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Sunday, 11 December 2016

मराठी विनोद

1============================================



गुरुजी  -  मुलांनो ही म्हण पूर्ण करा.  "घरोघरी .................."?



बंडू -WhatsApp वर पोरी...



गुरुजींनी चुलीत जिव दिला..........



2=============================================



गण्यानी आज सायन्सला ही मागे सोडलं .........

बाई-- पाल हि कोण होती ?

गण्या-- पाल ही एक गरिब मगर आहे जीला लहानपणी Born-vita नाही मिळाला आणि त्या मुळे ति कुपोषित राहिली.......

बाईंनी शाळा सोडली आता रोडवर शेंगदाणे विकत्यात................



3==============================================



भूगोलाचे सर पृथ्वी परिक्रमेबद्दल माहिती देत असतात.

सर - बंडू, सांग पाहू पृथ्वी आणि चंद्रामध्ये काय संबंध आहे ?

बंडू - सर, भावा-बहिणीचा.

 सर - काय ?

बंडू - हो सर,कारण आपण पृथ्वीला माता आणि चंद्राला मामा म्हणतो..

गुरुजी कुंभ मेळयात निघुन गेले



4=============================================



गुरुजी- दळणवळण म्हणजे काय??

विद्यार्थी- एखादी मुलगी 'दळण' घेऊन जाताना 'वळून' पाहते त्याला "दळणवळण" म्हणतात...

गुरुजी राजीनामा देऊन आषाढी वारीला निघालेत..



5============================================



मास्तर.  ; सांग शुन्या पेक्षा लहान संख्या कोणती आहे का?

मुलगा : आहे ना

मास्तर : कोणती सांग

मुलगा     : टिंब. "."

मास्तरानी b.ed. ची डिग्री विकली वडापाव चा गाडा चालवतायत



6============================================



आर्थिक साम्राज्याच्या गप्पा अमेरिकेने निदान भारतासमोर तरी मारु नयेत...

त्यांच्या डॉलर च्या तोलामोलाचा कांदा आमच्या भाजीत "फोडणी"ला असतो!



7============================================



"पक्या' बस मधे उभा होता..;

.अचानक "ब्रेक' लागल्यामुळे समोरच्या "मुलीवर' जाउन पङला..,

"मुलगी: "नालायका, काय करतोस...?

"पक्या - "ङिप्लोेमा', तु काय करतेस...



8==============================================



कोर्टात  एका एक्सीडेंट केस ची सुनावणी चालू होती...

जज : तु कसे काय सिद्ध करशील की...., तू कार हळू चालवत होता ....?

आरोपी : साहेब, मी बायकोला आणण्यासाठी सासुरवाडीला जात होतो...!

जज : सोडून द्या रे याला. बिचारा निर्दोष आहे....!



9==============================================



आता ही अफवा कोण पसरवली की।.....

रामदेव बाबाच लहानपणीचे मोगली आहेत..म्हणूनच त्यांना जंगलातली एवढी औषध माहीतीयत...



10=============================================



भारतात


मुलं बोर्नव्हिटामुळे,

महिला फेअर अँड लव्हलीमुळे

व पुरूष रजनीगंधा पानमसाल्यामुळे प्रचंड यशस्वी होतात.

बाकी डिग्री वैगरे सगळ्या अंधश्रद्धा आहेत!!







सुविचार

1====



धर्म की सबसे सरल व्याख्या : किसी भी आत्मा को आपकी वजह से दुख ना पहुँचे यह ध्यान रखना यही धर्म है ।



2====



रिश्तों को शर्तों से, और शर्तों को जज्बातों से, बाँधना....

यही एक वो भूल है.....जो रिश्तों को पनपने ही नहीं देती....!



3====



भगवान के गले का हार बने फूलों से भगवान के चरणों में गिरे हुए फूलों ने सवाल किया , ....."क्यों रे भाइयो! तुम भी फूल हो, हम भी फूल हैं| पर भगवान के गले की सुंदरता बनने का सम्मान आपको ही क्यों मिला ?

बहुत सुंदर जवाब दिया उन फूलों ने , ,,,...यहाँ तक पहुँचने से पहले दिल को सुई से आरपार चीरकर निकलना होता हैे...



4====



मुझे इसलिए पंसद है मासुम लोग, जो खुद टुट जाते है मगरकिसी का दिल टुटने नही देते !!!



5====



हँसना आता है तो हँसो.. इतना हसो की तुम शांत रहो पर तुम्हारी हँसी इस ब्रह्माण्ड में गूंजे, तुम्हारा अंतर्मन सिर्फ हँसे और तब तक हँसे की तुम्हे लोग पागल न कह दे...

क्योंकि जैसा दोगे वैसा ही पाओगे... इसलिए ब्रह्माण्ड में अपनी हँसी पहुँचाओ तो वही हँसी वापस मिलेगी और इस तरह हँसी अविनाशी हो जायेगी।



6====



"The  sweetness  of  a  chocolate  remains  in  the  tongue  for  a  minute............

But  the  sweetness  of  a  person  remains  in  the  heart  for the entire life. "

Be sweet..! Be Special..!!



