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Thursday 22 December 2016

जोक्स


दिग्विजय सिंह ने अमृता राय से शादी कर ली है। अब भी अगर किसी कांग्रेसी ने पूछा की - "अच्छे दिन" कब आएँगे? तो कसम से हाथ उठ जाएगा।.....


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पत्नी : मेरी शराफत देखो .. मैंने तुम्हे देखे बिगर ही शादी कर ली ...

पती : और मेरी शराफत देखो.... मैंने देख कर भी इन्कार नहीं किया....



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पत्नी : फोन पे इतनी धीमी आवाज में किससे बात कर रहे हो ?

पती : बहन है..!

पत्नी : तो फिर इतनी धीमी आवाज में किस लिए?

पती : तेरी है, इस लिए ..


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पत्नी : सुनो जी, अगर आपके बाल इसी रफ़्तार से झड़ते रहे तो मैं तुम्हे तलाक़ दे दूँगी!!

पती: या अल्लहा, और मैं पागल इनको बचानेकी कोशिश कर रहा था.....


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पत्नी : तुम सारी दुनिया ढूँढो, तो भी मुझ जैसी दूसरी नहीं मिलेगी .....

पती : तुम क्या समझती हो? मैं दूसरी भी तुम्हारी जैसी ढुँढूगा ..! हद्द हो गयी..


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तूफानी बारिश आधी रातएक आदमी Pizza Hut से पिज़्ज़ा लेने गया

पिज़्ज़ावाला:- आप शादीशुदा हो ??

आदमी:- साले, ऐसे तूफान में कौनसी माँ अपने बेटे को पिज़्ज़ा लाने भेजेगी..



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भिकारी (कार में बैठी सेठानी से):

"मैडम, १० रूपया दे दो.!"

मैडम ने पैसे दे दिये... . . भिकारी जाने लगा तभी .. . .

मैडम बोली :- बाबा, दुआ तो देते जाओ ..!

भिकारी :- BMW में तो बैठी हो मोटी, अब क्या ...रॉकेट में बैठेगी .!!"



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 क्या हालात हो गए हैं मेरे भारत देश के..

बापू बोले तो गांधीजी की जगह आसाराम दिखते हैं..

राधे-राधे कहो तो राधे माँ दिखती है..

आप कहो तो केजरीवाल दिखता है..

पप्पू बोले तो राहुल गांधी दिखता है..

इन्द्राणी मिठाई खाने का अगर कोई बोले तो इन्द्राणी मुखर्जी दिखाई देतीं हैं...

और तो और

किसीको शुभकामना दो तो हार्दिक बोलने में डर लगता है हार्दिक पटेल नजर आने लगता हैं।



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कंजूसी की ज़िंदगी भी क्या ज़िंदगी,

खुल के हमारी तरह जिया करो,

शरम नही आती रोज़ मेरे मसेज पढ़ के?

कभी खुद भी मेसेज किया करो!



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शायरी के पन्ने

धड़कन बिना दिल का मतलब ही क्या;
रौशनी के बिना दिये का मतलब ही क्या;
क्यों कहते हैं लोग कि मोहब्बत न कर दर्द मिलता है;
वो क्या जाने कि दर्द बिना मोहब्बत का मतलब ही क्या।


समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया;
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया;
ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में;
टूटा-फूटा ​ बचा​ रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया।


दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने;
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने;
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का;
कैसे बना था घौंसला वो तूफान क्या जाने।



आज फिर तेरी याद आयी बारिश को देख कर;
दिल पे ज़ोर न रहा अपनी बेबसी को देख कर;
रोये इस कदर तेरी याद में;
कि बारिश भी थम गयी मेरी बारिश को देख कर।


हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने;
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने;
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला;
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।



कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते;
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते;
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा;
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।


कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं;
इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं;
झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी;
इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।



बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।


हर सितम सह कर कितने गम छिपाए हमने;
तेरी ख़ातिर हर दिन आँसू बहाए हमने;
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला;
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।


एक दूसरे से, बिछड़ के हम कितने रंगीले हो गये...
मेरी आँखें, लाल हो गयी और तेरे हाथ, पीले हो गये..!!


राधा ! राधा !!




