अगर माता का नाम मालूम न हो तो सच्चिया माता सबकी माता है। ऐसेमें ये
गीत आप शुभ प्रसंगो पर दिए जाने वाले रातीजोगे के अवसर पर गा सकते है।
माता लीली सी टोपी हारीयासा बसतर ।
ये कांई ये म्हारी सच्चीया माता ऊभा बडतल जी । ।
म्हें तो जोवा छा र ज़वारा छा ।
म्हारा सेवगडारी जात ज ओ म्हारा जातीडारी बाडज़ ओ ।
म्हें तो जाना ओ, *सुरेंद्रजी रा **आशीषकुमारजी जात पधार सी
जी।
जाती आवला मन भावला, ब्यारा बेटा पोतारी जात ओ,
ब्यारा भाई वो भतीजा री जा त औ, थे तो चोढो ओ,
***गिलड़ारी ओ रान्या लचपच लापसी जी।
थे तों ओढावो औ, ***गिलड़ारी ओ रान्या , बोरंग चूंदड जी,
परावो ओ ***गिलड़ारी ओ रान्या दा त्यों चुढलोजी।
थे तो चढावो जो ***गिलड़ारा ओ कंवर लोलडा नारेळा जी।।
*सुरेंद्रजी की जगह पिता का नाम लेना।
**आशीषकुमारजी की जगह बेटे का नाम लेना। इस तरह घरके सभी पुरुषो और लड़को के नाम लेकर ये
लाइन बार बार गाना।
***गिलड़ा की जगह जिस घर में विवाह है उनका सरनेम लेना।
================
No comments:
Post a Comment