जय श्री राम! कैसे है आप? आपके लिए कुछ सुविचार लायी हु। ध्यान से पढ़ना।
१. गुरुनानक देव ने कहा, "मालिक मिले तो मालिक को मालिक से ही मांगना. इससे कम का सौदा मत करना क्योकि उससे दुनिया मांगोगे तो वह दे भी देंगा. मालिक देते देते थकता नहीं पर लेते लेते हम थक जाएंगे।"
२. सबसे बड़ी ख़ुशी है की आप किसी सद्कार्य में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर ले. प्रयास जब परमार्थ में तब्दील हो जाये तो समझो भक्ति हो गई. व्यक्तिगत संतोष भगवान को दिया आभार है. आचार्य श्रीराम शर्मा कहते थे, "ईश्वर से प्रार्थना करें की हम उनके प्रतिनिधि बनेंगे और हमारा हर कर्म निष्कर्म हो जाएंगा।"
३. अगर प्रदर्शन करना चाहते हो तो अपने पाप का करो और गोपन करना चाहते हो तो अपने पुण्य का करो।
४. हमारे आसपास जो दृश्य फैले हुए है उनमे हमें हर दृश्य के विपरीत स्थिति की भी तैयारी करनी चाहिए।
५. जब हम अधिकार से लड़ाई करते है तब हमें प्रकाश कहा से मिलेगा इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए।
६. जो कुछ होता है वो हमें दिखता नहीं है, और जो नहीं हो रहा है वो हमें दिखता है।
७. अहंकार इतना छोटा होता है की वह त्याग में निकल आता है, और क्षमा में घुस जता है। दरअसल अहंकार को समझ लेना ही उसको निकालने जैसा होता है क्योंकि हमारे तो समझ में आ गया की हम अहंकार कर रहे है और हम उस चीज को कम करने लगेंगे।
८. साधू आवश्यकता पर जीता है और संसार इच्छा पे! निष्क्रिय मनसे आवश्यकता और इच्छा दोनों पर काबू रखेंगे।
९. पहले लोग इसलिए भी सच्चे थे क्योंकि बेईमानी के अवसर कम थे। ऐसा नहीं था की वे कम कुशल थे बल्कि उनके पास कम अवसर थे।
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