जय हो बरसाने वाली
श्री राधे राधे जी
मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!
सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!
परम् पुनीता राधा ! राधा !!
नित्य नवनीता राधा ! राधा !!
रास विलासिनी राधा ! राधा !!
दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!
नवल किशोरी राधा ! राधा !!
अति ही भोरी राधा ! राधा !!
कंचनवर्णी राधा ! राधा !!
नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!
सुभग भामिनी राधा ! राधा !!
जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!
कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!
आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!
रस आपूर्ति राधा ! राधा !!
नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!
नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!
कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!
कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!
कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!
परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!
सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!
परम् अनूपा राधा ! राधा !!
परम् हितकारी राधा ! राधा !!
कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!
निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!
नवल भामिनी राधा ! राधा !!
रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!
स्वयम् परमेश्वरी राधा ! राधा !!
सकल गुणीता राधा ! राधा !!
रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!
कर जोरि वन्दन करूँ मैं
नित नित करूँ प्रणाम
रसना से गाती रहूँ
.राधा राधा नाम.

॥श्रीकृष्ण शरणम् मम ॥


....जय श्री कृष्ण.....

उधो तुम भये भोरे पाती ले के आये दोड़े,
योग कहाँ राखें यहाँ रोम रोम श्याम है॥
फिर गोपी कहने लगी:–
हम सच कहती है
एक बार जिसे कृष्ण का चसका लग जाता है वह उसे छोड नहीं सकता.
हमारा तो जीवन प्राण आधार है वो,
हमें और किसी से क्या लेना- देना.
हमारी वाणी नित्य-निरन्तर उन्हीं के नामों का उच्चारण करती रहे
और शरीर उन्हीं को प्रणाम करने,
उन्हीं के आज्ञा-पालन और सेवा में लगा रहे।
उद्धवजी! हम सच कहते हैं,
हमें मोक्ष की इच्छा बिल्कुल नहीं है।
हम भगवान् की इच्छा से अपने कर्मों के अनुसार चाहे जिस योनि में जन्म लें वहां शुभ आचरण करें,
दान करें
और उसका बस फल यही पावें कि हमारे अपने ईश्वर श्रीकृष्ण में हमारी प्रीति उत्तरोत्तर बढाती है।

....जय श्री कृष्ण.....

गैरहाज़िर कन्धे



विश्वास साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। विश्वास साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने विश्वास साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। विश्वास साहब अपनी पत्नी भावना के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए।
दुर्भाग्य से विश्वास साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य विश्वास साहब के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। विश्वास साहब पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे।
एक रात्रि विश्वास साहब ने दवाई वगैरह देकर भावना को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से विश्वास साहब की मौत हो गई। पत्नी प्रात: 6 बजे जब जागी तो इन्तजार करने लगी कि पति आकर नित्य कर्म से निवृत्त होने मे उसकी मदद करेंगे। इन्तजार करते करते पत्नी को किसी अनिष्ट की आशंका हुई। चूँकि पत्नी स्वयं चलने में असमर्थ थी , उसने अपने आपको पलंग से नीचे गिराया और फिर घसीटते हुए अपने पति के पलंग के पास पहुँची। उसने पति को हिलाया–डुलाया पर कोई हलचल नहीं हुई। पत्नी समझ गई कि विश्वास साहब नहीं रहे। पत्नी की जुबान लकवे के कारण चली गई थी ; अत: किसी को आवाज देकर बुलाना भी पत्नी के वश में नहीं था। घर पर और कोई सदस्य भी नहीं था। फोन बाहर ड्राइंग रूम मे लगा हुआ था। पत्नी ने पड़ोसी को सूचना देने के लिए घसीटते हुए फोन की तरफ बढ़ना शुरू किया। लगभग चार घण्टे की मशक्कत के बाद वह फोन तक पहुँची और उसने फोन के तार को खींचकर उसे नीचे गिराया। पड़ोसी के नंबर जैसे तैसे लगाये। पड़ौसी भला इंसान था, फोन पर कोई बोल नहीं रहा था, पर फोन आया था, अत: वह समझ गया कि मामला गंभीर है। उसने आस–पड़ोस के लोगों को सूचना देकर इकट्ठा किया, दरवाजा तोड़कर सभी लोग घर में घुसे। उन्होने देखा -विश्वास साहब पलंग पर मृत पड़े थे तथा पत्नी भावना टेलीफोन के पास मृत पड़ी थी। पहले *विश्वास और फिर भावना की मौत* हुई। जनाजा दोनों का साथ–साथ निकला। *पूरा मोहल्ला कंधा दे रहा था परन्तु दो कंधे मौजूद नहीं थे जिसकी माँ–बाप को उम्मीद थी। शायद वे कंधे करोड़ो रुपये की कमाई के भार के साथ अति महत्वकांक्षा से पहले ही दबे हुए थे।*

लोग बाग लगाते हैं फल के लिए
औलाद पालते हैं बुढापे के लिए
लेकिन ......

