एक दिन भाई का घर जीमण हो। बेन का घर निवतो कोणी दियो। बेन को धनि जंगल म जायर लकड़्या जमा करन लावतो और बेचर कमावतो हो। भाई का घर जीमण ह जिकाऊ बा धानिन जाबा दियो कोणी। और बोली, "आज भाई का घर जीमण ह जिको जिंबाण जावा। "
दिनभर रास्तो देख्यो पर भाई भोजन करन बुलायो कोणी। टाबर भूक लागि भूक लागि करन लाग्या। जना बा चरी लेयर भाई का घर गयी। भाई का घर सु काई मांगर लाउ यान सोची।
भाई का घर घर पुग्या बाद बा देखि की रसोई घर म सु मांड फेक ह। बा नीच ढुळ्यो जिको मांड चारी म भर ही।
मांड चारी म भ-यो तो चारी म चाँद दिसबान लाग्यो। बेन घनी भोली ही जिको बा चाँद न बोली , "म काई चोरर थोड़ी लेजाउ हु। यो मांड तो बार जाव हो जिको भरर लेजाउ हु। "
यान बोलर बा घर आयगी और मांड गर्म करण ताई चूल्हा पर चरी रखदी।
पछ बा भगवान की प्रार्थना करण लागि , "हे भगवान , गरीबी दी तो कमस कम चटनी रोटी तो भी खावण देवनु।" बिकी प्रार्थना सुनकर चन्द्रमा न बिकी दया आई। मांड गरम करबा न रख्यो हो जिको सोना को चाँद बणग्यो।
बा मांड पिवण का तई पुरस न गयी तो देखि की पिलो भाटो ह और बोली , "मांड लाइ जराही म्हारा लार लाग्यो हो और अब आठ आयर पीळो भाटो बणग्यो। " और बा जोरूं रोबा लागी। बिका टाबर और धनी आया और पुछया , "माँ काई हुयो?" बेन बोली , "चन्द्रमाजी म्हारा लार लाग्या ह। म मांड लेवहि जना भी मन देख हां अब और मांड आठ लायर गरम कारयो तो पिलो भाटो हुयग्यो। "
जरा बीको धनि और टाबर चरि म काई ह जिको देख्या। ब्यान सोनाको चाँद दिख्यो। पछ धनि बोल्यो , "भागवान, तू रो मत। अपनान चाँद भगवन टुट्या ह। "
बा सोनाका चाँद को एक टुकड़ो तोड्यो बिन बेचर रूपया लाया। पछ धान की कानुक्या लायी। थोड़ा रूपया लगायर बीको धनी नयो काम धन्दो शुरू करयो। बेन का घर सगळा चीजाकी रेलमचेल हुयगी।
आ बात बिका भाई न मालूम पड़ी , तो भाई पुछबान आयो , "काल ताई मांगर खाव हां और आज दिन लखपती हुयग्या। यान काई हुयो थार ?"
जना बेन सगळी हकीगत बताई और बोली, "मन तो चन्द्र भगवान टुट्या। "
हे चन्द्र भगवान बेन टुट्या ज्यान सगळा न टूटज्यो। खोटी की खरी , घटती की बढती , अधूरी की पूरी करज्यो। सवग भाग अमर राखज्यो।
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