शिमला समझोता यह अभी काफी चर्चा का विषय है| इस लेख में १९१४ के शिमला समझोता या सिमला एकॉर्ड १९१४ के बारे में मालूमात शेयर कर रही हु| उम्मीद है ये आपके काम आएगी| यह लेख आपके ज्ञान को बढ़ाने हेतु है| इसीलिए इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे| अगर आप लोक सेवा आयोग या अन्य कोई स्पर्धा परीक्षा की तयारी कर रहे हो तो यह लेख आपके लिए जरुरी है| यह हिंदी में लिखा है - अगर आप किसी अन्य भाषा में इस पढ़ना चाहते हो तो कृपया ट्रांसलेटर फीचर का उपयोग करे| इस ब्लॉग को फोलो करे ताकि और भी ज्ञान भरी बाते आपके साथ शेयर हो सके|
तो आइये जानते है शिमला समझोता या सिमला एकॉर्ड १९१४ के बारे में
१) १९ वी सदी के वक्त तवांग व्यापार का एक महत्वपूर्ण स्थान था जो की तिब्बत में यानी की आजे के चीन में आता था|
२) १९१३ में शिमला, हिमाचल प्रदेश में ब्रिटिश सरकार ने तिब्बत की सीमा रेखाओ के बारेमे फैसला लेने हेतु एक सभा का आयोजन किया था| इस सभामे ब्रिटिश सरकार, नया चीन गणराज्य और ल्हासा की तिब्बत सरकार के प्रतिनिधी मौजूद थे|
३) क्विंग राज वंश १९१३ में नष्ट हो गया और चीन तब चीन गणराज्य बन गया|
४) हेनरी मैकमोहन इन्होने तिब्बत के दो हिस्से बनाने का सुझाव दिया - इस सुझाव के हिसाबसे एक लाइन निकली गयी जिसे मैकमोहन लाइन कहा जाता है| यही तिब्बत और भारत के बिच की सीमा रेखा है|
५) मैकमोहन लाइन तिब्बत और ब्रिटिश राज के प्रतिनिधियों ने तय की थी और उस समय चीन के प्रतिनिधी मौजूद नहीं थे|
६) इस सभा में तिब्बत और चीन की सीमा तय नहीं हो पाई इसीलिए इस सभा में कोईभी निर्णय नहीं हो सका और मैकमोहन लाइन भी भुला दी गयी|
७) पर कुछ समय बाद मैकमोहन लाइन को सही मायने में भारत के उत्तर-पूर्व हिस्से और आजके चीन के बिच की सीमा रेखा मना गया है|
मैकमोहन लाइन के बारेमे दुसरे लेख में पूरी मालूमात दी जाएगी इसीलिए इस ब्लॉग पर बने रहिये| अरुणाचल प्रदेश से जुडी और भी मालूमात आप पढ़ सकते है|
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