कुछ ही औलाद अपना फर्ज निभा पाते हैं ।। अति सुन्दर कहा है एक कवि ने....

"मत शिक्षा दो इन बच्चों को चांद- सितारे छूने की।
चांद- सितारे छूने वाले छूमंतर हो जाएंगे।
अगर दे सको, शिक्षा दो तुम इन्हें चरण छू लेने की,
जो मिट्टी से जुङे रहेंगे, रिश्ते वही निभाएंगे....

तन्हाई

उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी;
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी!
वो खुद पर गरूर करते है, तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं!
जिन्हें हम चाहते है, वो आम हो ही नहीं सकते!
प्यार जो करता है उसका दिल भी अजीब होता है........
यार जैसा भी हो खुदा से भी अजीज होता है.....
तन्हाई की दीवारो पे घुटन का पर्दा झूल रहा है...
बेबसी की छत के नीचे,कोई किसी को भूल रहा है...
आपकी तारीफ में हम लिखे तो क्या लिखे,
की उठती नहीं है कलम सजदा करने के बाद !!
तुम मुझे मौका तो दो ऐतबार बनाने का;
थक जाओगे मेरी वफाओं के साथ चलते चलते!
"प्यार तो किया मैंने बहुत, मगर इज़हार न करना आया,
उसने पूछा तो मुझसे बहुत, मगर इकरार न करना आया"
"इश्क का बटवारा भी, बडी रजामंदी से हुआ हमारा.....!!
खुशियाँ उसने बटोर लीं, दर्द मैं ले आया....!!"
दिल में छिपी यादों से मैं सवारूँ तुझे,
तू दिखे तो अपनी आँखों मै उतारू तुझे !
तेरे नाम को अपने लबों पर ऐसे सजाऊ,
गर सो भी जाऊ तो ख्वाबो में पुकारू तुझे !!
कांटो सी चुभती है तन्हाई!
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई!
कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे!
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई!

Tuesday 13 December 2016

रडत-कुढत जगायचं नाही

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जाऊ द्या , जे व्हायचं ते झालं

पुन्हा पुन्हा नको त्या गोष्टी काढायच्या नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं नाही ........

काही चांगलं काही वाईट होतच असतं

हातावर हात देऊन बसायचं नसतं

साध्या-साध्या गोष्टी वरून चिडायचं  नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं नाही ..........

सगळं चांगलं होईल काळजी करु नका

प्रयत्न चालु ठेवा हिंमत हारु नका

मूलं करतील अभ्यास नवराही वागेल चांगला

आज शक्य नसेल तर उद्या बांधा ल बंगला

मुलाला लागेल नोकरी अन सुन सुद्धा येईल

मनासारखा जावई मिळून मुलगी सासरी जाईल

डोक्याला हात लावून बसायचं नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं नाही

हो हो बायको सुद्धा चांगलं वागेल भांडणार नाही

गा-हाण्याच दुकान रोज मांडणार नाही

हळू हळू सगळे जण योग-प्राणायाम करतील

सर्वांच्या तब्यती ठणठणीत  राहतील

दूर दूर गेलेले पुन्हा जवळ येतील

" चुकलो मला माफ करा " विसरून जा म्हणतील

आपण सुद्धा मनात काही ठेवायचं नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं  नाही

समजू नकोस " मी "च शहाणा बाकी सगळे वेडे

उंच स्वरात बोलण्याने सूटत नसतात कोडे

अहंकार जपू नकोस दुसऱ्यालाही किंमत दे

हिडिस-फिडिस् वागणं सोडून इतरांना हिंमत दे

भावनेच्या रांगोळीला तुड़वायचं  नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं  नाही

कुळाचार कुळधर्म जमेल तसं करत जा

कुठेतरी श्रद्धा  ठेऊन पायावर डोकं ठेवत जा

देव असेल किंवा नसेल देवपूजा करत रहावं

कुटुंब एकत्र येण्यासाठी सण साजरे करीत जावं

माणसं देतात दुःख म्हणून नाती-गोती तोडू नकोस

' प्राणवायु ' दिसेना म्हणून अस्तित्व  खोडू नकोस

संस्कृतीच बोट कधीच सोडायचं  नाही

नविन वर्ष रडत-कुढत जगायचं नाही .


