश्चय ही पावै॥ जय .

Saturday, 16 April 2022

देवी का गीत

  

उच्चा री कोट सुरंग दे मेरी जाल माँतेरी हरियल पीपल बाहर मेरी माँ

उच्चा री पिपल रानी पडी ए पंचालीम्हारै जै कोई झुलन आवे मेरी माँ

देवी री झुलै रानी लोकड़ियां झुलावैम्हारै धन राजा झोटे देव मेरी माँ

पहला री झोटा रानी हार गुमायादूजा कान की बाली मेरी माँ

तीजा री झोटा रानी होई ए तिसाईजै कोई पानीड़ा पिलाव मेरी माँ

कोरा री घड़वा रानी षीतल पानीधन राजा आन पिलावै मेरी माँ

सोवो के जागो म्हारी आज भवानीथारै धोलै गढ़ बुगले छाई मेरी माँ

तिल-तिल सोऊ रानी जोए-जोए जागु,

म्हारै धोलैगढ़ जोत संवाई मेरी माँ

गले रानी थारै सतलैड़ा सोवैथारै ऊपर हार हजारी मेरी माँ

कान रानी थारै कुण्डल सोवैऊपर तोता वाली मेरी माँ

अंग रानी थार साड़ी सोवैऊपर चून्दड भारी मेरी माँ

हाथ रानी थारै चुड़ला सोवैथारै मेहँदा री जोत सुवाई मेरी माँ

पैर रानी थारै पायल सोवैथारै बिछुवा नै रुण झुण लाई मेरी माँ

सवा ए तो मण की रानी करूँ ए कढ़ाई,

थारै सोने का छत्र चढ़ाऊँ मेरी माँ

इबक तो गुनाहे बकस दे भवानीतेरी जय-जय करती आऊँ मेरी माँ

तेरै गोद झडु़ला लाऊँ मेरी माँसदा ए गठ जोड़े से आऊँ मेरी माँ

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Friday, 1 April 2022

अम्बे माँ की आरती

जय माता दी! नवरात्र हो या कोई भी दिन माता की भक्ति मन को शांति ही देती है| इसके लिए अम्बे माँ की आरती खास आपके लिए| खुद पढ़िए, गाइए - मन को आनंद मिलेगा| 


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत

मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी | जय अम्बे गौरी

 

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को

उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी

 

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे

रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी

 

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी

सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी

 

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती

कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी

 

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती

धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी

 

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे

मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी

 

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी

आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी

 

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों

बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी

 

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता

भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी

 

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी

मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी

 

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती

माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी

 

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे

कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी

 

देवी वन्दना

 

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||


यहाँ तक पढने के लिए धन्यवाद ! एकबार माता का जयकारा कमेंट करिए और इसे सबके साथ शेयर करिए |

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Thursday, 24 March 2022

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।

 जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता ।

धन्य तुमारो दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको । 
दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको ।
हाथलिये गुडलड्डू साई सुरवरको । 
महिमा कहे न जाय लागत हुं पदको ॥१॥ 

अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी । 
विघ्नविनाशन मंगल मूरत आधिकारी ।
कोटीसूरज प्रकाश ऎसी छबी तेरी । 
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबहारी ॥जय.॥२॥ 

भावभगतिसे कोई शरणागत  आवे ।
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे । 
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय.॥३॥

Monday, 7 March 2022

हनुमानजी की बिदाई

वन्दे मातरम साथियों ! आज फिरसे आपके साथ कुछ पक्तियाँ साझा कर रही हु। रामकथा के समाप्ती के समय इसे पढ़ना चाहिए। 

  

जय जय राजा रामकी। जय जय लक्ष्मण बलवान।

जय कपीस सुग्रीव की। जय अंगद हनुमान।

जय जय काग भुशुंड की। जय गुरु उमा महेश।

जय जय मुनि भरद्वाजकी। जय तुलसी अवधेश।

राम लखन सिय जानकी। सदा करी कल्याण।

रामायण मम ह्रदय बसो। बीदा होय हनुमान।

पर्भु संग कहियो दंडवत। तुमही कहु कर जोर।

बार बार रघुनाथ कहो। सुदी कराओ मोर।


अगर आपने यह अच्छे से पढ़ लिए है तो एक बार जय श्री राम कमेंट करिये और इसे सभी रामभक्तों के साथ शेयर करिये। 

धन्यवाद!

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