1)
संगमरमर के पत्थरों पर हमने भी लिखा था तेरे नाम का फ़साना
कौन कहता है बस शाहजहाँ अकेला आशिक था ताजमहल बनाने वाला
2)
कौन कहता है,
वक्त बहुत तेज है
तुम कभी किसी का,
इंतजार तो करके देखों
3)
कौन कहता है के मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह है, बस कमबख्त गवाही नहीं देते
कौन कहता है हम उसके बिना मर जायेंगे
हम तो दरिया है समंदर में उतर जायेंगे
वो तरस जायेंगे प्यार की एक बून्द के लिए
हम तो बादल है प्यार के…किसी और पर बरस जायेंगे
कौन कहता है कि..दिल सिर्फ सीने में होता है,!
तुझको लिखूँ तो मेरी उंगलियाँ भी धड़कती है
कौन कहता है कि तेरी मोहब्बत में मुझे कुछ ना मिला,
रातों की नींद गई और रोने का वक़्त मिला
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर..
कौन कहता है तस्वीर जुआ नही खेलती
कौन कहता है की दिल..
सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है,
तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी..
आँखें नाम कर देती है.
कौन कहता है संवरने से बढ़ती है खूबसूरती
दिलों में चाहत हो तो चेहरे यूँ ही निखर आते है
कौन कहता है इश्क़ मे बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ मे बस इनकार होता है,
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो,
क्यूंकी इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतेज़ार होता है…
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