जय श्री कृष्णा सखियों और सखाओं। आज आपके साथ कृष्ण के जीवन की एक घटना शेयर कर रही हु। कृपया इसे पूरा पढ़े।
कार्तिक महीना चल रहा था और एक दिन माता यशोदा, यमुनाजी मे दीप दान करने जा रही थी, तो कृष्णजी ने कहा, "मैया आज मै भी चलूँगा।" और दोनों यमुनाजी के किनारे पहोच गए।
मैया दिया जलाती, द्रोण में रखती और उस दिप को परमात्मा का स्मरण कर यमुनाजी में प्रवाहित करती जा रही है। तभी उन्होंने देखा की आगे कोई दीप नहीं जा रहा। वह इधर उधर देखने लगी तो पाया की कृष्णजी थोड़ी दुरी पर बैठे थे और एक लकडी लेकरयमुनाजी से सारे दीप बाहर निकाल रहे थे।
यह देख मैया ने कहा, "लल्ला तुम ये क्या कर रहो हो?"
कृष्णजी ने कहा, "मैया, ये सब डूब रहे थे तो मै इन्हे बचा रहा हूँ।"
मैया ये सब सुनकर हँसने लगी और बोली, "लल्ला, तुम किस किस को बचाओगे। "
ये सुनकर कृष्णजी ने कहा, "मैया मैने सबका ठेका थोड़ी न ले रखा है। जो मेरी ओर आएंगे, उनको बचाऊंगा।"
घटना बहोत छोटी है पर अर्थपूर्ण है इसलिये हमेशा भगवान के सम्पर्क मे रहें ताकि वो आपको हमेशा बचाते रहे।
अगर आपको यह बात पसंद आयी हो तो कमेंट में एकबार कृष्णजी का जयकारा लगा दीजिये और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करिये।
धन्यवाद।
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