बांसुरी में तीन गुण है
पहला-
बांसुरी में गांठ नहीं है,
जो संकेत है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार
की गांठ मत रखो,
यानि मन में बदले की भावना मत रखो ।
दूसरा गुण-
बिना बजाये ये बजती नहीं है,
मानो ये बता रही है कि जब तक आवश्यक नही
हो, ना बोलें ।
और तीसरा-
जब भी बजती है, मधुर
ही बजती है ।
अर्थात जब भी बोलो मीठा ही बोलो ।
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जूठा आदमी अंत में सिवाय अपने और किसी को धोखा नहीं दे
सकता!
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भलाई करते रहिए, बहते
पानी की तरह,
बुराई खुद ही किनारे लग जाएगी, कचरे की तरह।
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ईश्वर की बनाई सृष्टि बेशकीमती खजानों से
भरी पड़ी है; पर चौकीदार एक भी नहीं व्यवस्था इतनी खूबसूरत कि दुनियां
में अरबों व्यक्तियों का आवागमन होता है पर यहां से एक तिल्ली भी कोई अपने साथ नहीं ले जा सकता ।
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दिखावा और झूठ बोलकर व्यवाहर बनाने से अच्छा है, सच बोलकर दुश्मन बना लो। तुम्हारे साथ कभी विश्वाशघात नही
होगा!
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यदि आप अपनी गलतियों से कुछ सीखतें है तो
गलतियां सीढ़ी है
नही सीखते है तो गलतियां सागर है
निर्णय आपका है- चढ़ना या डूबना
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जीवन में श्वास और विश्वास की एक समान
जरूरत होती है !
श्वास खत्म तो जिंदगी का अंत
विश्वास खत्म तो संबंध का अंत !
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जो कह दिया वह शब्द थे ; जो नहीं कह सके वो अनुभूति थी ।। और, जो कहना है मगर ; कह नहीं सकते, वो
मर्यादा है
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नादान से भी दोस्ती कीजिए ज़नाब, क्यों कि,
मुसीबत के वक़्त कोई भी समझदार साथ नही
देता
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हर दिन अच्छा हो जरूरी नहीं है लेकिन हर
दिन कुछ अच्छा जरूर होता है।
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बोल सको तो मीठा बोलो, कटु बोलना मत सीखो,
बता सको तो राह बताओ, पथ भटकाना मत सीखो
जला सको तो दीप जलाओ, दिल जलाना मत सीखो,
कमा सको तो पुण्य कमाओ, पाप कमाना मत सीखो,
पोंछ सको तो आंसू पोंछो, दिल को दुखाना मत सीखो
हँसा सको तो सबको हँसाओ, किसी पे हँसना मत सीखो।
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किस को पता जिंदगी का सफर कब खत्म हो
जाये जी लो जी भरके शायद ये मनुष्य जीवन फिर ना मिल पाये
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जिस से मिलने के बाद जिनें की उम्मीद बढ़
जाए समझ लेना वहीं प्रेम हैं
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शुभचिंतक वो नही होते जो आपसे रोज़ मिलें
और बातें करें
शुभचिंतक वो है जो आपसे रोज़ ना भी मिल
सकें फिर भी आपकी ख़ुशी के लिए प्रार्थना करें
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कभी-कभी आप बिना
कुछ गलत किये भी बुरे बन जाते हैं ,
क्योंकि जैसा लोग चाहते थे,
आप वैसा नहीं करते
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