जय श्री कृष्ण सखियों और सखाओ। आज भक्तिरस से भरी एक घटना आपको बता रही हु। कृपया अंततक पढ़े और भक्तिरस का अनुभव ले।
संत गोपालाचार्य चंचल शिखामणि कृष्ण को बाल-भाव से भजते थे। जब बाबा पाठ करते तो ये महाशय हारमोनियम उठाकर उसमे सा रे गा मा...... का राग छेड़ देते। जब भोग लगाते तो ये रसोई घर में जाकर खूब खटर पटर करते। जब जब बाबा कोई भी काम करे ये पहले ही शुरू हो जाते। और बाबा को कहना पडता थोडा हल्ला कम करो
जैसे कोई छोटा बच्चा होता है, पहले जब वह बोलना सिखता है तो हम उसे सीखते है लल्ला मईया बोल , बाबा बोल, और एक दिन जब वह बोलने लगता है तो हम कितना खुश होते है। और फिर इतना बोलता है कि उसी मईया को लाठी लेकर कहना पडता है घर में मेहमान है थोडी देर चुप रह। हम बच्चे से पूंछते है क्या खाओगे ? फिर हम कितने प्यार से एक एक कौर उसे खिलाते है। बस इसी तरह ठाकुरजी भी है, हम सामने रख तो देते है पर बच्चे की भांति नहीं खिलाते, वरना तो खाने में भी बड़े नखरे है इनके।
सबका मतलब यह की गोपालाचार्य कृष्ण को अपने घर के बालक की तरह बतियाते थे, उन्हें भोजन करते थे और जो भी कार्य करते तब कृष्णजी को अपने साथ लेकर काम करते थे। और इसीलिए भगवान भी उनके साथ भगवान की तरह न रहते हुए उनके घर के बालक की तरह ही रहते थे - बाबा जो भी करे वे हर काम में हाथ बटाते थे।
एक दिन गोपालाचार्य ने ठाकुरजी के लिए खीर बनायीं और प्रेम से उनको भोग लगाने लगे, अब ठाकुर जी ठहरे चंचल शिरोमणि, खाते ही बोल पड़े, "बाबा! इस खीर में शक्कर कम है।" बाबा ने झट थोड़ी सी शक्कर डाल दी। फिर ठाकुर जी ने खायी अब बोले, "बाबा! बहुत मीठी है।" बाबा ने फिर थोडा सा दूध डाल दिया।
फिर ठाकुरजी ने खायी फिर बोले, "बाबा! अब फिर शक्कर कम है। " इस तरह जब दो तीन बार किया तो बाबा समझ गए, खीर तो ठीक बनी है ये ही नखरे दिखा रहे है, तुरंत शक्कर और दूध का डिब्बा उठाया, और ठाकुरजी के सामने रखकर बोले, "लाला! लेलो अब अगर मीठी लगे, तो स्वयं दूध डाल लेना और फीकी लगे तो शक्कर डाल लेना। "
कहने का अभिप्राय, हम उनसे बोलते नहीं इसलिए वे हमसे बोलते नहीं, यदि उनसे बात करना शुरू करेंगे तो आप स्वयं देखिये वे बोलने लग जायेगे। और एक दिन ऐसा आएगा कि संत की तरह हमें भी कहना पड़ेगा थोडा हल्ला कम करो।
भक्ति तो समर्पण की पराकाष्टा है। और सेवा भक्ति का अन्य रूप है। पुरे समर्पित भाव से ठाकुरजी की सेवा आपको निश्चित ही आनंद देगी।
अगर आपने भी कभी चितचोर ठाकुरजी के संग बाते की हो और आपको उनके होने का एहसास हुआ हो तो एक बार कमेंट में जयकारा लगा दीजिये और इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिये।
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