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Saturday, 11 April 2020

अरुणाचल पूर्व लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

अरुणाचल प्रदेश में केवल दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है | उनमे से एक है अरुणाचल पूर्व|

ज़िले:
१) पूर्व सियांग
२) उच्च सियांग
३) दिबांग वैली
४)लोहित
५) अनजाव
६) चांगलांग
७)  तिराप


विधानसभा खंड:   
१) टूटिंग यिन्ग्किओन्ग
२) पंगिन
३) नारी कोयु
४) पश्चिम पसिघाट
५) पूर्व पासीघाट
६) मेबो
७) मरियंग-गेकू
८) अनिनी
९) दम्बुक
१०) रोइंग
११) तेझु
१२) हयुलिंग
१३) चोव्कम
१४) नामसे
१५) लेकंग
१६) बोर्दुम्सा-दियुम
१७) मिओं
१८) नम्पंग
१९) दक्षिण चांगलांग
२०) उत्तर चांगलांग
२१) नम्संग
२२) पूर्व खोंसा
२३) पश्चीम खोंसा
२४) बोर्दुरिया-बगापनी
२५) कनुबरी
२६) लोंग्डिंग-पुमाओ
२७) पोंग्चोऊ-वक्का

राजनेता:
१) बाकिन पेरतिन
२) सोबेंग तयेंग
३) वान्गफा लोवांग
४) लेता उम्ब्रे
५) वान्गचा राजकुमार
६) तापिर गाओ
७) निनोंग एरिंग
८) टोनी पेरतिन
९) मातवांग चिम्यंग
१०) ओगोंग तमुक
११) वांगमन लोवान्गचा


इस ब्लॉग को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद! अगर आप अरुनाचल प्रदेश से है  तो कृपया किसी भी तरीके की हुई गलती को स्वीकार करे तथा उसमे सुधार करने हेतु निचे कमेंट अवश्य करे ताकि सही मालूमात सभी वाचको तक पोहुचाए जा सके!


Friday, 10 April 2020

अरुणाचल पश्चिम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

अरुणाचल प्रदेश में केवल दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है | उनमे से एक है अरुणाचल पश्चिम.

ज़िले:
१) तवांग
२) पश्चिम कामेंग
३) पूर्व कामेंग
४) पापुम परे
५) निम्न सुबनसिरी
६) उच्च सुबंसिरी
७) कुरुंग कुमे
८) पश्चिम सियांग

विधानसभा खंड:
१) मेकुचा
२) दाम्पोरिजो
३) लिरोमोबा
४) लिकाबाली
५) बासर
६) पूर्व अलोंग
७) पश्चिम अलोंग
८) रुमगोंग
९) लुमला
१०) तवांग
११) मुक्तो
१२) दिरांग
१३) कलाकतंग
१४) थ्रिज़िन बुरगांव
१५) बोमडिला
१६) बमेंग
१७) चायांग्ताजो
१८) पूर्व सेप्पा
१९) पश्चिम सेप्पा
२०) पक्के कसांग
२१) इटानगर
२२) दोइमुख
२३) सागली
२४) यचुली
२५) जीरो हपोली
२६) पालीन
२७) न्यापिन
२८) ताली
२९) कोलोरियंग
३०) नाचो
३१) तलिहा
३२) दापोरिजो
३३) रागा

राजनेता:
१) रिन्चिंग खंडू ख्रिमे
२) प्रेम खंडू थुंगन
३) टोमो रिबा
४) ओमाक अपांग
५) जारबोम गामलिन
६) खिरेन रिजीजू
७) टाकम संजोय
८) कामेन रिन्गु
९) तादर तानियांग
१०) कर्दु ताइपोदिया
११) जोडिक ताली
१२) तुजो बागरा
१३) जाले सोनम
१४) गुम्जुम हल्दर


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Sunday, 22 March 2020

ब्रम्हपुत्र नदी

अगर आप भारत की महान नदियों  बारेमे जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़िए क्युकी इसमें पवित्र नदी ब्रम्हपुत्र के बारेमे जानकारी आपके लिए लिखी गयी है। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया करके इसे शेयर करीये। ब्रम्हपुत्र भारत ही नहीं बल्कि चीन और बांग्लादेश इन देशोंको भी पवित्र करती हुई बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।


