नमस्ते दोस्तों आज हम भाषा के बारे में जानकारी पढ़ेंगे।
१. मनुष्य का स्वाभाव है कि वह अपने भाव व विचारों को किसी-न-किसी पहुँचाना चाहता है।
२. इन भावों विचारों को दूसरों पहुंचना संभव नहीं है। पर सभ्यता के विकास-क्रम से मनुष्य के भाव-लोक में निरंतर फैलाव आता गया है और भावाभिव्यक्त्ति के लिए मनुष्य ने भाषा का अविष्कार किया, ऐसा माँ जाता है।
३. भाषा वह माध्यम है जिनसे मनुष्य पढ़कर, लिखकर, बोलकर, अदि सुनकर अपने भावों को दूसरों तक पहुँचाता तथा दूसरे के भावों को ग्रहण करता है।
४.मनुष्य ने मुँह से जो उच्चिरत ध्वनियों में आवश्यक तोड़-जोड़ उनसे भाषा का मौखिक रूप बना। हजारों सालों तक भाषा मौखिक रूप में ही फलती-फूलती रही।
५. विकास-क्रम में ध्वनि-संकेतों विकास हुआ और भाषा का का लिखित रूप का निर्माण हुआ।
६. भाषा का निरंतर विकास हुआ और अलग-अलग समय में अलग-अलग भाषाए बनती रही। जैसे संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी अलग-अलग समय में बानी गई भाषाए है।
धन्यवाद पढ़ने के लिए।
१. मनुष्य का स्वाभाव है कि वह अपने भाव व विचारों को किसी-न-किसी पहुँचाना चाहता है।
२. इन भावों विचारों को दूसरों पहुंचना संभव नहीं है। पर सभ्यता के विकास-क्रम से मनुष्य के भाव-लोक में निरंतर फैलाव आता गया है और भावाभिव्यक्त्ति के लिए मनुष्य ने भाषा का अविष्कार किया, ऐसा माँ जाता है।
३. भाषा वह माध्यम है जिनसे मनुष्य पढ़कर, लिखकर, बोलकर, अदि सुनकर अपने भावों को दूसरों तक पहुँचाता तथा दूसरे के भावों को ग्रहण करता है।
४.मनुष्य ने मुँह से जो उच्चिरत ध्वनियों में आवश्यक तोड़-जोड़ उनसे भाषा का मौखिक रूप बना। हजारों सालों तक भाषा मौखिक रूप में ही फलती-फूलती रही।
५. विकास-क्रम में ध्वनि-संकेतों विकास हुआ और भाषा का का लिखित रूप का निर्माण हुआ।
६. भाषा का निरंतर विकास हुआ और अलग-अलग समय में अलग-अलग भाषाए बनती रही। जैसे संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी अलग-अलग समय में बानी गई भाषाए है।
धन्यवाद पढ़ने के लिए।
No comments:
Post a Comment