अगर आप भारत की महान नदियों बारेमे जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़िए क्युकी इसमें पवित्र नदी ब्रम्हपुत्र के बारेमे जानकारी आपके लिए लिखी गयी है। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया करके इसे शेयर करीये। ब्रम्हपुत्र भारत ही नहीं बल्कि चीन और बांग्लादेश इन देशोंको भी पवित्र करती हुई बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।
छायाचित्र श्रेय :- विकिपीडिया
ब्रम्हपुत्र के बारेमे रोचक जानकारी निचे लिस्ट की हुई है -
- एशिया और भारत की प्रमुख नदियों में एक नदी है पूर्वोत्तर भारत में बहने वाली ब्रम्हपुत्र नदी।
- ब्रम्हपुत्र का मतलब ब्रम्हा का पुत्र।
- प्रायः नदियों के नदियों के नाम स्त्रीलिंगी रहते है पर ब्रम्हपुत्र इसे अपवाद है।
- ब्रम्हपुत्र अंतर देशीय सिमा से बहती है - तिब्बत (अब चीन), भारत और फिर बांग्लादेश से हुई बंगाल की खाड़ी में सागर से मिलती है।
- ब्रम्हपुत्र विविध नामो से जानी जाती है - जैसे तिब्बत में "यार्लुंग त्संगपो" नामसे जानी जाती है।
- तिब्बत के बाद यह नदी बहती हुई अरुणाचल प्रदेश में आती है जहाँ की जनता इसे "सियांग और दिहांग" भी कहती है।
- वैसे भारतीय लोग इसे ब्रम्हपुत्र ही कहते है पर असम के बोडो समुदाय ने इसे "भुल्लम बुथुर" नाम दिया है जिसका मतलब है "कल कल की आवाज निकालना"।
- चीनी भाषा में इसे "या-लू-त्सांग-पु चियांग" या "यरलुंग जैंगबो जियांग" कहा गया है।
- बांग्लादेशी लोग इसे जमुना कहते है। इसे यमुना के साथ मत जोड़ें क्युकी दोनों अलग अलग है।
- उद्गम को लेकर कई मान्यताये है - जैसे कुछ उद्धरण के हिसाबसे मानसरोवर से इसका उद्भव हुआ है जबकि कई सर्वक्षकों ने ये पाया की मानसरोवर के पास नेपाल और हिमालय पर्वत शृंखला के उत्तर भाग तथा तिब्बत के बुरंग प्रदेश में आता है। इस परिसर में इसे यारलुंग त्सांगपो नदी कहा जाता है।
- ब्रम्हपुत्र का उद्गम स्थान समुद्र सतह से ५२१० मी की उचाई पर है।
- अब ४००० मी की समुद्री तट से औसत उचाई पर दक्षीण तिब्बत में पूर्व दिशा में यह नदी करीब करीब १७०० किमी बहती है।
- इसके बाद यह अरुणाचल प्रदेश में हिमालय के बार्वा पर्वत के पास दक्षिण पश्चिम दिशा में मुड़कर आती है। फिर आसाम और बांग्लादेश में बहती है।
- बांग्लादेशमे यह नदी कई शाखाओ में बात जाती है - इसलिए यह एक लटकार नदी का अच्छा उदाहरण है।
- गंगा नदी की पद्मा शाखा को मिलने के बाद ब्रम्हपुत्र मेघना नामसे जानी जाती है।
- यह दुनिया की १५वी सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई ३८४८ किमी है।
- सबसे ज्यादा १२० मी गहराई है पर औसतन गहराई ३८ मी है।
- वसंत ऋतू में जब बर्फ पिघलती है तब ब्रम्हपुत्र नदी में बाढ़ आने की संभावनाए ज्यादा होती है।
- समुद्रमे मिलने वाले पानी का दर अगर देखा जाये तो ब्रम्हपुत्र दुनियाकी सबसे बड़ी नदियोमेसे दसवे क्रमांक पर आती है। औसतन दर १९,८०० घन मी / सेकंद तथा बाढ़ के समय का दर १,००,००० घन मी / सेकंद है।
- ज्वारीय बोर का लक्षण बताने वाली कुछ नदियों में से एक नदी यह भी है - ब्रम्हपुत्र (मेघना)। ज्वारीय बोर मतलब नदी के मुहाने पर उर्ध्व प्रवाह में चलने वाली उच्च ज्वारीय तरंग।
- १८८४-८६ के दरमियान हुए सर्वेक्षण में ब्रम्हपुत्र का ऊपरी भाग मतलब यारलुंग त्संगपो पता चल पाया। तबतक यह बात अनजानी थी। अब इसे त्सांगपो-ब्रम्हपुत्र कहा जाता है।