छायाचित्र श्रेय :- विकिपीडिया 


ब्रम्हपुत्र के बारेमे रोचक जानकारी निचे लिस्ट की हुई है -

  1. एशिया और भारत की प्रमुख नदियों में एक नदी है पूर्वोत्तर भारत में बहने वाली ब्रम्हपुत्र नदी। 
  2. ब्रम्हपुत्र का मतलब ब्रम्हा का पुत्र। 
  3. प्रायः नदियों के नदियों के नाम स्त्रीलिंगी रहते है पर ब्रम्हपुत्र इसे अपवाद है। 
  4. ब्रम्हपुत्र अंतर देशीय सिमा से बहती है - तिब्बत (अब चीन), भारत और फिर बांग्लादेश से  हुई बंगाल की खाड़ी में सागर से मिलती है। 
  5. ब्रम्हपुत्र विविध नामो से जानी जाती है - जैसे तिब्बत में "यार्लुंग त्संगपो" नामसे जानी जाती है। 
  6. तिब्बत के बाद यह नदी बहती हुई अरुणाचल प्रदेश में आती है जहाँ की जनता इसे "सियांग और दिहांग" भी कहती है। 
  7. वैसे भारतीय लोग इसे ब्रम्हपुत्र ही कहते है पर असम के बोडो समुदाय ने इसे "भुल्लम बुथुर" नाम दिया है जिसका मतलब है "कल कल की आवाज निकालना"। 
  8. चीनी भाषा में इसे "या-लू-त्सांग-पु चियांग" या "यरलुंग जैंगबो जियांग" कहा गया है। 
  9. बांग्लादेशी लोग इसे जमुना कहते है। इसे यमुना के साथ मत जोड़ें क्युकी दोनों अलग अलग है। 
  10. उद्गम को लेकर कई मान्यताये है - जैसे कुछ उद्धरण के हिसाबसे मानसरोवर से इसका उद्भव हुआ है जबकि कई सर्वक्षकों ने ये पाया की मानसरोवर के पास नेपाल और हिमालय पर्वत शृंखला के उत्तर भाग तथा तिब्बत के बुरंग प्रदेश में आता है। इस परिसर में इसे यारलुंग त्सांगपो नदी कहा जाता है। 
  11. ब्रम्हपुत्र का उद्गम स्थान समुद्र सतह से ५२१० मी की उचाई पर है। 
  12. अब ४००० मी की समुद्री तट से औसत उचाई पर दक्षीण तिब्बत में पूर्व दिशा में यह नदी करीब करीब १७०० किमी  बहती है। 
  13. इसके बाद यह अरुणाचल प्रदेश में हिमालय के बार्वा पर्वत के पास दक्षिण पश्चिम दिशा में मुड़कर आती है। फिर आसाम और बांग्लादेश में बहती है। 
  14. बांग्लादेशमे यह नदी कई शाखाओ में बात जाती है - इसलिए यह एक लटकार नदी का अच्छा उदाहरण है। 
  15. गंगा नदी की पद्मा शाखा को मिलने के बाद ब्रम्हपुत्र मेघना नामसे जानी जाती है। 
  16. यह दुनिया की १५वी सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई ३८४८ किमी है। 
  17. सबसे ज्यादा १२० मी गहराई है पर औसतन गहराई ३८ मी है। 
  18. वसंत ऋतू में जब बर्फ पिघलती है तब ब्रम्हपुत्र नदी में बाढ़ आने की संभावनाए ज्यादा होती है। 
  19. समुद्रमे मिलने वाले पानी का दर अगर देखा जाये तो ब्रम्हपुत्र दुनियाकी सबसे बड़ी नदियोमेसे दसवे क्रमांक पर आती है।  औसतन दर १९,८०० घन मी / सेकंद तथा बाढ़ के समय का दर १,००,००० घन मी / सेकंद है। 
  20. ज्वारीय  बोर का लक्षण बताने वाली कुछ नदियों में से एक नदी यह भी है - ब्रम्हपुत्र (मेघना)। ज्वारीय बोर मतलब नदी के मुहाने पर उर्ध्व प्रवाह में चलने वाली उच्च ज्वारीय तरंग। 
  21. १८८४-८६ के दरमियान हुए सर्वेक्षण में ब्रम्हपुत्र का ऊपरी भाग मतलब यारलुंग त्संगपो पता चल पाया। तबतक यह बात अनजानी थी। अब इसे त्सांगपो-ब्रम्हपुत्र कहा जाता है।
  22. तिब्बत में नदी के दक्षिण में हिमालय शृंखल तथा उत्तर में कैलाश शृंखला है। 
  23. तिब्बत में राका जांगबो (राका त्सांगपो), ल्हासा और न्यांग को (ञमडा) यह तीन नदिया अलग अलग जगहों पर मिलती है।  
  24. दिबांग और लोहित नामक नदिया असम घाटी में ब्रम्हपुत्र से मिलती है। 
  25. असम में उत्तरी पर्वत शृंखलाओं से  कामेंग, सुबनसिरी, भरेली, धनसिरी, मानस, चंपामती, सरलभंगा, संकोश यह नदिया ब्रम्हपुत्र में आ मिलती है। 
  26. दक्षिण दिशाकी पर्वतो की रेखासे बुरहि दिहिंग, दिसांग, दिखू तथा कोपीली नदिया भी ब्रम्हपुत्र के पात्र में मिलती है। 
  27. असम के डिब्रूगढ़ और लखीमपुर जिले में ब्रम्हपुत्र के दो प्रवाह हो जाते है - उत्तरी खेरकुटिआ प्रवाह और दक्षिणी ब्रम्हपुत्र। १०० किमी के प्रवास के बाद यह दोनों प्रवाह आपसमे मिल जाते है। इस जगह जो द्वीप बना है उसे माजुली द्वीप कहते है। 
  28. माजुली द्वीप दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा द्वीप है जो नदीमे बना है। 
  29. असम में ब्रम्हपुत्र नदी सबसे चौड़ी मतलब २०किमी है। 
  30. गुवाहाटी के पास हाजो तीर्थस्थल के करीब शिलाँग पहाड़ी मैदान में ब्रम्हपुत्र चौड़ाई मात्र १किमी रह जाती है। 
  31. सन १६७१ में सराईघाट की लड़ाई ब्रम्हपुत्र के इसी सबसे संकीर्ण प्रवाह के पास हुई। 
  32. अप्रेल १९६२ में ब्रम्हपुत्र पर बना पहला रेल - सड़क संयुक्त सेतु परिवहन हेतु लोकार्पित किया गया था। 
  33. भारत के धुबुरी के निचे गारो पहाड़ियों  दक्षिण में हुए ब्रम्हपुत्र बांग्लादेश के मैदानों में जा पोहोचती है। 
  34. चीलमारी बांग्लादेश में बहने के बाद तीस्ता नदी ब्रम्हपुत्र को बांग्लादेशमे मिलती है। इसके बाद  जमुना के नामसे पुकारा जाता है। 
  35. तीस्ता संगम के बाद दक्षिण गायबंदा के पास नदी फिरसे दो भागो में बात जाती है - दक्षिण की तरफ जमुना तथा पूर्व की तरफ पूर्व ब्रम्हपुत्र। 
  36. इसकेबाद गंगा से मिलने के पहले जमुना में बराल, अटरै तथा हुरासागर नदियोंके प्रवाह दाहिने तरफ से मिलते है। और बायीं तरफ से एक प्रवाह धालेस्वरी नदी की तरफ जाता है। 
  37. धालेस्वरी नदी की सहायक बुरीगंगा नदी ढाका से बहते हुए मुंशीगंज के पास मेघना नदी से मिलती है। 
  38. जमुना जिसमे ज्यादा पानी बेहता है वो  गोआलुंडो घाट के उत्तर में गंगा की शाखा पद्मा से मिलती है। उसके बाद पूरा नदी प्रवाह अनेक शाखाओं में बटता हुआ गंगा-ब्रम्हपुत्र डेल्टा को सींचते हुए बहता है। 
  39. पूर्व ब्रम्हपुत्र दक्षिण-पूर्व में घूमती हुई मेघना नदी से ढाका के पास मिलती है। 
  40. चांदपुर के पास पद्मा और मेघना नदियोंका संगम होता है जिसे आगे मेघना कहा जाता है। जो बंगाल की खाड़ी में  समाहित होती है। 
  41. गंगा डेल्टा का क्षेत्रफल ५९,५७० वर्ग किमी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी का दहाना है। 
  42. पूरी ब्रम्हपुत्र नदी का पात्र ६,५१,३३४ वर्ग किमी है। 
  43. ब्रम्हपुत्र के मोड़ और किनारे पर अस्थायी रेत का जमना आम बात है। 
यह थी ब्रम्हपुत्र के बारेमे आम बाते। अगर यह आपको पसंद आया हो तो जरूर शेयर करिये। और भी जानकारी आपको पढ़ने मिलेंगी इसी ब्लॉग पर इसीलिए इसे मुफ्त में फॉलो करीये। अगर आपको इससे ज्यादा और कुछ भी पता हो तो कमेंट जरूर कीजिये निचे कमेंट बॉक्स में आपके सुझाव जल्द से जल्द प्रकाशित किये जायेंगे। अगर आप और किसी विषय में जानना चाहते हो तो जरूर कमेंट में बताइये। 

पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद्।



नक्शा श्रेय : - गूगल नक़्शे 

Tuesday, 17 March 2020

तवांग विहार

तवांग का बुद्ध विहार यह अरुणाचल प्रदेश का मुख्य धार्मिक स्थल है| तिब्बतियन लोग भी इस मोनेस्ट्री को बहोत मानते है| आइये इसके बारेमे कुछ जानकारी लेले|

इमेज क्रेडिट: CPREE, चेन्नई 

१) भारत का सबसे बड़ा बुध्द विहार: तवांग मठ|
२) तवांग शहर से २ की.मी. की दुरी पर यह मठ स्थित है|
३) तवांग नदी की घटी में यह मठ है|
४) इसे मेराक लामा लोद्रे ग्यात्सो ने सन १६८१ में स्थापित किया था|
५) यह बुद्ध धर्म की अन्तेर्राष्ट्रीय धरोहर है|
६) पत्थरों से बने प्रवेश द्वार का नाम ककालिंग है|
७) यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बुद्ध मोनेस्ट्री है जो की ल्हासा के मोनेस्ट्री से धार्मिक तौर पर जुडी हुई है|
८) यह गेलुग स्कूल ऑफ़ महायाना बुद्धिज़्म से जुडी हुई है|
९) तोर्ग्या पर्व बड़ी धूमधामसे यहाँ मनाया जाता है - इस समय अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत से कई श्रद्धालु उत्सव में भाग लेने आते है|
१०) यह मोनेस्ट्री ताना मंदेखंग नामक पहाड़ी पर बनि है|
११) मोनेस्ट्री बनने से पहले यहाँ पर काला वान्गपो नामक राजा का राजमहल था|
१२) मोनेस्ट्री में जगह जगह पे मंडला चित्रकारी की हुई है|
१३) जून से ओक्टोबर के बिच आप इस जगह को देखने जा सकते है|
१४) तवांग में अगर आपको घूमने जाना है तो स्पेशल इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है जो दिल्ली, कलकत्ता, गुवाहाटी या तेजपुर से प्राप्त किया जा सकता है|
१५) १९५० में जब दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा तो वह इसी तवांग मोनेस्ट्री में कुछ दिन रुके और फिर भारत में शरण ली|
१६) पाचवे दलाई लामा न्गवांग लोबसांग ग्यात्सो के आशीर्वाद से यह मठ बना है|
१७) छठे दलाई लामा का जन्म इसी जगह हुआ है|
१८) इस मोनेस्ट्री का पूरा नाम है - तवांग गाल्डन नामगये ल्हत्से|
१९) "ता" का मतलब घोडा और "वांग" का मतलब चुना हुआ - मतलब एक चुने हुए घोड़े की वजह से यह जगह एक धार्मिक स्थल बन गयी इसीलिए इस जगह का नाम तवांग पड़ा है|
२०) समुद्र सतह से यह जगह १०,००० फीट उचाई पर स्थित है|
२१) यहाँ १८ फीट उची पद्मासन स्थिति में बुद्ध भगवान की स्वर्ण की मूर्ति है|
२२)  माना जाता है की पाल्देन ल्हामो देवी या श्री देवी मोनेस्ट्री की रक्षक है - इस देवी का वर्णन हिदुओ की काली माता के समान है|
२३)  तोर्ग्या उत्सव १० से १२ जनवरी के बिच मनाया जाता है|



गूगल नक्शा

यह तवांग मोनेस्ट्री के बारेमे लिखी गयी मालूमात है| अगर कोई मालूमात छुट गयी हो या कोई गलती हुई हो तो कृपया कमेंट में उल्लेख करे ताकि अन्य वाचको के लिए इस ब्लॉग में सुधार हो सके| यह मालूमात आपका सामान्य ज्ञान बढ़ाने हेतु यहाँ संकलित की गयी है| इस मालूमात से आप स्पर्धा परीक्षाओकी तैय्यारी कर सकते है|  अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद|


Sunday, 15 March 2020

Arunachal Pradesh - brief history of the state

The name
The word Arunachal is combination of two words with Arun and Aachal. Arun means Sun or the Rising Sun. Aachal means border or the age. Pradesh means province.
The name Arunachal Pradesh was not derived from any previously existing name. The state is named so because it has magnificent mountainous region of the extreme North East extending over the Eastern Himalayas at this place Sunrises very first over Hindustan.

Series of constitutional process and development
Arunachal Pradesh had to go through a series of constitutional process and development to acquire the present status this process was started in the second decade of the 20th century.

Extension of Assam Frontier tracts regulation
In 1914, Government of India ruled by the Britishers decided that the Assam Frontier tracts regulation of 1880 would extend to some Hill tracts inhibited by the Tribes of present Arunachal Pradesh. These tracts were separated from the Darrang and Lakhimpur districts of the province of Assam at that time. This separation was done to form the North East Frontier tract which consisted of 3 administrative units named as
a) Central and Eastern section,
b) Lakhimpur Frontier tract and
c) Western section.

