अरे ! शीलू तूनें इतनी सारी हरी सब्जियां ले ली ,दो दिन तक साफ नहीं होंगी।आप चिंता मत करों हो जायेगी ,मेरा ही घर नहीं है ,घर सबका है। मतलब
नीलू ने आश्चर्य
से पूछा । आप घर चलों, फिर दिखाती हूं।
जैसे ही घर में
घुसे ,
शीलू
का बेटा आया हाथ से सब्जियों का थैला ले लिया। मौसी आप भी चाय लोगें ?
हां ,नीलू ने
बोला। शीलू का बारह वर्षीय बेटा ठंड के मौसम में झट से चाय बना लें आया । शीलू
तूने भी रोहन को बोला रिमी बना लेती । रिमी पढ़ रही है । वैसे भी आपको चाय पीनी है
,पी लिजिए
कौन बनाके लाया उससे क्या फर्क पड़ता है? शीलू मुस्कुराते
हुए बोली ।
मेरा चिंटू तो
जरा भी काम को हाथ नहीं लगाया है ,रोहन ने बिना कहें चाय भी बना दी,नीलू ने
आश्चर्य किया । हां , दीदी घर सबका है ,हम सब
मिलकर काम करते हैं , सिर्फ मैं ही नहीं हम सबको एक दूसरे की
फ़िक्र रहती है।
नीलू इतने साल
बाद छोटी बहन शीलू के यहां रहने आई थी। दोनों बहने शाम को सब्जियां लेकर आई। चल
अभी वक्त है रात के खाने में ,हम दोनों मिलकर सब्जियां साफ कर
लेते हैं ,हरी
सब्जियों में वक्त लगता है , अकेले मुश्किल होती है । नहीं , दीदी अभी
नहीं ,अभी हम
पार्क चलते हैं ।शाम को घूमना का घूमना हो जाता है , दोस्तों
से मिलना भी हो जाता है ।शीलू झट से अपनी दीदी को साथ ले गई।ये मेरा वक़्त है दीदी
इस समय मैं सब्जियां साफ नहीं करती।
शीलू ने हंसकर
कहा ।
घूमकर आयें तो
देखा शीलू की चौदह वर्षीय बेटी रिमी ने आटा लगाकर रखा था । शीलू ने झट से रोटियां
सेंक दी और सब्जियां बना दी रिमी ने बराबर मदद कराई ।आठ बजे तक रात के खाने से
निपट गयें।
अरे ! वाह ,तेरे घर
में सभी काम करते हैं ,तू तो किस्मत वाली है । आज शनिवार
है ,
रियलिटी
शो देखते-देखते घर के सभी लोग बैठ गयें ।सबने मिलकर हरी सब्जियां साफ कर दीं।
बातों का दौर भी चलता रहा ,सबने आपस में दिन कैसा बीता ,वो एक
दूसरे को बताया । रोहन ने स्कूल की बातें बताई,रिमी ने
ट्यूशन की,
शीलू
ने अपने शौहर राहुल को घर , दोस्तों की बातें बताई तो राहुल ने
आॉफिस की ।
नीलू ये सब देखकर
दंग रह गई क्यों कि उसके घर में ये सब नहीं होता है ,वो अकेली
ही खपती रहती है | यूं तो मेड आती है ,पर बाकी
के कितने काम होते हैं ,उसे याद नहीं कि कभी बच्चों ने उसे
एक गिलास पानी भी पिलाया हो,टीवी में बच्चे घंटों बर्बाद कर
देते हैं,पर उसकी
जरा भी मदद नहीं करते ,उसका अपना शौहर भी तो घंटों मोबाइल
में डूबा रहता है | बेटी को सजने संवरने , पार्टी
से फुर्सत नहीं ,सब कितने अलग-अलग रहते हैं ।
अब उसे समझ आया
कि घर सबका होता है । तूने ये सब कैसे किया ,मुझसे तू
छोटी है ,
फिर
भी ।बस दीदी राहुल और मैंने मिलकर बच्चों को वक्त दिया ,उन्हें
अच्छी आदतें सिखाई,छोटी उम्र से ही अपना काम खुद करना सिखाया
,खेलने के
बाद अपने खिलौने सही जगह रखें, पढ़ाई के बाद किताबें फिर से रखें
। स्कूल से आते ही युनिफॉर्म इधर उधर ना बिखरा के ,करीने से
अलमारी में जमायें,अपने जूते मौजे सही जगह रखें,स्कूल का
लंच बॉक्स ,बोतल
रसोई सिंक में रखें। खाना खाकर अपने बर्तन खुद उठाकर रखें। रात को ब्रश करके सोयें
,सुबह
उठकर अपने बिस्तर खुद समेटें।पढ़ाई भी करें पर मम्मी की हर संभव मदद करें ,आखिर दी
घर सबका है ,सबकी
जिम्मेदारी है उसे साफ सुथरा रखें । मेरे घर में बेटा, बेटी
दोनों काम करते हैं।राहुल भी हरसंभव मदद करते हैं । कामकाजी महिलाओं को ही क्यों
आम गृहणी को भी अपने लिए वक्त चाहिए। गृहणी होने का ये मतलब नहीं कि वो दिन भर लगी
रहें ,अपने को
वक्त नहीं दें
घर के हर सदस्य
को अपना काम खुद करके सहयोग करना चाहिए। बच्चों में भी हम ये आदत डालेंगे तो वो भी
आगे जाकर किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे।ये हर महिला ,हर घर के
लिए अच्छा होगा।घर की गृहणी खुश रहेंगी तो घर में वैसे ही खुशहाली रहेगी।
हां,शीलू तू ठीक
कह रही है ,काश
मैंने भी बचपन से तेरे जैसी अच्छी आदतें डाली होती। सही है घर सबका होता है।
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कमेंट में कहिये जय श्री राम !
धन्यवाद!
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