7====



भुतकाल हमें यादों का आनंद देता है

भविष्यकाल हमें सपनों का आनंद देता है.

लेकिन जिंदगी का सही ओर असली

आनंद तो केवल वर्तमान ही देता है...



8====



कलम-कदम-कसम सोच कर उठा ओ....



9====



"स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह रखो...... जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता है.... जितनी किसी गरीब की झोपड़ी मे.....!!


  
10====



किसी को अपनी पसंद बनाना कोई बडी बात नहीं... पर किसी की पसंद बन जाना बहुत बडी बात है.








सुविचार


1=====



पैसे से सुख कभी नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता..



2=====



रिश्ता निभाना हैं मुझको मेरे भाई अपनों से...

नज़र अंदाज़ कर जाता हूँ इसलिए उनकी गलतियों को!



3=====



हँसकर जीना दस्तूर है ज़िंदगी का;

एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का;

बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते;

यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का।



4=====



"जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था| अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ"



5=====



खुद की कमाई  से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ...!



6=====

दिन  मेँ कम  से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो...!



7=====

खुद की भूल स्वीकारने मेँ कभी भी संकोच मत करो...!



8=====

किसी  के सपनों पर  हँसो मत...!



9=====

"दोस्ती तो बच्चे ही कर सकते हैं, बड़े तो समझौते और सौदेबाज़ी करते हैं।"



10=====

माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे। वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे !



11====

ज़िन्दगी ऐसी जियो की कोई हंसे तो हमारी वजह से हंसे , हम पर नहीं । और कोई रोए तो हमारे लिये रोए,

हमारी वजह से नहीं ।







Saturday, 3 December 2016

गणगौर

जवारे
पूजा के लिए जवारे चाहिए रहते है। होलिके दूसरे दिन नया फैलाव वाला गमला लेकर उसमे मिटटी डाल दे और एक मुठी गेहू इस मिटटी पर डालकर रखदे। हर रोज पानी दे। गणगौर तक हरेभरे जवारे उग आएंगे। इस गमले में दो छोटी बास की लकड़िया लगाकर रखे और उसे कपास और रेशमी कपडे के मदतसे सजाये ताकि वो ईसर और गोरादे के प्रतिक बन सके।

सिंजारा 
चैत्र शुद्ध द्वितीयाके दिन गणगौर का सिंजारा रहता है। इस दिन बाल धोना और मेहंदी लगाना। गणगौर को भोग लगाने के ले लिए गुड और गेहू के फल आप चाहे तो सिंजारेके दिन बना कर रख सकते है।

पूजा की तैयारी 
दिवार पर गोरादे और ईसरजी मतलब पार्वतीजी और शंकरजी, चाँद, सूरज, स्वस्तिक, इत्यादी चीजे निकाले। पूजाके लिए थालीमे हल्दी, कुकू, चावल, मेहंदी, मोली, वस्त्र, काजल, पान, सुपारी, रूपया, कपूर, धुपारती, कच्चा दूध (गायका दूध जो उबाला नहीं हो।) ये चीजे रखले।यथा शक्ति सोलह श्रृंगारका सामान माता को चढ़ा सकते है। दातन मतलब निमकी सोलह छोटी लकडिया बांध कर लेना तथा कवारी कन्याके सोलह फल और विवाहित स्त्री के आठ फल चढ़ाना पड़ता है।

व्रत की विधि
चैत्र शुद्ध तृतीया के दिन गणगौर रहती है। इसी दिन गौरी तृतीया रहती है। इस दिन सबेरे जल्द से जल्द प्रातः विधि पूर्ण करके विवाहिता आठ फल, सुपारी और रूपया लेकर व्रत के पालन का संकल्प ले। इस दिन एक समय खाना खाकर व्रत किया जाता है। विधिवत पूजा करके खाना खाया जाता है।


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भोग

आंनद कंद भगवान, प्रेम से भोग लगाओजी//

फल फुल मेवा और मिठाई
माखन मिश्री खाओ भगवान
प्रेम से ---

छप्पन प्रकार के षटरस व्यंजन,
पिरसो कंचन थाल
प्रेम से ---

जल जमनाजीरी झारी भर लाई,
आचमन करो भगवान
प्रेम से ---



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Friday, 18 November 2016

प्रेम दें और प्रेम लें क्योंकि प्रेम ही सफल जीवन का राज है।

एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें
जानती नहीं थी।
औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”
शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा।
संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया।
उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम
को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ- जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं।"
इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बार पढ़ें ........अच्छा लगे तो प्रेम के साथ रहें, प्रेम बाटें, प्रेम दें और प्रेम लें क्योंकि प्रेम ही सफल जीवन का राज है।



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माँ

ॐ शाति ।।
"............."माँ"............."

माँ- दुःख में सुख का एहसास है
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती, अज़ान है,
माँ- गीता और कुरआन है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है ।
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- ईद, दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- मैरी, फातिमा और दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।h

"अंत में मैं बस ये इक पुण्य का काम करता हूँ, दुनिया की सभी माँओं को दंडवत प्रणाम करता हूँ ।








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