YouTube

Friday 18 March 2022

खून की खराबी दूर करने के घरेलु आयुर्वेदिक उपाय

 रक्त विकार अर्थात खून में दूषित द्रव्य बनना। खून में दूषित द्रव्य बनने के कई कारण होते हैं। सूक्ष्म कीटाणु फैलने के कारण यह रोग होता है। जब किसी रोगी का खून दूषित हो जाता है तो फुंसियां हो जाती हैं, किसी को फोड़े निकल आते हैं, किसी को ऐसे फोड़े हो जाते हैं जो किसी साधारण दवा से ठीक ही नहीं होता। इस तरह विभिन्न कारणों से उत्पन्न रक्त विकार को दूर करने के लिए  घरेलू आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार:

दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।

बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मिली बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकर, छानकर पीने से रक्तविकार मिटता है।

नीम- रक्त की सफाई के लिए नीम सबसे बेहतरीन उपाय है। सुबह नीम की कुछ कच्ची कोपलें खाली पेट चबाएं और ऊपर से पानी पी जाएं। या फिर नीम की कुछ कोपलें बारीक पीसकर पानी में मिलाकर भी पी सकतें हैं। कुछ ही हफ़्तों में रक्त की सारी दूषिता समाप्त हो जाएगी।

चिरायता- चिरायता रक्त की सफाई के लिए रामबाण औषधि है। सुबह के समय चिरायते की कुछ पत्तियों को पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाएं। कुछ ही दिनों में रक्त की शुद्धि के लक्षण आपको खुद दिखाई देने लगेंगे।

हरड़ रात को गरम पानी के साथ दो हरड़ का चूर्ण लें

त्रिफला दिन में दो बार एक-एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें

अदरक और नींबू- अदरख के छोटे टुकड़े को पीसकर इसमें, नींबू की दो-तीन बूंदे चुटकी भर नमक और पीसी हुई काली मिर्च (चुटकी भर) मिला कर सुबह के समय खाली पेट लें। धीरे-धीरे खून की सफाई होती चली जाएगी।

बेल पत्र- पके बेल के गूदे में देशी शक्कर और इसका सेवन नियमित तौर पर रक्त की शुद्धता कुछ ही हफ़्तों में हो जाएगी।

रक्त शोधक हल्दी- हल्दी रक्त शुद्धि के लिए अचूक औषधि है। यह रक्त के दोषों को मूत्र द्वारा अथवा दस्त द्वारा निकालकर दूर कर देती है। यह शरीर में चूने के पदार्थ के साथ मिलकर रक्त को शुद्ध लाल रंग का बनाती है।

लहसुन- सुबह खाली पेट, 2-3 लहसुन की कलियों का सेवन न सिर्फ पूरे शरीर को फंगल इन्फैक्शन से बचाता है बल्कि यह रक्त शुद्धि भी करता है।

तुलसी- सुबह रोज खाली पेट तुलसी के पत्तों का सेवन न सिर्फ रक्त शुद्धि(khoon saaf) करता है, बल्कि यह ऑक्सीजन से भरपूर भी होता है, और रक्त में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी पहुंचाता है।

आवंला- आंवला पूरी सेहत की दृष्टि से, चमत्कारिक फल है। विटामिन सी से भरपूर आंवला, लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रति रोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके अलावा रक्त को शुद्ध बनाने में भी यह बेहद कारगार है।

मेथी- रात्रि भिगोया हुया दो चम्मच मेथी सुबह इसका पानी पीने में मेथी को चबाकर खाने से रक्तविकार नस्ट हो इससे सभी रोग नस्ट होते है जैसे मोटापा,हृदयघात,उच्च रक्तचाप,मधुमेह,हार्मोन्स,अनिद्रा,चर्म रोग,गठिया,कमर दर्द,घुटने का दर्द, बहनो की मासिकधर्म से जुड़ी सभी समस्या आयुर्वेद की भाषा में कहे तो वात व कफ से जुड़ी सभी समस्या

कच्ची लौकी (बिना छिलका उतारे)का जूस अदरक,कालीमिर्च एलोवेरा धनिया,पुदीना,तुलसी  पते की चटनी युक्त व हींग जीरा मिलाकर 200ml सुबह  शाम खाली पेट सेवन कर रक्त विकार ही नहीं हृदय से सम्बंधित सभी प्रकार की सर्जरी से बच सकते हैं

गिलोय रक्त की सफाई के लिए रामबाण औषधि है। सुबह के समय गिलोय की कुछ पत्तियों या डंठल को पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर पी जाएं। कुछ ही दिनों में रक्त की शुद्धि के लक्षण आपको खुद दिखाई देने लगेंगे।

एलोवेरा :- नियमित सुबह दो चम्मच एलोवेरा का रस सेवन कर रक्तविकार ही नहीं अन्य रोग भी दूर कर सकते हैं,

सर्दियों के मौसम में अर्जुन छाल का काढ़ा नियमित सेवन से रक्त विकार ही नहीं हृदय से सम्बंधित सभी प्रकार की सर्जरी से बच सकते हैं

=========

कृपया इसी तरह से आयुर्विदिक उपाय का लाभ लेने के लिए ऊपर दिए किसी भी एक पौधे को जरुर लगाये और उसका कम से कम एक साल ध्यान रखिये | कमेंट में बोलिए जय श्री राम 

No comments:

Post a Comment

Strategic Alliances

  Strategic Alliances -  For any achievement gone need the right person on your team.  Sugriv was very keen on this. Very first Sugriva was ...