तवांग का बुद्ध विहार यह अरुणाचल प्रदेश का मुख्य धार्मिक स्थल है| तिब्बतियन लोग भी इस मोनेस्ट्री को बहोत मानते है| आइये इसके बारेमे कुछ जानकारी लेले|
१) भारत का सबसे बड़ा बुध्द विहार: तवांग मठ|
२) तवांग शहर से २ की.मी. की दुरी पर यह मठ स्थित है|
३) तवांग नदी की घटी में यह मठ है|
४) इसे मेराक लामा लोद्रे ग्यात्सो ने सन १६८१ में स्थापित किया था|
५) यह बुद्ध धर्म की अन्तेर्राष्ट्रीय धरोहर है|
६) पत्थरों से बने प्रवेश द्वार का नाम ककालिंग है|
७) यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बुद्ध मोनेस्ट्री है जो की ल्हासा के मोनेस्ट्री से धार्मिक तौर पर जुडी हुई है|
८) यह गेलुग स्कूल ऑफ़ महायाना बुद्धिज़्म से जुडी हुई है|
९) तोर्ग्या पर्व बड़ी धूमधामसे यहाँ मनाया जाता है - इस समय अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत से कई श्रद्धालु उत्सव में भाग लेने आते है|
१०) यह मोनेस्ट्री ताना मंदेखंग नामक पहाड़ी पर बनि है|
११) मोनेस्ट्री बनने से पहले यहाँ पर काला वान्गपो नामक राजा का राजमहल था|
१२) मोनेस्ट्री में जगह जगह पे मंडला चित्रकारी की हुई है|
१३) जून से ओक्टोबर के बिच आप इस जगह को देखने जा सकते है|
१४) तवांग में अगर आपको घूमने जाना है तो स्पेशल इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है जो दिल्ली, कलकत्ता, गुवाहाटी या तेजपुर से प्राप्त किया जा सकता है|
१५) १९५० में जब दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा तो वह इसी तवांग मोनेस्ट्री में कुछ दिन रुके और फिर भारत में शरण ली|
१६) पाचवे दलाई लामा न्गवांग लोबसांग ग्यात्सो के आशीर्वाद से यह मठ बना है|
१७) छठे दलाई लामा का जन्म इसी जगह हुआ है|
१८) इस मोनेस्ट्री का पूरा नाम है - तवांग गाल्डन नामगये ल्हत्से|
१९) "ता" का मतलब घोडा और "वांग" का मतलब चुना हुआ - मतलब एक चुने हुए घोड़े की वजह से यह जगह एक धार्मिक स्थल बन गयी इसीलिए इस जगह का नाम तवांग पड़ा है|
२०) समुद्र सतह से यह जगह १०,००० फीट उचाई पर स्थित है|
२१) यहाँ १८ फीट उची पद्मासन स्थिति में बुद्ध भगवान की स्वर्ण की मूर्ति है|
२२) माना जाता है की पाल्देन ल्हामो देवी या श्री देवी मोनेस्ट्री की रक्षक है - इस देवी का वर्णन हिदुओ की काली माता के समान है|
२३) तोर्ग्या उत्सव १० से १२ जनवरी के बिच मनाया जाता है|
इमेज क्रेडिट: CPREE, चेन्नई
१) भारत का सबसे बड़ा बुध्द विहार: तवांग मठ|
२) तवांग शहर से २ की.मी. की दुरी पर यह मठ स्थित है|
३) तवांग नदी की घटी में यह मठ है|
४) इसे मेराक लामा लोद्रे ग्यात्सो ने सन १६८१ में स्थापित किया था|
५) यह बुद्ध धर्म की अन्तेर्राष्ट्रीय धरोहर है|
६) पत्थरों से बने प्रवेश द्वार का नाम ककालिंग है|
७) यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बुद्ध मोनेस्ट्री है जो की ल्हासा के मोनेस्ट्री से धार्मिक तौर पर जुडी हुई है|
८) यह गेलुग स्कूल ऑफ़ महायाना बुद्धिज़्म से जुडी हुई है|
९) तोर्ग्या पर्व बड़ी धूमधामसे यहाँ मनाया जाता है - इस समय अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत से कई श्रद्धालु उत्सव में भाग लेने आते है|
१०) यह मोनेस्ट्री ताना मंदेखंग नामक पहाड़ी पर बनि है|
११) मोनेस्ट्री बनने से पहले यहाँ पर काला वान्गपो नामक राजा का राजमहल था|
१२) मोनेस्ट्री में जगह जगह पे मंडला चित्रकारी की हुई है|
१३) जून से ओक्टोबर के बिच आप इस जगह को देखने जा सकते है|
१४) तवांग में अगर आपको घूमने जाना है तो स्पेशल इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है जो दिल्ली, कलकत्ता, गुवाहाटी या तेजपुर से प्राप्त किया जा सकता है|
१५) १९५० में जब दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा तो वह इसी तवांग मोनेस्ट्री में कुछ दिन रुके और फिर भारत में शरण ली|
१६) पाचवे दलाई लामा न्गवांग लोबसांग ग्यात्सो के आशीर्वाद से यह मठ बना है|
१७) छठे दलाई लामा का जन्म इसी जगह हुआ है|
१८) इस मोनेस्ट्री का पूरा नाम है - तवांग गाल्डन नामगये ल्हत्से|
१९) "ता" का मतलब घोडा और "वांग" का मतलब चुना हुआ - मतलब एक चुने हुए घोड़े की वजह से यह जगह एक धार्मिक स्थल बन गयी इसीलिए इस जगह का नाम तवांग पड़ा है|
२०) समुद्र सतह से यह जगह १०,००० फीट उचाई पर स्थित है|
२१) यहाँ १८ फीट उची पद्मासन स्थिति में बुद्ध भगवान की स्वर्ण की मूर्ति है|
२२) माना जाता है की पाल्देन ल्हामो देवी या श्री देवी मोनेस्ट्री की रक्षक है - इस देवी का वर्णन हिदुओ की काली माता के समान है|
२३) तोर्ग्या उत्सव १० से १२ जनवरी के बिच मनाया जाता है|
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यह तवांग मोनेस्ट्री के बारेमे लिखी गयी मालूमात है| अगर कोई मालूमात छुट गयी हो या कोई गलती हुई हो तो कृपया कमेंट में उल्लेख करे ताकि अन्य वाचको के लिए इस ब्लॉग में सुधार हो सके| यह मालूमात आपका सामान्य ज्ञान बढ़ाने हेतु यहाँ संकलित की गयी है| इस मालूमात से आप स्पर्धा परीक्षाओकी तैय्यारी कर सकते है| अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद|
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