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Friday 15 August 2014

मींडकी और गणेशजी कहानी

मींडकी और गणेशजी कहानी 

एक मींडको (मेंढक) और एक मींडकी हां। मींडकी रोज बिनायकजीकी पूजा करती, स्तुति करती और कहानी केवती। 

एक दिन मींडको बोल्यो, "तू  रोज पराया पुरुष रो नाव लेव। एका आग तू पराया पुरुष  नाव लियो तो मोगरिसु माथो फोड़ देऊ। "

एक दिन राजा रा सैनिक मींडका मींडकी न पकड़लिया। राजा का हुकुमसु दोयान मटकी म डाल कर चूल्हा पर रख दियो। दोई जना शिजन लाग्या। जरा मींडको बोल्यो, "थारा बिनायकजीन सुमर नई तो आपा दोई जना मर जावा। ज़रा मींडकी गणेशजी की स्तुति गयी और सात बार , "संकट बिनयाकजी , रक्षा करो " बोली। जरा दो सांड लड़ता लड़ता आया और मटकिन लाथ मऱ्या। मटकी फूटगी। मींडको मींडकी दोई जना सरोवर का पाळ म चले गया। बिका बाद सु मींडको और मींडकी दोई जाना बिनायकजीकी रोज पूजा करता, स्तुति गावता और कहानी केवता। 

हे बिनायकजी महाराज मींडका मींडकी को कष्ट निवारण करयो ब्यान सबको करजो। भूली चुकी माफ़ करजो। 






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