Renaming of Administrative units
In 1919, Government of India renamed two administrative units as
a) Central and Eastern section was renamed as Sadiya Frontier track,
b) Lakhimpur Frontier cracked was remained same,
c) Western section was renamed as Balipara Frontier track.

Exclusion of the area 
In 1937, the three Frontier tracts namely Sadiya, Lakhimpur and Balipara came to be known collectively as the excluded areas of the province of Assam. This process was supported by the provision of the section 91 one of the Government of India Act 1935.

Tirap Frontier tract 
In 1943, a new administrative unit called the Tirap Frontier tract comprising certain areas of the Lakhimpur and Sadiya Frontier tracts came into existence. A post of adviser was also created to administer the division.

Administration of union government 
In 1948, after independence and in the working period of Pandit Jawaharlal Nehru as prime minister of India the area of present Arunachal Pradesh was placed under direct administration of the union government in short it was a union territory from 1948 this area was divided again into following parts
a) Sadiya Frontier tract
b) Subansiri Frontier tract
c)Tirap Frontier tract
d) Se La Sub agency
e) Lakhimpur Frontier track
f) Tuensang Frontier track

All these regions where administered by a political officer.

6th Schedule
In 1950, this union territory presently called as Arunachal Pradesh was included in th 6th schedule. Constitutionally it was a part of Assam and specially administered by the Governor of Assam. Governor of Assam acted as an agent of President of India. At that time Mr. Rajendra Prasad was President of India. The governor had an adviser. The secretariat of the adviser was situated in Shillong (Meghalaya).

This is first part of this history. Second part of the history of formation of Arunachal Pradesh is based completely upon the constitution of India written by Dr. Babasaheb Ambedkar Sir. Please follow this blog to get more knowledge about the most eastern state of Hindustan. All the details will be shortly published. If you like this piece of information then don't forget to share it with your friends from Arunachal Pradesh and places around. If you wan to know about any place in India then please comment below. Your requested information will be shared shortly.
Thank you.


Saturday, 14 March 2020

पूर्वोत्तर भारत - सामान्य ज्ञान

नाम ही बताता है की इस लेख में पूर्वोत्तर भारत का सामान्य ज्ञान आपके लिए दिया गया है।  कृपया पूरी पोस्ट अवश्य पढ़े क्यों की ये पूरा लेख सवाल जवाब के रूप में है। यह पोस्ट आपका सामान्य ज्ञान बढ़ने के साथ साथ आपको मदत करेगा किसी भी सामान्य ज्ञान कसौटी में।

नक्शा: विकिपीडिया 

सवाल: पूर्वोत्तर भारत में कोन कोनसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश आते है ?
जवाब:  अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोराम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत में हिमालयन राज्य कोनसा है?
जवाब: सिक्किम यह हिमालयन राज्य है और बाकि सातो को Seven Sister States से जाना जाता है।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा शहर कोनसा?
जवाब: गुवाहाटी, आसाम राज्य।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्रफल कितना है ?
जवाब: २,६२,२३० वर्ग किमी।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत की शासकीय भाषाए कौनसी है?
जवाब: असमी, बंगाली, बोडो, गारो, खासी, कोकबोरोक, मेइती, मणिपुरी, गोरखाली, हिंदी, इंग्लिश।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत को पूर्व भारत से कोनसी जगह जोड़े रखती है?
जवाब: सिलीगुड़ी कॉरिडोर


सवाल: पूर्वोत्तर भारत में कितनी दूर आन्तर राष्ट्रिय सिमा है ?
जवाब: ४५०० किमी की आंतरराष्ट्रीय सिमा पूर्वोत्तर भारत  में है।


सवाल: पूर्वोत्तर भारत के उत्तर दिशा में कोनसा देश है ?
जवाब: तिब्बत (अब चीन)


सवाल: पूर्वोत्तर भारत के उत्तर-पश्चिम दिशा में कोनसा देश है?
जवाब: भूटान 


सवाल: पूर्वोत्तर भारत पूर्व में कोनसा देश है?
जवाब: म्यानमार


सवाल: पूर्वोत्तर भारत पश्चिम-दक्षिण दिशा में कोनसा देश है
जवाब: बांग्लादेश 


सवाल: पूर्वोत्तर भारत को किस परिषद (council) के तहत मान्यता मिली है ?
जवाब: उत्तर-पूर्वी परिषद (North Eastern Council - NEC) 


सवाल: पूर्वोत्तर भारत में सिक्किम का समवेश कब हुआ?
जवाब: सन २००२ में। 


सवाल: भारत में सबसे कम आबादी वाला राज्य कोनसा है?
जवाब: सिक्किम जो की सबसे आबादी वाला राज्य है क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का दूसरा  छोटा राज्य है। 


सवाल: पूर्वोत्तर भारत की स्थापना कब हुई ?
जवाब: ब्रिटिश राज के दौरान पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की स्थापना हुई।


सवाल: अहोम राज क्या है?
जवाब: अहोम ब्रम्हपुत्र के सिंचित प्रदेश में बसा असम का हिस्सा था।


सवाल: बर्मा ने कब आक्रमण किये थे और कितने ?
जवाब: बर्मा ने १८१७ से १८२६ तक ३ आक्रमण किये थे - जिसकी वजह से अहोम राज्य - आजका असम और मणिपुर राज्य बर्मा ने जित लिए थे।


सवाल: पहला बर्मा युद्ध कब हुआ था? और किसके बिच हुआ था?
जवाब: पहला बर्मा युद्ध अंग्रेजो और बर्मा के बिच ५ मार्च १८२४ से २४ फरवरी १८२६ तक हुआ था। इसका नतीजा ये हुआ की असम, मणिपुर और बाकि पूर्वोत्तर भारत का इलाका अंग्रेजो के आधीन हो गया।


सवाल: सन १९४७ में पूर्वोत्तर भारत में क्या था?
जवाब: आजादी के बाद सन १९४७ में पूर्वोत्तर भट में मणिपुर और त्रिपुरकी राजसी सियासते थी और असम।


