1)
क्या इतने दूर निकल आये हैं हम
कि तेरे ख्यालों में भी नहीं आते
2)
एहसास तो उसको भी बहुत है मेरी मोहब्बत का
वो तड़पाते इसलिए है कि मैं और भी टूट के चाहूँ उसे
3)
नही है कोई रंग तुझ सा.
और ना ही रंगा उस रंग में कोई मुझसा.
4)
सिखा दिया है जहां ने हर जख्म पर हंसना ,
देख जिंदगी अब हम तुझसे नहीं डरते ..
5)
नहीं जीना मुझे अब उस नकली अपनों के मेले में …
खुश रहने की कोशिश कर लूंगा खुद हीं अकेले में
6)
जिनके पास अपने हैं, वो अपनों से झगड़ते हैं
जिनका कोई नहीं अपना, वो अपनों को तरसते हैं..।
7)
कल न हम होंगे न गिला होगा।
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
8)
ख़ुद को मेरे दिल में छोड़ गये हों,
तुम्हें ठीक से बिछड़ना भी नहीं आता !
9)
आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की ,
ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो…!
10)
जहाँ अपनो की याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है,
पर जहाँ से अपने ना दिखे वो ऊंचाई किस काम की..