नमस्ते दोस्तों। हाल फ़िलहाल में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। भारत में तो लॉकडाउन के चलते सभी लोग घर पर ही है। पर अगर आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति अच्छी होंगी तो आप इस रोग को हरा सकते और बाकी लोगों की भी मदत कर सकते हो। हिन्दू धर्म में मंत्र जाप का अति महत्व है। आज के ब्लॉग में आप कई ऐसे मंत्रो के बारेमे जानेंगे जो आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति का संवर्धनकरने में मदत करेंगी।
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अब आप कहेंगे वैज्ञानिक और डॉक्टर्स कह रहे है की कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है - ये मंत्र जपने से क्या होंगा? देखियेकोरोना वायरस इन्फेक्टेड लोग वैसे भी मर ही रहे है - क्या फर्क पड़ता है अगर कोई इलाज जो आध्यात्मिक है वो यथाशक्ति किसीने कर लिया - अपनी जगह पर बैठे बैठे - और उस इंसान की रोग प्रतिकारक शक्ति - इम्युनिटी - सुधर गयी। कोरोना से डरना नहीं है - सबने मिलकर सामना करना है - खास कर के वे लोग जो अपने घर में है सरकार के आदेशों का सम्मान कर रहे है।
निचे दिए मंत्रो में से कोईभी आप लीजिये और अपनी क्षमता के अनुसार इसका जाप करते रहिये।
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योग योग योगेश्वराय
भूत भूत भूतेश्वराय
काल काल कालेश्वराय
शिव शिव सर्वेश्वराय
शंभो शंभो महादेवाय
यह शिव के पांच बुनियादी स्वरूपों को दर्शाता मंत्र है - इसके बारेमे विस्तृत जानकारी के लिए सद्गुरु का यह लेख पढ़िए।
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गायत्री मंत्र तो सभीको पता हैं।
ॐ भूर् भुवः स्वः
तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
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हनुमान चालीसा को कोई कैसे भूल सकता है। हनुमान चालीसा की निम्न लिखित पंक्तियों का निरंतर जाप आपको निश्चित ही फलदायी होंगा।
1. बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार।
2. नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।
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स्वस्तिक मंत्र का जाप या दिन में एकबार पढ़ना भी लाभकारक है - वैसे यह मन्त्र हर पूजा पाठ के बाद बोला जाता है।
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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शीतला माता को आयुर्वेद की माता भी माना जाता है। इसके जप से भी फल प्राप्ति होंगी।
वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।
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यह मंत्र तो हर रोज एक बार कहना ही चाहिए।
ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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महामृत्युंजय मंत्र से परिचितहै।
ॐ ह्रौं जूं स:। ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ। स: जूं ह्रौं ॐ॥
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आकाश गायत्री मंत्र
ॐ आकाशाय च विद्महे नभो देवाय धीमहि, तन्नो गगनं प्रचोदयात!
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आप सभीके स्वास्थ्य की प्रार्थना ईश्वरसे करते हुए आजके इस ब्लॉग की समाप्ति करते है। घर पर रहिये - सुरक्षित रहिये। धन्यवाद।
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