सवाल: असम राज्य की स्थापना कब हुई?
जवाब: बर्मा-ब्रिटिश युद्ध के बाद पूर्वोत्तर भारत का पूरा हिस्सा ब्रिटिश राज में आया तभी १८२६ में असम एक अलग राज्य घोषित किया गया था। असम का राज पाट अंग्रेज देखते थे।


सवाल: नागालैंड राज्य की स्थापना कब हुई ?
जवाब: १ दिसम्बर १९६३


सवाल: अरुणाचल प्रदेश की स्थापना एक केन्द्रशसित प्रदेश के रूप कब हुई थी?
जवाब: १९७२


सवाल: अरुणाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नाम क्या है ?
जवाब: उत्तर पूर्व सीमांत एजेंसी


सवाल: अरुणाचल प्रदेश की राजधानी कोनसी है ?
जवाब: ईटानगर 


सवाल: अरुणाचल प्रदेश की एक राज्य के रूप में स्थापना कब हुई ?
जवाब: २० फरवरी १९८७ 


सवाल: असम के ऐतिहासिक नाम क्या थे ?
जवाब: आगोम, प्रागज्योतिष, कामरूप 


सवाल: असम की पहले राजधानी क्या थी ?
जवाब: शिलॉन्ग १९६९ तक 


सवाल: वर्तमान में असम की राजधानी क्या है?
जवाब: दिसपुर


सवाल: मणिपुर का ऐतिहासिक नाम क्या है?
जवाब: कंगलाइपक 


सवाल: क्या कभी मणिपुर केंद्रशासित प्रदेश था ?
जवाब: हां १९५६ से १९७२ तक मणिपुर केंद्रशासित प्रदेश था। 


सवाल: मणिपुर का स्थापना दिवस कोनसा ?
जवाब: २१ जनवरी १९७२ 


सवाल: मणिपुर की राजधानी क्या है ?
जवाब: इंफाल 


सवाल: मेघालय को इतिहास में क्या नाम थे?
जवाब: खासी पहाड़िया, जयंती पहाड़िया, गारो पहाड़िया 


सवाल: मेघालय की राजधानी क्या है?
जवाब: शिलॉन्ग 

सवाल: मेघालय की स्थापना कब हुई ?
जवाब: २१ जनवरी १९७२ 


सवाल: मिज़ोरम का इतिहास में क्या नाम है ?
जवाब: लुशाई पहाड़िया 


सवाल: मिजोरम की राजधानी क्या है ?
जवाब: आइज़वाल 


सवाल: क्या कभी मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश था ?
जवाब: हा। १९७२ से १९८७ तक मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश था।


सवाल: मिजोरम राज्य की स्थापना कब हुई ?
जवाब: २० फरवरी १९८७


सवाल: नागालैंड का ऐतिहासिक नाम क्या है ?
जवाब: नागा पहाड़िया


सवाल: नागालैंड की राजधानी क्या है ?
जवाब: कोहिमा


सवाल: सिक्किम को इतिहास में क्या नाम था ?
जवाब: सुखिम


सवाल: सिक्किम की राजधानी क्या है?
जवाब: गंगटोक


सवाल: सिक्किम राज्य की स्थापना कब हुई?
जवाब: १६ मई १९७५

सवाल: त्रिपुरा राज्य एतेहासिक नाम क्या है ?
जवाब: तिप्पेराह

सवाल: त्रिपुरा की राजधानी कोनसी है?
जवाब: अगरतला 

सवाल: त्रिपुरा राज्य की स्थापना कब हुई ?
जवाब: १ जनवरी १९७२

यह थे कुछ सवाल और जवाब पूर्वोत्तर भारत  बारेमे। जल्द ही इसके अन्य सवाल जवाब भी प्रकाशित किये जायेंगे इसीलिए इस ब्लॉग को फॉलो करिये और सबस्क्राइब भी करिये। इसे शेयर करना न भूले। अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। 

तवांग जिला

तवांग यह अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है| आइये इस ज़िले के बारेमे कुछ जानकारी पढले|

सबसे पहले आप तवांग ज़िले की ऑफिसियल वेब साईट को नोट कर लीजिये:  http://ardistricts.nic.in/district_home.php?did=taw



