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Friday, 9 February 2018
Divine sensitivity
One day Khalil Gibran was sitting at window of his house. It was the afternoon time and sudden commotion outside made Gibran look out. It was a criminal who was being taken for capital punishment. As per the extent tradition of the country punished soul used to be paraded in the town before execution.
As the criminal along with other people wear marching suddenly the criminal noticed a butterfly. Thinking that it will be trampled, crushed and killed by somebody's feet the criminal bend down and picking it, he housed it at higher and safer place.
Divine sensitivity displayed by the criminal knowing that he himself will be killed few minutes later impressed Gibran to no end.
Divine sensitivity is a vital catalyst in all human endeavours.
Commitment always facilitates the process of evolution. If teasing out and carving out such meaningful moment is a Herculean task, then sticking to it honestly and following its purport is also no mean task.
ईश्वर की कृपा
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*भीतर के "मैं" का मिटना ज़रूरी है!*
सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे। उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी। वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा, तुम क्यों रो रहे हो? लड़के ने कहा यह जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमें इस समुन्द्र को भरना चाहता हूँ पर यह मेरे प्याले में समाता ही नहीं। बच्चे की बात सुनकर सुकरात विस्माद में चले गये और स्वयं भी रोने लगे। अब पूछने की बारी बच्चे की थी। बच्चा कहने लगा- आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आपका प्याला कहाँ है? सुकरात ने जवाब दिया बालक, तुम छोटे से प्याले में समुन्द्र भरना चाहते हो, और मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जानकारी भरना चाहता हूँ। आज तुमने सिखा दिया कि समुन्द्र प्याले में नहीं समा सकता है, मैं व्यर्थ ही बेचैन रहा यह सुनके बच्चे ने प्याले को दूर समुन्द्र में फेंक दिया और बोला "सागर अगर तू मेरे प्याले में नहीं समा सकता तो मेरा प्याला तो तुम्हारे में समा सकता है। इतना सुनना था कि सुकरात बच्चे के पैरों में गिर पड़े और बोले- बहुत कीमती सूत्र हाथ में लगा है। हे परमात्मा! आप तो सारा का सारा मुझ में नहीं समा सकते हैं पर मैं तो सारा का सारा आपमें लीन हो सकता हूँ। ईश्वर की खोज में भटकते सुकरात को ज्ञान देना था तो भगवान उस बालक में समा गए। सुकरात का सारा अभिमान ध्वस्त कराया। जिस सुकरात से मिलने को सम्राट समय लेते थे वह सुकरात एक बच्चे के चरणों में लोट गए थे।
ईश्वर जब आपको अपनी शरण में लेते हैं तब आपके अंदर का "मैं" सबसे पहले मिटता है। या यूँ कहें *जब आपके अंदर का "मैं" मिटता है तभी ईश्वर की कृपा होती है।*
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तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म है l
" कर्म क्या है " :-
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"बुद्ध अपने शिष्यों के साथ आम्रवन में बैठे थे। एक शिष्य ने पूछा- भगवान "कर्म क्या है?"
बुद्ध ने कहा- "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।"
जिससे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर प्राप्त हो जाएगा l
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।"
यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।
अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।
अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।
बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया।
जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।
जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।
यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे।
यह कहानी सुनाकर बुद्ध ने पूछा- अब बतावो "कर्म क्या है?
अनेक शिष्यों ने उत्तर दिया- "हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ..." ही कर्म है !