हाथ थामने वाला


सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....

खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...

कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....

पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..

दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....

.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....

और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....

हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा भगवान था...

चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....

जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....

तो हँस कर बोला....

"तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....

आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"

रो दिया मै.... अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....

जिसको दो घडी जपा वो बचाने आये है...

और जिन मे हर घडी रमा रहा वो शमशान पहुचाने आये है....

तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....

कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....




Monday 12 December 2016

शायरी के पन्ने




ख्वाब...ख्याल... मोहब्बत, हकीकत... गम और तन्हाई...

जरा सी उम्र मेरी, किस किस के साथ, तेरे कारण बिताई....



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दुआ कौन सी थी हमे याद नही......बस इतना याद है,,.

दो हथेलियाँ जुड़ी थी !..एक तेरी थी,एक मेरी थी"!!



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पनाह मिल जाये रूह को जिसका हाँथ छूकर....

उसी हथेली पे घर बना लो..



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बहल तो जाता उसके झूठे वादों से मेरा दिल...

लेकिन कब तक चलती पानी मे, काग़ज की कश्तियाँ..??



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टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है....

मैने इस दुनिया में दिल सा कोई वफादार नहीं देखा....



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तेरी यादों में बिखरा पड़ा है मेरा वजूद ...

तुमने कभी ढूंढा ही नहीं मुझे ढूढ़ने वालों की तरह !!



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यूँ हद में रहकर भी,,,,,,चाहना बेहद मुझे !!

ऐसा हुनर .. तुमने सीखा कहाँ से ..



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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना;

दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।



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अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम को..

वो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे..!



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कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को .. !!

जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे .. !!



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हिंदी सुविचार

नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....  "नींद आधी मौत है"  और "मौत मुकम्मल नींद है"

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जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है
उम्र यू ही तमाम होती है ।

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कोई रो कर दिल बहलाता है और
कोई हँस कर दर्द छुपाता है.

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क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है
और मुर्दा तैर के दिखाता है...

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बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।.....

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लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..

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एक रूपया एक लाख नहीं होता , मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता

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झुको 'वहीं... जहाँ किसी के दिल में- तुम्हें झुकाने की 'जिद्द' ना हो !!


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खूबसूरत प्राणायाम
अपने भविष्य को पूरी शक्ति से अपने भीतर खींचे...
अपने वर्तमान को अपनी क्षमता अनुसार रोक कर रखें...
अपने भूतकाल को पूरी ताकत से बाहर निकाल दें...
यही है सर्वश्रेष्ठ जीवन योग...







नजर और नजरिया

एक बार की बात है। एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा। 

अगली सुबह, जब वे नाश्ता कर रहे थे, तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं – “लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता … ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं?’’

पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया।

एक-दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे। पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी…. “कब सीखेंगे ये लोग कि कपड़े कैसे साफ़ करते हैं…!!”

पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा।

पर अब तो ये आए दिन की बात हो गई, जब भी पत्नी कपड़े फैले देखती भला-बुरा कहना शुरू हो जाती।

लगभग एक महीने बाद वे नाश्ता कर रहे थे। पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठाईं और सामने वाली छत की तरफ देखा, “अरे वाह! लगता है इन्हें अकल आ ही गयी…

आज तो कपड़े बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं, ज़रूर किसी ने टोका होगा!”

पति बोला, “नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका।”

“तुम्हे कैसे पता?” पत्नी ने आश्चर्य से पूछा।

“आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया, इसलिए तुम्हें कपड़े साफ़ नज़र आ रहे हैं।”

ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है। बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है कि हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं।

किसी के बारे में भला-बुरा कहने से पहले अपनी मनोस्थिति देख लेनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम सामने वाले में कुछ बेहतर देखने के लिए तैयार हैं या अभी भी हमारी खिड़की साफ करनी बाकी है।


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Joker is back

1====

लड़की ने प्यार से एडमीन के सीने पर अपना सर रखा और बोली : जानू, आपका दिल कितना कुरकुरा है|

एडमीन : अरे पगली वो दिल नहीं ,जेब में तम्बाकू की पुडिया है। खायेगी?"