- तिब्बत में नदी के दक्षिण में हिमालय शृंखल तथा उत्तर में कैलाश शृंखला है।
- तिब्बत में राका जांगबो (राका त्सांगपो), ल्हासा और न्यांग को (ञमडा) यह तीन नदिया अलग अलग जगहों पर मिलती है।
- दिबांग और लोहित नामक नदिया असम घाटी में ब्रम्हपुत्र से मिलती है।
- असम में उत्तरी पर्वत शृंखलाओं से कामेंग, सुबनसिरी, भरेली, धनसिरी, मानस, चंपामती, सरलभंगा, संकोश यह नदिया ब्रम्हपुत्र में आ मिलती है।
- दक्षिण दिशाकी पर्वतो की रेखासे बुरहि दिहिंग, दिसांग, दिखू तथा कोपीली नदिया भी ब्रम्हपुत्र के पात्र में मिलती है।
- असम के डिब्रूगढ़ और लखीमपुर जिले में ब्रम्हपुत्र के दो प्रवाह हो जाते है - उत्तरी खेरकुटिआ प्रवाह और दक्षिणी ब्रम्हपुत्र। १०० किमी के प्रवास के बाद यह दोनों प्रवाह आपसमे मिल जाते है। इस जगह जो द्वीप बना है उसे माजुली द्वीप कहते है।
- माजुली द्वीप दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा द्वीप है जो नदीमे बना है।
- असम में ब्रम्हपुत्र नदी सबसे चौड़ी मतलब २०किमी है।
- गुवाहाटी के पास हाजो तीर्थस्थल के करीब शिलाँग पहाड़ी मैदान में ब्रम्हपुत्र चौड़ाई मात्र १किमी रह जाती है।
- सन १६७१ में सराईघाट की लड़ाई ब्रम्हपुत्र के इसी सबसे संकीर्ण प्रवाह के पास हुई।
- अप्रेल १९६२ में ब्रम्हपुत्र पर बना पहला रेल - सड़क संयुक्त सेतु परिवहन हेतु लोकार्पित किया गया था।
- भारत के धुबुरी के निचे गारो पहाड़ियों दक्षिण में हुए ब्रम्हपुत्र बांग्लादेश के मैदानों में जा पोहोचती है।
- चीलमारी बांग्लादेश में बहने के बाद तीस्ता नदी ब्रम्हपुत्र को बांग्लादेशमे मिलती है। इसके बाद जमुना के नामसे पुकारा जाता है।
- तीस्ता संगम के बाद दक्षिण गायबंदा के पास नदी फिरसे दो भागो में बात जाती है - दक्षिण की तरफ जमुना तथा पूर्व की तरफ पूर्व ब्रम्हपुत्र।
- इसकेबाद गंगा से मिलने के पहले जमुना में बराल, अटरै तथा हुरासागर नदियोंके प्रवाह दाहिने तरफ से मिलते है। और बायीं तरफ से एक प्रवाह धालेस्वरी नदी की तरफ जाता है।
- धालेस्वरी नदी की सहायक बुरीगंगा नदी ढाका से बहते हुए मुंशीगंज के पास मेघना नदी से मिलती है।
- जमुना जिसमे ज्यादा पानी बेहता है वो गोआलुंडो घाट के उत्तर में गंगा की शाखा पद्मा से मिलती है। उसके बाद पूरा नदी प्रवाह अनेक शाखाओं में बटता हुआ गंगा-ब्रम्हपुत्र डेल्टा को सींचते हुए बहता है।
- पूर्व ब्रम्हपुत्र दक्षिण-पूर्व में घूमती हुई मेघना नदी से ढाका के पास मिलती है।
- चांदपुर के पास पद्मा और मेघना नदियोंका संगम होता है जिसे आगे मेघना कहा जाता है। जो बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है।
- गंगा डेल्टा का क्षेत्रफल ५९,५७० वर्ग किमी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी का दहाना है।
- पूरी ब्रम्हपुत्र नदी का पात्र ६,५१,३३४ वर्ग किमी है।
- ब्रम्हपुत्र के मोड़ और किनारे पर अस्थायी रेत का जमना आम बात है।
यह थी ब्रम्हपुत्र के बारेमे आम बाते। अगर यह आपको पसंद आया हो तो जरूर शेयर करिये। और भी जानकारी आपको पढ़ने मिलेंगी इसी ब्लॉग पर इसीलिए इसे मुफ्त में फॉलो करीये। अगर आपको इससे ज्यादा और कुछ भी पता हो तो कमेंट जरूर कीजिये निचे कमेंट बॉक्स में आपके सुझाव जल्द से जल्द प्रकाशित किये जायेंगे। अगर आप और किसी विषय में जानना चाहते हो तो जरूर कमेंट में बताइये।
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद्।
No comments:
Post a Comment