ðदृष्टि की शुद्धि के लिए सूर्य का दर्शन करें।
ðसंध्या के समय जप, ध्यान, प्राणायाम के सिवाय कुछ भी न करें।
ðसाधारण शुद्धि के लिए जल से तीन आचमन करें।
ðअपवित्र अवस्था में और जूठे मुँह स्वाध्याय, जप न करें।
ðमनुष्य जब तक मल-मूत्र के वेगों को रोक कर रखता है तब तक अशुद्ध रहता है।
ðसिर पर तेल लगाने के बाद हाथ धो लें।
ðध्यानयोगी ठंडे जल से स्नान न करे।
No comments:
Post a Comment