2====

पत्नी ने अचानक पति के गाल पे चांटा जड़ दिया चटाक!

पति बेचारा तिलमिला उठापति- मारा क्यों …?

पत्नी- जानू , गाल पे मच्छर था……. और मेरे जीते जी कोई और, आपका खून पिये ये मुझसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं होता !



3====

एक हरियाणा का था .. उसके घर पर बहुत मच्छर हो गये, तो उनसे परेशान होकर उसने मच्छरदानी लगानी शुरू की.

अब हुआ यूँ कि,भाई साहब की मच्छरदानी में एक छेद हो गया अब उसमें से मच्छर अन्दर आते और काटते, सो तकलीफ जस की तस रही.

सिलाई करना आता नहीं था, अब करे तो करे क्या ?

आखिर उसके दिमाग ने एक उपाय ढूंढ ही निकाला, उसने उस छेद के सामने एक और छेद कर दिया और एक छोटी पाइप लेकर आरपार रख दी, अब मच्छर एक छेद में से जाते दुसरे में से बाहर..





4====



एक आदमी दुआ कर रहा था, या खुदा मेरे धंधे में बरकत दे।

तभी पीछे से आवाज आई, कोई आमीन मत बोलना ... सारे निपट जाओगे, यह कफन बेचता है।





5====



होस्टेल स्टूडेंट टू हिज़ फ्रेंड: भाई धोका हो गया धोका

फ्रेंड:- क्या हो गया…??

स्टूडेंट:- घर से बुक्स के लिए पैसे मँगवाए थे, घर वालो ने बुक्स ही भेज दी….





6====



एक लड़का अचानक लड़कियों को देख कर शायर बन गया.. "लफ्ज़ तेरे, गीत मेरे, ग़ज़ल कोई सुना डालूं क्या..?? . . .



लड़की बोली- "हाथ मेरे, गाल तेरे, कान के नीचे बजा डालूं क्या ?





7====

1 लड़की के मना करने पर इतना दुःख नहीं होता,

जितना 1 दोस्त के ये कहने पर होता है की.. "यार,ग्रूप मे चैटिंग मत करो नहीं तो रिमूव कर दूंगा".



8====

कुदरत का सबसे बडा सच ::--

यदि आप फूलों पर सो रहे हैं तो ये आपकी पहली रात है l

और यदि फूल आप पर सो रहे है तो ये आपकी आखिरी रात है l



9===

अजब तेरी दुनिया गज़ब तेरा खेल

मोमबत्ती जलाकर मुर्दों को याद किया जाता है l

और मोमबत्ती बुझाकर जन्म दिन मनाया जाता है l



10===

कैसी विडम्बना है हमारे देश की

फूलन देवी डाकू होकर भी चुनाव जीत गई थी l

और किरन बेदी पुलिस वाली होकर भी हार गई l



11===

किस्मत के खेल निराले मेरे भैया

कितनी अजीब दुनिया हैं, जहाँ औरतें दूसरी औरतों की शिकायते करते नहीं थकती,

जबकि पुरूष दूसरी औरतोंकी तारीफ करते नहीँ थकते !!!

पुरुष सच में महान हैं !!



12===

हमने 5 औरतों को डव लगाया और 5आदमियों को बियर पिलायी .. ….

आदमियों के चेहरे पर ज्यादा रंगत थी|



13===

5 चीजें जो खत्म होने पे बहुत तकलीफ देते हैं

1. दोस्ती

2. पैसा

3. प्यार

4. रविवार और

5. इंटरनेट पेक

लास्ट वाला तो रुला ही देता है



14===

पुराने जमाने में जब कोई अकेला बैठकर हंसता था, तो लोग कहते थेकि इसपर कोई भूत- प्रेत का सांया है..!!

आज कोई अकेले में बैठकर हंसता है तो कहते हैंमुझे भी SEND कर दे



15===

भारत अब साफ सुथरा रहेगा क्योंकि अब पूरी ,  " निरमा वाशिंग पाउडर " की टीम  " संसद " में मौजूद है ...!!


हेमा , रेखा , जया , और सुषमा , सबकी पसंद ,निरमा .....




Strategic Alliances

  Strategic Alliances -  For any achievement gone need the right person on your team.  Sugriv was very keen on this. Very first Sugriva was ...