१) मोनपा जाती के लोग तवांग ज़िले में सबसे ज्यादा रहते है|
२) ल्होमोन या मोंयुल का राज्य तवांग क्षेत्र पर था| यह समय था ५०० बी.सी. से ६०० ए.डी. तक|
३) मोंयुल के बाद कुछ हिस्सा पडोसी देश भूटान और कुछ हिस्सा पडोसी देश तिब्बत आधीन था|
४) मेराक लामा लोद्रे ग्यात्सो ने सन १६८१ में तवांग विहार (मोनास्ट्री) की स्थापना की थी|
५) तवांग अंग्रेजी हुकूमत तक तिब्बत का हिस्सा था|
६) सन १९१४ में मैकमोहन लाइन के बाद तवांग भारत का हिस्सा बना|
७) सन १९४४ तक तवांग शहर तक अंग्रेजी हुकूमत उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के जरिये पोहोच चुकी थी| इसी समय जे. पी. मिल्स ने दिरांग द्जोंग में आसाम राइफल्स पोस्ट की स्थापना की थी|
८) सन १९५० में चीन ने तिब्बत को जित लिया था तबसे तिब्बती लोगो के लिए तवांग में आना मुश्किल हो गया है|
९) सन १९६२ के भारत चीन युद्ध में चीन ने तवांग पर कब्ज़ा क्र लिया था पर युद्ध ख़त्म होने के बाद चीन ने अपनी सारी सेना तवांग से हटा ली थी|
१०) सन १९८९ में तवांग जिला बना| तबतक तवांग पश्चीम कमेंग ज़िले का भाग था|
११) सीमाए: उत्तर में तिब्बत और भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा, पश्चिम में भूटान और भारत की अन्तेर्राष्ट्रीय सीमा तथा पूर्व और दक्षिण में पश्चिम कमेंग की सीमा|
१२) अन्य आदिवासी जातिया - आदी, भोटिया, मोनपा, ताकपा
१३) बॉर्डर सेंसिटिविटी वजह से तवांग में फौज ज्यादा तैनात की हुई है|
१४) ठण्ड के दिनों में यहाँ बर्फ़बारी भी होती है|
१५) ज़िले के उपभाग: अ) तवांग ब) लुमला क) जांग
१६) तवांग उपभाग के प्रशासनिक सर्कल: अ) तवांग ब) कित्पी
१७) लुमला उपभाग के प्रशासनिक सर्कल: अ) बोंगखर ब) दुदुन्घर क) लुमला ड) झेमिथांग
१८) जांग उपभाग के प्रशासनिक सर्कल: अ) जांग ब) मुक्तो क) थिन्गबू ड) ल्होऊ
१९) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र: अ) लुमला ब) तवांग क) मुक्तो
२०) तवांग पश्चिम अरुणाचल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है|
२१) आदिवासी जाती के लोगो के साथ साथ अल्प मात्रा में तिबेतियन लोग भी तवांग ज़िले में रहते है|
२२) तवांग ज़िले में पुरे १६३ गाव है|
२३) तिब्बतियन बुद्ध धर्म यह ज्यादा से ज्यादा लोगों का धर्म है|
२४) कुछ लोग बॉन धर्म को मानते है तो कुछ शामनिस्ट धर्म को भी मानते है|
२५) हर साल लोसर, चोस्कर और तोर्ग्या यह उत्सव पर्व बड़ी धूमधामसे मनाये जाते है| इसके अलावा गंडेन ग्गमचोए, दृकपा, त्से-ज़े, ज्हेपा साका दावा यह उत्सव भी मनाये जाते है|
२६) हर तिन साल बाद दुन्गयुर उत्सव पर्व भी मनाया जाता है|
२७) खेती यही यहाके लोगो का मुख्य उपजीविका साधन है|
२८) ठण्डे मौसम के कारन याक और भेड़ पाले जाते है|
२९) लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य: तवांग विहार, सेला पास, जांग का झरना, वॉर मेमोरियल, जसवंत गड, पन्गगंग टेंग त्सो तालाब, उर्गेल्लिंग गोम्पा, मंजुश्री विद्यापीठ, खिन्मे गोम्पा, भ्रमादुन्गाचुंग अनी गोम्पा, जोंग न्गा त्सेर तालाब, तक्तसंग गोम्पा, गोरजें चोर्तेन ज़ेमितंग, लमई ज़पसे, चाग्ज़म पुल, बप्तेंग कांग झरना इत्यादि निसर्ग से भरपूर जगहे आप के लिए तवांग में है|
३०) हस्तकला के छोटे छोटे उद्योग भी पर्यटकों को आकर्षित करते है|
३१) अगर आप तवांग ज़िले में घूमने जाना चाहते है तो आपको स्पेशल इनर लाइन परमिट की जरूरत है जो की कलकत्ता, दिल्ली, गुवाहाटी या तेजपुर से प्राप्त किया जा सकता है|
३२) मांस के व्यंजन, शाकाहारी मोमोज और क्रीम बन यह यहाँ का सबसे जल्दी मिलने वाला खाना है जो की जगह जगह मिलेंगा|
३३) तवांग का मतलब "चुना हुआ घोडा".
३४) तवांग के लिए स्पेशल हेलिकॉप्टर सुविधा भी है|
३५) तवांग ज़िले का स्थापना दिन - ५ ओक्टोबर १९८४
३६) यहाँ सभी तरह की क़ानूनी कारवाई आसाम फ्रंटियर अधिनियम १९४५ के तहत की जाती है|
३७) ६ फरवरी १९५१ के दिन सबसे पहला प्रशासनिक केंद्र स्थापित किया गया| यह काम मेजर बॉब खाटिंग ने किया था|
३८) पंचायत राज की शुरुवात उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी अधिनियम १९६७ के तहत की गयी है|
३९) गौरिचैन यह सबसे उची पहाड़ी चोटी है जो की २२,५०० फीट उची है|
४०) तवांग-चु और न्यमजंग चु यह दो नदिया तवांग ज़िले से होकर गुजरती है|
४१) यहाँ के हर गाव में एक गोम्पा मतलब पुरे गाव का एक बौद्ध मठ होता है|

यह थी तवांग ज़िले की थोडीसी मालूमात और भी मालूमात अगले ब्लॉग में शेयर की जाएँगी इसीलिए इस ब्लॉग को फोलो करे और तवांग ज़िले में रहने वाले और वाचको के साथ शेयर करे|  अगर कोई गलती हुई हो या फिर कोई और भी मालूमात जो की इस में नहीं दी गयी हो कृपया उसके बारेमे कमेंट जरुर करिए| यह मालूमात आपको अरुणाचल प्रदेश के बारेमे सामान्य ज्ञान देने के लिए दी गयी है जो की आप किसीभी स्पर्धा परीक्षा की तयारी के लिए इस्तेमाल कर सकते है| अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद!

Wednesday, 11 March 2020

शिमला समझोता १९१४

शिमला समझोता यह अभी काफी चर्चा का विषय है| इस लेख में १९१४ के शिमला समझोता या सिमला एकॉर्ड १९१४ के बारे में मालूमात शेयर कर रही हु| उम्मीद है ये आपके काम आएगी| यह लेख आपके ज्ञान को बढ़ाने हेतु है| इसीलिए इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे| अगर आप लोक सेवा आयोग या अन्य कोई स्पर्धा परीक्षा की तयारी कर रहे हो तो यह लेख आपके लिए जरुरी है| यह हिंदी में लिखा है - अगर आप किसी अन्य भाषा में इस पढ़ना चाहते हो तो कृपया ट्रांसलेटर फीचर का उपयोग करे| इस ब्लॉग को फोलो करे ताकि और भी ज्ञान भरी बाते आपके साथ शेयर हो सके|



