जय श्री राम सखियों और सखाओ। आज इतिहास के एक योद्धा की कहानी लायी हु जिसे पढ़कर आप प्रबंधन का एक नियम सिख सकते है। इस कहानी को पूरा जरूर पढ़े।
नेपोलियन की वीरता, बुद्धिमानी और जित के किस्से जगजाहिर है। नेपोलियन उनके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करता था और युद्धभूमी में लड़ने के लिए उनको और ताकतवर बनाने के उपाय भी सोचता था। उसके सैनिक इन्ही गुणों के कारण उसका बड़ा आदर करते थे और उसके प्रति निष्ठावान भी थे। कहने का मतलब यह है की किसी भी अधिनायक (लीडर) में केवल बुद्धिमानी और वीरता रहने से कुछ नहीं होता उसे अपने साथियो के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए तथा वे लोग ज्यादा से ज्यादा कैसे काम करके लक्ष की प्राप्त कर सके ये भी देखना उसका काम है। तभी उसके साथी उसके लिए निष्ठावान रहेंगे और उसका आदर करेंगे।
एक दिन नेपोलियन गहरी नींद सोया हुआ था। अचानक उसके सेनापति ने उसको आकर जगाया। और उस सेनापतीने कहा, "दक्षिणी मोर्चे पर हमला हुआ है."
यह सुनकर नेपोलियन ने कहा, "३४ नंबर के नक्शे को निकालो"
३४ नंबर के नक़्शे को देखकर नेपोलियन ने कहा, "इसमें बताए गए तरीको के अनुसार काम करो."
सेनापति चकित हो गया की जिस हमले के बारे में उसे तक नहीं पता उस हमले के बारे में नेपोलियन ने समय के पहले ही उसका उपाय कैसे सोच लिया? सेनापति को अचरज में देखकर नेपोलियन ने कहा, "विचारशील लोग अच्छे से अच्छी आशा रखते है, लेकिन बुरी से बुरी स्तिथि के लिए भी तैयार रहते है। मेरी मन:स्तिथि सदा ऐसी रहती है। इसीलिए वैसी नौबत अगर आए तो मुझे उसके पहले ही उसका उपाय ढूंढने में समय नहीं लगता।"
सार यह है की बुद्धिमानी इसही में है की अनुकूलताओ के साथ प्रतिकूलताओं को भी ध्यान में रखकर तदनुसार पहले ही योजना बना लेनी चाहिए ताकि जब वो स्तिथि आए तब हम उसे जल्दी से जल्दी उसका सामना कर सके यही सही मायने में अपने लक्ष की प्राप्ति का प्रबंधन है।
नेपोलियन एक योध्दा था और उत्कृष्ट सरदार भी। इतिहास के पन्नो में ऐसे कई महान योध्दाओ की कहानिया है जो आजके समय में प्रबंधन कैसे करे इसका मार्गदर्शन करती है। यह कहानी अगर आपको पसंद आयी हो तो कृपया कमेंट करे ताकी आपके लिए और ऐसी ही कहानिया लाने की मुझे प्रेरणा मिलती रहेंगी। इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
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