एक वृद्धा कि बेटी को कही जाना था इसलिए वह दोनों रेलवे स्टेशन गए और टिकट लेकर रेल की राह देखने लगे। वृद्धा ने देखा की वहा पर रेल टूटी हुई थी।
गरीब वृद्धा सोचने लगी की कैसे किसी को इस बारे में बताऊ ताकि लोगो की जान बच सके। उसने आसपास देखा स्टेशन मास्टर भी कही नजर नहीं आ रहा था। टिकट खिड़की पर जाकर देखा तो कोई भी नहीं था। और रेल आने का समय हुए जा रहा था।
फिर उस वृद्धा ने सोचा किसी तरह से अगर आग जलाई जाये तो रेल के ड्राइवर को रेल रोकनी पड़ेगी। उस जगह उसे ऐसा कुछ भी न मिला जिससे वो आग जला सके। फिर वह तेजीसे अपने घर गयी और अपनी चारपाई को लेकर स्टेशन पर आ गई। लकड़ी की चारपाई को उसने आग लगा दी जिससे रेल के ड्राइवर को रेल रोकनी पड़ी।
ड्राइवर चिढ़ते हुई रेल से उतरा तो उसने देखा की रेल लाइन टूटी हुई है। उसने और सारे यात्रियों ने उस वृध्दा का धन्यवाद किया। फिर सभीने थोड़े थोड़े पैसे जमा करके चारपाई खरीदने के लिए उस वृद्धा को दिए।
कहानी का सार ये की आप अगर चाहे तो उचित संसाधन न होते हुए भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।
कहानी यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। इस कहानी को शेयर करें। जय श्री राम।
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