जय श्री कृष्ण। आज जामुन वृक्ष के बारे में लेख लायी हु। कृपया पूरा पढ़े। यह लेख वृक्षारोपण के साथ वृक्ष सवंर्धन इस लेख शृखंला का है।
जामुन के बारेमे:
श्रीमद भागवद के अनुसार जामुन का चिन्ह श्रीकृष्ण के दाये पैर पर अंकित है। महाभारत में द्रौपदी स्वयंवर के समय लग्न मंडप का सुशोभीकरण जामुन के पत्तोसे किया गया था। जामुन की लकड़ी से दरवाजे बनाये जाते है। जामुन का पेड़ सौ साल तक जिन्दा रह सकता है। रेलवे लाइन के जो स्लीपर्स रहते है वे जामुन की लकड़ी से बनते है। जामुन के फल के कई औषधीय उपयोग है।
वृक्षरोपण के लिए उपयुक्त जगह:
जामुन आप आपके घर के आँगन में लगा सकते है। यह हर तरह की मिट्टीमे लगा सकते है सिर्फ बहोत ज्यादा रेत वाली मिटटी नहीं चलेगी और बहुत ज्यादा पानी पकड़ कर रहने वाली मिटटी भी नहीं चलेगी।
जामुन के वृक्ष का संवर्धन:
जामुन का पौधा जहा लगाना है वह ३ फिट गहरा और ३ फ़ीट चौड़ा गड्ढा खोदकर १५-२० दिन तक धुप लगने के लिए छोड़ना है। फिर उसके बाद १५ किलो जैविक खाद, १ किलो फॉस्फेट और उसी जगह की मिट्टी मिलाकर पौधा लगाकर उस गड्ढे को भरना है।
पहले साल भर तो भी कमसेकम पौधे के इर्दगिर्द की जगह को खोदकर खुला करते रहना है और घास उखाड़ना है। पौधा लगने के बाद उसे हर रोज पांच लीटर पानी देना है और पंद्रह दिन में एक बार गौमूत्र मिला हुआ पानी देना है। जामुन का पेड़ ज्यादा खाद नहीं मांगता है। पर साल भरमे ८ किलो जैविक खाद और आधा किलो एन-पी-के १२-१२-१२ देने से फल पौधा हराभरा रहता है और फल भी मीठे लगते है। बारिश के दिनों में यह पौधा लगाने से अच्छे से जड़ें मजबूत होती है। जैसे जैसे पेड़ बड़ा होता है वैसे वैसे खाद और पानी दोनों की जरुरत कम होती जाती है।
इस पौधे को छटाई की जरुरत है। अगर आपके पौधे की उचाई २ फ़ीट है तो जमीन से एक फ़ीट की उचाई तक यानि आधी उचाई तक प्रमुख तने के अलावा कोई भी टहनी नहीं रहने देना है। टहनी काटते वक्त आपको तने से आधा इंच टहनी का हिस्सा छोड़कर टहनी काटनी है ताकि इन्फेक्शन न हो। छटाई के बाद चुना और मोरचूद मिलकर पेस्ट लगाने से भी इन्फेक्शन से राहत मिलती है। एक पूरी तरह से बढे हुए पुरे पेड़ को ६-७ मोटी टहनिया रहने देना है। एक बार पेड़ बड़ा हो गया तो उसकी सुखी टहनिया ही छाटना है।
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