बुद्ध ने सिर हिलाया और कहा- *"तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म है l
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You are the sky - Pavleen Arora
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Monday, 5 February 2018
अजमल का लाडला
रुणिचा रा कवर रामदेव। जय अजमल के लाल की।
जय अजमल के लाल की। जय मेणादे बाल की।
रुणिचा रा कंवर रामदेव ।।टेर।।
कृष्ण काला भव भंजन इनको। सब भक्तों ने गाया है।
नेत्राधारी अश्वसवारी। कलयुग में जब आया है।
जय जयकार करें मंदिर में। भक्तों के प्रति पाल की।
रुणिचा कवर रामदेव ।।1।।
मरुधर तेरा देश रामदेव। राजस्थान कहाया है।
अजमल जी ने करी विनती। बांध वचन में आया है।
क्षीरसिंधु के सुख को छोड़ा। भक्तो ने जैकार की
रुणिचा रा कवर रामदेव।।2।।
मैनादेने लाड़ लड़ायां। पूरी द्वारका वाले को।
अजमल के घर हुआ लाडला। दुखियों के दुख लालन का।
बटे बधाई आज नगर में। सुख शोभा के नाम की।
रुणिचा रा कवर रामदेव || 3||
धन धन महिमा तेरी रामदेव। भक्त खड़े जयकार करे।
नीकलंक परचा देखा हमने। दुखियों का दुख दूर करे।
बाबा से शरणागत लेली। भक्त के मन भावन की।
रुणिचा रा कवर रामदेव।।4।।
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Sunday, 4 February 2018
ध्येय
गाढव वाघाला बोलतो गवत पिवळ असत. वाघ बोलतो गाढवाला गवत हिरव असत. त्यांच्यात वाद होतो. ते सिंहाकडे जातात निवाडा करायला. दरबारात सर्व जमलेले असतात. गाढव शहाणपणा करत सर्वांना समोर सिंहाला बोलतो कि गवत पिवळ असत आणि हा वाघ बोलतो कि हिरव असत तुम्ही आता सांगा कि खर काय आणि खोट काय. सिंह स्मितहास्य करतो आणि सर्वांन समोर सांगतो की गाढव बरोबर बोलतो. गवत पिवळ असत. आणि वाघाला एक वर्षाची शिक्षा करतो. गाढव आनंदाने माकडउड्या मारत जंगलात निघून जात.
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Friday, 2 February 2018
सुगना बाई को हेलो
तर्ज थाली भरकर लाई खीचड़ो
पुंगल गढरा महला ऊपर। सुगना निर बहावे है।
म्हारे बिरारो ब्याव मंडयो हैं। म्हणे लेवन कुन आवे है।
पुंगल गढरा महला ऊपर ।। टेर ।।
बड़ा घराने देखर म्हाने। पुंगल गढ़ परणाई है।
ब्यावलो होकर सासरे आई। पियर नहीं दिखाई है।
म्हाने दिखा दे रे मुंडो रे मातरो। पल पल याद सतावे हैं।
म्हारे बिरारो ब्याव--- ।।1।।
बड़ा बीरा म्हारा बीरमदेव। जी छोटा परचाधारि है।
माता मेनादे पिता अजमल जी। बेनड लाछाबाई है।
इत्ता बड़ा परिवार की बेटी। सासरिया दुख पावे है।
म्हारे बिरारो ब्याव--- ।।2।।
मैं पापन कई पाप कमाया। बीराजी बीसरायो है
जनम जुगारी दुखी सुगना। पुंगलगढ़ परणाई है
ऐसा जीना सु मरन चोखो। पीयर ने तरसाई है।
म्हारे बिरारो ब्यावबी---।।3।।
सेवक थारो रतनो आयो। कुंकू पत्री लायो है।
सुसरा म्हारा क्रोध खायनेय। केदडली म्हे नाक्यों है।
अर्ज करूं महाराज राज ने। भक्त हरजस गायों है।
म्हारे बिरारो ब्याव--- ।।4।।
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Thursday, 1 February 2018
रुणिचारा नाथरो दरबार
जोक्स
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सापसीडी का 99 वाला सांप।
हा हा भूल गये क्या?
पती - तो जबान से कोशिश कर ले वो तो बहुत लम्बी है।
पती ICU में है।
तलाशी लेने में निकल जाती है!!
राजीव भाई सिर खुजाता हुआ उठकर जाने लगा।
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गाना तो सिर्फ उसके हेडफोन पर बज रहा था। बाकी बस में तो शान्ति थी!
Strategic Alliances
Strategic Alliances - For any achievement gone need the right person on your team. Sugriv was very keen on this. Very first Sugriva was ...
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नमस्ते दोस्तों। हाल फ़िलहाल में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। भारत में तो लॉकडाउन के चलते सभी लोग घर पर ही ...
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गम ने हसने न दिया , ज़माने ने रोने न दिया! इस उलझन ने चैन से जीने न दिया! थक के जब सितारों से पनाह ली! नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया! ==...
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Image Credit: theculturetrip.com मौका देने वाले को धोखा और धोखा देने वाले को मौका कभी भी नहीं देना चाहिए।। ======= बच्चा असफल हो जाये तो दु...