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Tuesday, 28 April 2020

स्वयं को कमज़ोर बताकर अपनी महानता सिद्धकी न्यूटन ने

विश्व विख्यात न्यूटन की उपलब्धियां सर्वविदित है। उनके द्वारा की गई खोज और उनके परिणाम इतने सटीक है कि संपूर्ण विज्ञान जगत आज भी उनका अनुसरण करता है। इतने महान विद्वान और सफलता के शीर्ष पर खड़े होने के बावजूद न्यूटन अत्यंत विनम्र और मृदुभाषी सादगी कि वे प्रतिमूर्ति थे। एक बार न्यूटन बहुत बीमार हो गए। बड़े से बड़ा चिकित्सक भी उन्हें स्वस्थ नहीं कर पा रहा था पूर्णविराम सभी को महसूस हो रहा था कि न्यूटन का अंत समय नजदीक आ गया है। न्यूटन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी पूर्णविराम यह देखकर उनके एक अंतरंग मित्र ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा - आपको तो गर्व करना चाहिए कि आपने प्रकृति के गूढ़ रहस्य को बहुत नजदीक और ध्यान से देखा है और संपूर्ण विश्व आपके शोध परिणामों का अनुसरण करता है। मित्र की बात सुनकर न्यूटन बोले - संसार मेरे अनुसंधान के विषय में कुछ भी कहे, किंतु मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि मैं समुद्र तट पर खेलने वाले उस बच्चे के समान हु, जिसको कभी कभी अपने साथियों की अपेक्षा कुछ अधिक सुंदर पत्थर, शिवा शंख मिल जाते हैं। वास्तविकता तो यह है कि सत्य का अतः समुद्रा मेरे सामने अब भी बिना खोजा पड़ा है। वस्तुतः ज्ञान अनंत है, इसलिए कभी भी अपने ज्ञान को संपूर्ण मानकर अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार ज्ञान के सभी द्वार बंद करता है जबकि जी जिज्ञासु भाव से कुछ नया और सार्थक जाने का निरंतर प्रयास व्यक्ति को बौद्धिक व आत्मिक रूप से संपन्न बनाता है।

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