तो आइये जानते है शिमला समझोता या सिमला एकॉर्ड १९१४ के बारे में 

१) १९ वी सदी के वक्त तवांग व्यापार का एक महत्वपूर्ण स्थान था जो की तिब्बत में यानी की आजे के चीन में आता था|
२) १९१३ में शिमला, हिमाचल प्रदेश में ब्रिटिश सरकार ने तिब्बत की सीमा रेखाओ के बारेमे फैसला लेने हेतु एक सभा का आयोजन किया था| इस सभामे ब्रिटिश सरकार, नया चीन गणराज्य और ल्हासा की तिब्बत सरकार के प्रतिनिधी मौजूद थे|
३) क्विंग राज वंश १९१३ में नष्ट हो गया और चीन तब चीन गणराज्य बन गया|
४) हेनरी मैकमोहन इन्होने तिब्बत के दो हिस्से बनाने का सुझाव दिया - इस सुझाव के हिसाबसे एक लाइन निकली गयी जिसे मैकमोहन लाइन कहा जाता है| यही तिब्बत और भारत के बिच की सीमा रेखा है|
५) मैकमोहन लाइन तिब्बत और ब्रिटिश राज के प्रतिनिधियों ने तय की थी और उस समय चीन के प्रतिनिधी मौजूद नहीं थे|
६) इस सभा में तिब्बत और चीन की सीमा तय नहीं हो पाई इसीलिए इस सभा में कोईभी निर्णय नहीं हो सका और मैकमोहन लाइन भी भुला दी गयी|
७) पर कुछ समय बाद मैकमोहन लाइन को सही मायने में भारत के उत्तर-पूर्व हिस्से और आजके चीन के बिच की सीमा रेखा मना गया है|

मैकमोहन लाइन के बारेमे दुसरे लेख में पूरी मालूमात दी जाएगी इसीलिए इस ब्लॉग पर बने रहिये| अरुणाचल प्रदेश से जुडी और भी मालूमात आप पढ़ सकते है| 


Tuesday, 10 March 2020

GK about animals

In this article you are going to know about animal species which are lesser known means which are rare. All species are from India. 

Q1. What is the scientific name of Great Indian Bustard ?

ANS. Ardiotis nigiceps.

Q2. The Great Indian Bustard is endemic to what?
ANS. To Indian subcontinent.

Q3. Currently in 2017, how birds exist in the world outside India having no known breeding population?
ANS. Around 300.

Q4. In how many states Great Indian Bustard is found in India?
ANS. In 5.

Q5. Name the states.
ANS. Andhra Pradesh, Karnataka, Madhya Pradesh, Gujrat, Rajastan.

Q6. It is the state bird of which state?
ANS. Rajasthan

Q7. What s the main decline of their population
ANS. Illegal hunting.

Q8. Which is the tallest flying bird in India?
ANS. Sarus crane.

Q9. What is the height of  Sarus crane.
ANS. 155 cm.

Q10. What is the scientific name of Sarus crane?
ANS. Grus antigone.

Q11. Around how many Sarus cranes are there in India?
ANS. Around 8000 to 10000.

Q12. Sarus crane is state bird of which state?
ANS. Uttar Pradesh.

Q13. How many Sarus cranes re here in Uttar Pradesh?
ANS. Around 2000 to 3000.

Q14. What is the main decline in their population?
ANS. Loss of wetland.

Q15. What is the scientific name of red panda?
ANS. Alirus fulgens.

Q16. What is the nickname of red panda?
ANS. Firecat and lesser panda.

Q17. Where is firecat's most population in India?
ANS. Arunachal pradesh.

Q18. Why they are hunted?
ANS. They are hunted for their pelt by Chinese people for making traditional dresses.

Q19. What is the scientific name of  Nilgiri tahr?
ANS. Niligiritragus hylocrius.

Q20. Nilgiri tahr is endemic to what?
ANS. Nilgiri hills.

Q21. Nilgiri tahr is state bird of which state?
ANS.Tamil Nadu.

Q22. Adult male nilgiri tahr is called?
ANS. Saddleback.

Monday, 9 March 2020

मैकमोहन लाइन

मैकमोहन लाइन भारत और चीन को जोड़ने वाली आन्तर्राष्ट्रीय सीमा है| आज दोनों देशो की सरकारे इस लाइन को लेकर विवाद कर रही है| पर यह शिमला समझोता १९१४ के तहत तिब्बत और ब्रिटिश राज के दरमियाँ तय की गयी थी और इसे उस समय की तिब्बत सरकार ने मान्यता दी थी| अब तिब्बत चीन गणराज्य का हिस्सा है| इस लेख में इसी मैकमोहन लाइन के बारेमे जानकारी खास आप सभी के लिए लिख रही हु| यह लेख लोक सेवा आयोग तथा अन्य स्पर्धा परीक्षा की तैयारी के लिए लिखा गया है| कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा परीक्षार्थियों के साथ शेयर करे और इस ब्लॉग को फोलो करना न भूले|
१) तवांग १९ वी सदी में व्यापर के हिसाब से अत्यंत उपयुक्त शहर था| पर उस समय यह तिब्बत का हिस्सा था|
२) १८७३ में भारत के ब्रिटिश सरकार ने हिमालय तलहटी से लग कर एक सीमा रेखा तय कर दी थी| यह सीमा आजके अरुणाचल प्रदेश के दक्षिण सीमा से होकर गुजरती है|
३) फिर ब्रिटिश सरकार ने चीनी सरकार के साथ मिलकर तिब्बत की बर्मा और सिक्किम देशो के साथ सीमाए तय की जो की तिब्बत ने मानने से इंकार कर दी थी|
४) सन १९१० से १२ के बिच चीन के क्विंग वंश की हुकूमत के दौर में तिब्बत को चीन ने जितने की कोशिश की थी| इसी समय ब्रिटिश सरकार ने अपनी फौज को आजके अरुणाचल प्रदेश में भेज दी थी| 
५) सन १९१२ में अरुणाचल प्रदेश और उत्तर पूर्व फ्रंटियर ट्रैक्ट्स का निर्माण हुआ| फिर १९१२ - १३ के समय में ब्रिटिश सरकार की एजेंसी ने उस जगह रहने वाली विभिन्न आदिवासी जातियों के मुखियाओ से अग्रीमेंट कर लिए थे| इन अग्रीमेंट्स के हिसाब से यह जगह ब्रिटिश सरकार के आधीन हुई|
६) फिर १९१३ में सिमला एकॉर्ड या शिमला समझोता की सभा हुई जिसमे चीन, तिब्बत और भारतीय ब्रिटिश सरकारों के प्रतिनिधि मौजूद थे| इस सभा में मैकमोहन लाइन हेनरी मैकमोहन द्वारा निकाली गयी| मैकमोहन लाइन को सहमती तिब्बत और ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों ने दी थी पर चीन की सहमती पर अभीभी सवाल है| क्यों की २७ अप्रेल १९१४ के दिन पहले नक़्शे पर तीनो देशोके प्रतिनिधियों की सहमती जताने वाले दस्तखत है पर ३ जुलाई १९१४  के आखरी समझोते पर चीन के दस्तखत नहीं है| मैकमोहन लाइन तिब्बत और भारत की ब्रिटिश सरकारों के बिचमे तय हुई थी और उस समय चीन के प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे और इसीलिए ब्रिटिश सरकार चीन की सहमती नहीं ले पाई थी| और यही वजह है मैकमोहन लाइन के विवाद की| तिब्बत सरकार ने भी मैकमोहन लाइन को अमान्य कर दिया था|

