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Sunday 13 October 2019

दूसरों की हालत को समझकर फैसले ले

नमस्ते मेरे वाचको। भगवान की कृपा आप सभीपर बरस ही रही होंगी ये विश्वास है मुझे। आज आपके लिए फिरसे एक नई कहानी लायी हु। ए कहनी है गांधीजी और उस जमाने के बम्बई के हीरो के व्यापारी रायचंदजी की। अपने संस्मरण में गांधीजी ने रायचंदजी को अपना गुरु बताया हुआ है।

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Image credit: Nojoto

रायचंदजी भाईं पहले बंबई में जवाहरात का व्यापार करते थे।
उन्होंने एक व्यापारी से सौदा किया । यह निश्चित हो गया कि अमुक तिथी तक, अमुक भाव में इतना जवाहरात वह व्यापारी देगा। व्यापारी ने रायचंद भाई के साथ लिखा-पढी करली। यह संयोग की बात थी कि जवाहरात के मूल्य बढ़ने लगे ओर इतने अधिक बढ़ गए कि यदि रायचंद भाई को उनके जवाहरात वह व्यापारी को दे तो उसे इतना घाटा होता कि उसका स्वयं का घर भी नीलाम को जाता।
जव रायचंद भाई को जवाहरात के वर्तमान बाजार भाव का पता लगा तो वे उस व्यापारी की दुकान पे पहुँचे।
उन्हें देखते ही व्यापारी  बोला, "मैं आपके सौदे के लिये स्वयं चिंतित हु।"
रायचंद भाई बोले, "तुम्हे जब चिंता लग गईं तो मुझे भी होनी चाहिए। दोनो की चिंता का कारण यह  लिखा पढ़ी हैं । इसे समाप्त कर दे तो दोनों की चिंता खत्म हो जाएगी।
रायचंद भाई ने लिखा पढ़ी के कागज का फाडते हुए कहा, " इस लिखा पढ़ी से तुम बंध गए थे। बाजार भाव बढ़ने के कारण मेरा चालीस पचास हजार रुपया तुम पर लेना हो गया था। किन्तु मैं तुम्हारी परिस्थिती जनता हूँ। रायचंद दूध पी सकता है, खून नही पी सकता।"
"आप मनुष्य नही देवता है।" यह कह कर व्यापारी रायचंदजी के चरणों मे गिर पड़ा।
अपना कुछ रुपयों का मुनाफा भूलकर रायचंदजी ने उस व्यापारी की परिस्थिती को समझा और उसे लिखा पढ़ी की शर्तों से मुक्त कर दिया और वे पूजनीय हो गए।
आज का समाज अमनुष्यता की और जाने की वजह यही है कि मनुष्य दूसरे की हालत समझना ही नही चाहता केवल अपना ही मुनाफा देखता है। अगर आप पूजनीय बनना चाहते हो तो दूसरों की हालत को समझकर फैसले लेने की कोशिश करें।
अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर आपको कहानी पसंद आई हो और आपने अपने जीवन मे दूसरे के हालात समझकर अगर कोई भी फैसला किया हो तो जरूर कमेंट करके बताये और इस कहानी को अपने सभी सोशल ग्रुप्स में शेयर करें।

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