जय श्री कृष्ण सखियों और सखाओं। आज वृक्ष लगाना और उनका संवर्धन करना इस पर लेख लायी हु। पूरा जरूर पढ़े।
Image : Festivals of India
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया से मुझे वृक्षारोपण प्रतियोगिताओ के कई मेसेजेस आये जिनमे वृक्षारोपण के साथ वृक्ष सवंर्धन का भी नियम था। हम आज कोरोना के बाद समझ चुके है की वृक्षारोपण करना और उनका संवर्धन करना हमारे लिए कितना जरुरी है। चूंकि हम सभी ऑक्सीजनकी एवं पर्यावरण की महत्ता समझ रहे हैं, इसीलिए "पेड़ लगाओ और उनका संवर्धन करो" प्रतियोगिता का आयोजन जगह जगह हो रहा है।
आज वृक्ष लगाना है और एक साल तक उसका संवर्धन करना है और फिर एक साल बाद उस पेड़ के साथ प्रतिभागी को अपना फोटो निकाल कर भेजना है - मतलब पुरे साल भर काम करना है।
आम, नीम, बेल, जामुन, चिकू, आंवला, पीपल, बरगद, नीम इत्यादि तरह के वृक्ष अगर बहुत सारे लगा दिए जाये तो पर्यावरण की भी सेवा होंगी और कम से कम एक साल के संवर्धन के बाद वह पौधा जो आपने बड़े प्रेमसे लगाया है वो अच्छी देखभाल के कारण जल्दी बड़ा भी होंगा।
हमने लगाए वृक्ष हमारे वो बच्चे है जिनकी सेवा हमें उनके जीवन के पहले एक साल तक करना है और फिर वही वृक्ष हम और हमारी अगली पीढ़ी को जीवनभर प्राणवायु, छाव, फल, फूल और बहुत कुछ देता रहता है। और वृक्ष चाहे जो भी हो वह हमारे मन का साथी बन जाता है, हमारा दोस्त बन जाता है - हम उससे हमारा सुख दुःख मन ही मन बाट सकते है।
यही सोचकर यह लेख शृंखला आपके लिए लेकर आयी हु। इन लेखो में किस वृक्ष का संवर्धन कैसे करना है ताकि वह ज्यादा ज्यादा बढे इसका मार्गदर्शन कर रही हु। और निचे कुछ पर्यावरण से जुडी घोषणाएं भी है जिसे आप आपके पेड़ के साथ लगा सकते है।
वृक्षारोपण से जुडी घोषणाएं:
वृक्ष संवर्धन प्राणवायु का धन।
वृक्ष का एक अपलोड और लाइक के लिए बादलों का झुण्ड।
एक वृक्ष जीवन भर का मित्र।
वृक्ष लगाओ देश बचाओ जीवन बचाओ।
सास लेने में न होगा कष्ट अगर पेड़ लगाओगे फ़ास्ट।
वृक्षों के नाम:
भारत के पौराणिक इतिहास और आयुर्वेद में निम्न पेड़ो का बड़ा महत्व है:
पीपल - अश्वत्थ वृक्ष - गौतम बुद्ध को निर्वाण इसके निचे मिला और भगवतगीता में कृष्णजी ने कहा, "वृक्ष में अश्वत्थ वृक्ष मैं हु।" औषधीय गुणधर्म से भरपूर।
बरगद - बहुवर्षीय विशाल वृक्ष। ब्रम्हा, विष्णु और महेश के त्रिमूर्ति का प्रतिक।
अशोक - कामदेव का वृक्ष। रामायण में सीताहरण के पश्चात् उन्हें अशोक वाटिका का में रखा गया था। गौतम बुद्ध का जन्म अशोक वृक्ष के निचे हुआ है। संतान प्राप्ति के लिए पूजा जाता है।
आम - सबके मन को भाते है और आम की लकड़ी का उपयोग यज्ञ में होता है।
बेल - महादेवजी के प्रिय पत्र। बेल का मुरब्बा पेट के विकारो पर काम करता है।
नीम - दुर्गा माँ का प्रतीक है और नीमड़ी माता ही दुर्गा माता है। त्वचा रोगों की दवाइया बनाता है।
आमला - आमला नवमी की पूजा की जाती है। शक्तिवर्धक रहता है।
जामुन - औषधीय गुणधर्म से भरपूर।
चिकू - औषधीय गुणधर्म से भरपूर।
नारियल - सभी पुजाओ में जरुरी है। नारियल पानी कमजोरी मिटाता है।
गुग्गल - पूजा में धुप दी जाती है। जनतुनाशक का काम करता है तथा औषधीय गुणों से युक्त।
चन्दन - चन्दन का श्रृंगार विष्णु के सभी अवतारों को किया जाता है। लेप शरीर को ठंडक देता है।
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