७) १९३५ तक मैकमोहन लाइन को भुला दिया गया था| फिर लोक सेवा अधिकारी ओलाफ कारोए ने इस मैकमोहन लाइन को याद किया|
८) सन १९३७ में सर्वे ऑफ़ इंडिया ने मैकमोहन लाइन को आधिकारिक तरीकेसे तिब्बत और भारत के बिच की सीमा कहकर प्रकाशित किया|
९) अप्रेल १९३८ में ब्रिटिश फौज की एक छोटी टुकड़ी कप्तान जी. एस. लाईटफूट के नेतृत्व में  तवांग मठ पोहोची और यह बताया गया की तवांग अब भारत का हिस्सा है| पर तिब्बत सरकार ने इसका विरोध किया| तवांग शहर के अलावा मैकमोहन लाइन के किसी भी हिस्से में तिब्बत ने कोई आपत्ति नहीं जताई| १९५१ तक तवांग तिब्बत का हिस्सा था| 
१०) सन १९४४ में तवांग क्षेत्र में उत्तर पूर्व फ्रंटियर ट्रैक्ट्स ने प्रत्यक्ष प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित किया था पर यह हिस्सा फिरसे तिब्बत के आधीन हो गया|
११) सन १९४७ में तिब्बत सरकार ने मैकमोहन लाइन के दक्षिण में स्थित तिब्बती जिलो के अधिकार के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय को ख़त लिखा था|
१२) चीन में सन १९४९ में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद तिब्बत को मुक्त करने की घोषणा की| इस घोषणा के उत्तर में सन १९५०-५१ में पंडित नेहरु के नेतृत्व की भारत सरकार ने मैकमोहन लाइन को अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा घोषित की और तवांग तथा अन्य जिलो को भारत के आधीन किया|
१३) सीमा के विवाद के चलते भारत सरकार ने नारा लगाया - हिंदी चीनी भाई भाई|
१४) १९५४ की परिषद में भारत और चीन की सीमा विवाद स्थिर किया गया| 
१५) चौदहवे दलाई लामा के भारत में आगमन की वजह से १९५९ में यह विवाद फिर से उभरा क्यों की तिब्बत के दलाई लामा को भारत में शरण दी गयी और इसका मतलब "मैकमोहन लाइन का सम्मान करने के लिए चीन से प्रतिबद्धता को सुरक्षित नहीं किया गया" ऐसा निकाला गया जिसकी वजह से सीमा का विवाद फिर से शुरू हो गया|
१६) इस समय चीन से जूझने के लिए नेहरुजी ने फ्रंटियर ट्रैक्ट्स पर ज्यादा से ज्यादा भारतीय फौज की चौकिया बनाने का फरमान जारी किया था| दलाई लामा को शरणागति प्रदान करने पर उस समय के समाचार माध्यमो ने नेहरुजी के बारेमे काफी विरोध जताने वाली बाते फैलाई तथा भारतीय समाचार संस्थाओने तिब्बत के स्वतंत्रता की वकिली करना शुरू कर दी थी| इसी वजह से भारत - चीन विवाद और बढ़ गया| 
१७) १९५९ में चीनी फौज को लोंग्जू और तसारी चु इन जगहों पर भारतीय सेना की चौकिया मिली थी| यह दोनों जगह मैकमोहन लाइन के उत्तर में है|
१८) इसी विवाद के चलते १९६२ में चीन और भारत के बिच युद्ध शुरू हुआ| यह घटना भारतीय जनता के लिए बेहद शर्मनाक थी| इस युद्ध में सोवियत संघ, यूनाइटेड स्टेट्स और ब्रिटेन ने भारत को मदत की थी|
१९) १९६३ में चीन ने मैकमोहन लाइन भारतीय युद्धकैदियों के बदले वापस ले ली|
२०) भारत में १९७२ में उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी को अरुणाचल प्रदेश घोषित किया गया| पर चीन ने इस जगह को दक्षिण तिब्बत नाम दिया|
२१) १९८१ में चीनी नेता देंग क्सिओपिंग ने इस सीमा विवाद को स्थिरता देने हेतु चर्चा की पर कोईभी निष्कर्ष नहीं निकला और कोई अग्रीमेंट नहीं हुआ 
२२) सन १९८८ में राजीव गांधीजी ने चीन को भेट दी और एक सयुक्त कारकरी समूह को सहमती दी गयी जो की सीमा विवाद पर एक अच्छा निर्णय था| 
२३) १९९३ की सहमती के हिसाब से एक समिति गठित की गयी जो लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल पर काम करने वाली थी | पर इस समिति ने कोई काम नहीं किया|
२४) १९९६ में चीन - भारत सहमती के तहत विश्वास निर्माण करने वाले उपायों पर काम किया गया| जो इस विवाद को कम करने में काफी फायदेमंद था|
यह मैकमोहन लाइन से जुडी मालूमात है| मैकमोहन लाइन यह थोडा विवादस्पद विषय है| इस लेख को केवल जानकारी एवं पढाई हेतु लिखा गया है| लेखिका किसी भी विवाद का समर्थन नहीं करती है| इस लेख में अगर कोई विवादास्पद घटना का उल्लेख हुआ हो तो कृपया क्षमा करे और उस संदर्भमे कमेंट अवश्य करे ताकि उपयुक्त सुधारना की जा सके| और भी मालूमात जो इसमें नहीं दी गयी है कृपया कमेंट करे| धन्यवाद! 

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