वन्दे मातरम साथियों ! अभी आपके लिए राजस्थानी गीत के बोल लायी हूँ। अगर आप राजस्थान से है तो कृपया इसे पढ़िए और आपकी भावनाये कमेंट करिये। राजस्थानी लोकगीत की बात ही बड़ी निराली है।
हर्या हर्या गोबर पीली पीली माटी, तो लीप चलूंगी आंगणा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
गोरे-गोरे मुखड़े पर पीली-पीली बेसर, पहरै चलूंगी बलमा
तीखे-तीखे नैणां में झीना-झीना सुरमा, तो सार चलूंगी बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
हरी-हरी साड़ी पर सुई-सुई चुनड़ी, तो ओढ़ चलूंगी बलमा
गोरी-गोरी बइयां मैं हरा-हरा चुड़ला, तो पहर चलूंगी बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
भूरी-भूरी पीण्डी में चोड़ी-चोड़ी पायल तो, पैहर चलूंगी बलमा
आगै-आगै बलमा पीछे-पीछे गोरी, तो गोद लीया ललना
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
मैया के भवन पर भीड़ हुई, तो बीछड़ गया री बलमा
सवा ए मण की मैया करूं ए कढ़ाई, तो जै घर आवै बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
सवा ए तोला गा मैया छत्तर चढ़ाऊँ, तो जै घर आवै बलमा
सवा ए गज की मैया ध्वजा ये चढ़ाऊं, तो जै घर आवै बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
मैया के भवन पर छीड़ हुई, तो आपे ही आए बलमा
पीछे मुड़ के देखण लागी, तो पास खड़े री बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
सवा ए सेरकी मैया करूँ ए कढ़ाई, तो आपे ही आए बलमा
सवा ए माषा का मैया छत्तर चढ़ाऊँ, तो आपे ही आए बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
करी ए कढ़ाई मेरा कुणबा खाई, तो भूल गई बामणां
छोरा बी खाई मेरी छोरियाँ बी खाई, तो एक पीण्डी बामणां
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद राजस्थानी, मारवाड़ी भाषा बोलने वाले आपके मित्रो के साथ इस गीत को शेयर करिये।
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