शतरंज का शौक़ीन नहीं था इसलिए धोखा खा गया,
वो मोहरे चल रहे थे और मैं रिश्तेदारी निभा रहा था !!
=====शायरी भी एक खेल है शतरंज का
जिसमे लफ़्ज़ों के मोहरे मात दिया करते है एहसासों को
=====शतरंज मे वज़ीर और ज़िंदगी मे ज़मीर,
अगर मर जाए तो समझिए खेल ख़त्म.
=====Image Credit: suraj358.wordpress.com
=====
जीवन शतरंज के खेल की तरह है, और यह खेल आप ईश्वर के साथ खेल रहे हैं।
आपकी हर चाल के बाद, अगली चाल वो चलता है
आपकी चाल आपकी पसंद कहलाती है, और उसकी चाल परिणाम कहलाती है
=====
युँ शतरंज की तरहा खेल ना खेल तु प्यार का
रे जालिम अगर तु हार गया तो दर्द सह नही पायेगा
और हम तेरे गम मे जी नही पायेंगे
=====
शतरंज का एक नियम बहुत ही उमदा है -
चाल कोई भी चलो पर
अपने वालो को नहीं मार सकते.
काश ये नियम इंसानो में भी होता.
=====
शतरंज सी जिन्दगी में कौन किसका मोहरा है
आदमी एक है मगर सबका किरदार दोहरा है
=====
मेरे तन से महकती है तेरी खुशबू, अपनी सांसो से हटाऊ कैसे
तेरी इश्क की सजदा की है मैने, तेरी सूरत से नजरे हटाऊ कैसे
=====
वो दोस्त मेरी नजर में बहुत मायने रखते है.
जो सही वक्त पर मेरे सामने आईने रखते है
=====
जो 'आपकी-खुशी' के लिए 'अपनी हार' मान लेता हो.
उससे 'आप' कभी भी नहीं 'जीत' सकते...!!!"
=====
No comments:
Post a Comment