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सारी रात तुम्हारी यादों में खत लिखते रहे.....!!
पर दर्द ही इतना था की अश्क़ बहते रहे और अल्फ़ाज़ मिटते रहे....!!
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अगर इन आंसूओं की कुछ किमत होती,
तो कल रात वाला तकिया अरबों में बिकता ….
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ऐसी हसीं आज बहारो की रात है
एक चाँद आसमा पर हैं एक मेरे पास है
देने वाले ने कोई कमी ना की
किसको क्या मिला ये मुकद्दर की बात है
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वो गया तो फिर कभी सवेरा ही नहीं हुआ,
कमबख्त रात ही होती रही हर रात के बाद।
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बेचैन इस क़दर था कि सोया ना रात भर
पलको से लिख रहा था तेरा नाम चांद पर
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खोता गया, खोता गया, सब कुछ मेरा खोता गया
होता गया, होता गया, तूने चाहा जो होता गया
लुटता गया, मिटता गया, तकदीर से पिटता गया
फिर भी कलम की नोंक को कागज पे घिसता गया
जगता गया, रोता गया, दिन-रात यूं गुजरता गया
एक दिन मरा तो हर कोई मेरी लाश पे हंसता गया
आशिक हुआ, माशूक हुआ, शायर हुआ, दिल से हुआ
हर दर्द को सहता गया, हर जख्म पे गाता गया
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चले जो कदम कदम तू साथ मेरे तो तेरे साथ से प्यार हो जाए,
थामे जो प्यार से तू हाथ मेरा तो अपने हाथ से प्यार हो जाए,
जिस रात आए खवाबों मे तू उस सुहानी रात से प्यार हो जाए,
जिस बात मे आए जीकर तेरा तो उसी बात से प्यार हो जाए,
जो पुकारे तू प्यार से नाम मेरा तो अपने ही नाम से प्यार हो जाए,
होता है इतना खूबसूरत ये प्यार अगर तो खुदा करे तुझे भी मेरे प्यार से प्यार हो जाए.
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दब गई है नींद कही करवटों के बीच में.
दर पे खड़े रहते हैं कुछ ख्वाब रात भर
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तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं
जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।
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हम मिलायेंगें निग़ाहें उठते हुए सूरज से
हम गुज़री हुई रात का मातम नहीं करते
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मत पुंछ ऐ चाँद हमसे युं सारी रात जागने की वजह,
तेरा ही हमशक्ल है वों जो मुझे सोने नहीं देता!!!
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