जय श्री कृष्ण सखियों और सखाओं ! आज आपके लिए भगवान पर अटूट विश्वास की एक घटना लेकर आयी हु। कृपया इसे पूरा पढ़े।
एक छोटे गांव में सरस्वती नाम की एक वृद्ध महिला रहती थी। गांव में सब उसे जानते थे कभी कोई नाश्ता दे जाता तो कभी कोई खाना दे जाता। वह राधे राधे जपते खा लेती और प्रभु का धन्यवाद देती। एक दिन उसके मन में तीर्थयात्रा की करने की आयी और वह गांव के लोगो से विदा लेकर चल पड़ी।
एक दिन वह किसी शहर पोहोची। उसे भूख लगी थी तो उसने कुछ फल खाने के सोचे और वह एक फलों की दुकान पर जाती है। पर उसके पास फल खरीदने के पैसे नहीं होते है। बूढी माई पूरी तीर्थयात्रा में खाना जहा भी मांग लेती थी मिल जाता था। पर यह शहर थोड़ा अजीब था वहा के लोग हर बात पर मोल भाव करते थे।
बूढी माई को भूख लगी थी इसीलिए वो दुकानदार से प्रार्थना करने लगी कि उसेकुछ फल उधार दे दे। पर दुकानदार ठहरा मोल भाव करने वाला उसने मना कर दिया।
बूढी माई ने बार-बार आग्रह करने लगी तब उस दूकानदार ने खीज कर कहा, "तुम्हारे पास कुछ ऐसा है, जिसकी कोई कीमत हो, तो उसे इस तराजू पर रख दो मैं उसके वज़न के बराबर फल तुम्हे दे दूंगा।
बूढी माई के पास ऐसा कुछ भी नहीं था तो बूढी माई ने कुछ सोचा और फिर एक फटे पुराने कागज के टुकड़े पर कुछ लिख कर तराजू पर रख दिया।
दुकानदार ये देख कर हंसने लगता है। फिर भी वह थोड़े अंगूर उठाकर तराजू पर रखता है
आश्चर्य! कागज़ वाला पलड़ा नीचे रहता है औरअंगूर वाला ऊपर उठ जाता है इस तरह वो औरफल रखता जाता है पर कागज़ वाला पलड़ा नीचे नहीं होता तंग आकर दुकानदार उस कागज़ को उठा कर पढता है और हैरान रह जाता है कागज़ पर लिखा था,"हे श्री राधे तुम सर्वज्ञ हो,अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है"
दुकानदार को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वो उतनी वृद्ध महिला को दे देता है जितने उसे चाहिए थे।
इस घटना से आश्चर्य मत करना क्युकी राधेरानी जानती है प्रार्थना का क्या मोल होता है।
वास्तव में प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है।फिर चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की, यदि सच्चे मन से की जाये,तो ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं।अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है,की हमारे पास वक्त नहीं।मगर सच तो ये है कि ईश्वर को याद करने का कोई समय नहीं होता प्रार्थना के द्वारा मन के विकार दूर होते हैं और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का बल मिलता है। ज़रूरी नहीं की कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना की जाये।जो आपके पास है उसका धन्यवाद भी करना चाहिए।इससे आपके अन्दर का अहम् नष्ट होगा और एक कहीं अधिक समर्थ व्यक्तित्व का निर्माण होगा।प्रार्थना करते समय मन को ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध घृणा जैसे विकारों से मुक्त रखें।
अगर आप इस घटना के सार से सहमत है तो एकबार राधे रानी का जयकारा अवश्य कमेंट करे और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। धन्यवाद।
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