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Friday 1 January 2021

शुभकामनऐं नए साल की

नमस्ते दोस्तों आज आप एक  पढ़ेंगे जिसका नाम है शुभकामनऐं नए साल की।  यह कविता दैनिक भास्कर से ली गयी है। 

बच्चे के बास्ते को, हर दिन के रस्ते को
आपस की राम राम, प्यार की नमस्ते को
उस मीठी चिंता को,  गली से गुजरते जो
पूछताछ करे हलचल की,
शुभकामनऐं नए साल की!

सोचते दिमागों को, नपती निजहो को 
गरे साणे हाथो को, डामर साणे पांवो को 
उन सबको जिन सबने, श्रम करके 
सड़के बनाई कमाल की,
शुभकामनऐं नए साल की!

आंगन के फूल को, नीम को बाबुल को 
मेहनती पसीने को, चेहरे की धूल को 
उन सबकी जिन सबकी, बिना बात तानी हुई 
तिरछी है रेखाए भल की,
शुभकामनऐं नए साल की!

दिल के उजियारे को, प्यारी को प्यारे को 
छिपछिप के किये गए, आँख के इशारे को 
दूसरा भी समझे और खुशबू रहे जो की त्यों 
हमदम के भेट के रुमाल की,
शुभकामनऐं नए साल की!

हरियाले खेत को,  मरुस्थल की रेट को,
रेट खेत बीच बसे, जनमन समवेत को
 खुशियाँ मिले और भरपूर खुशीयाँ मिलें
 चिंता न रोटी-दाल की,
शुभकामनऐं नए साल की!

भावों की बारात को, कलम को दावत को,
हर अच्छी चिज़ को, हर सच्ची बात को,
हौसला मिले और कुछ कहने वाली,
हिम्मत मिले हर हल की,
शुभकामनऐं नए साल की। 

टेल की बारात को, सौम्य छवि वाले को 
सदाचारी जीवन को, शोषण पर टेल को 
जीवन के ताप को, तप के प्रताप को
तप के प्रताप से, दमकते हुए आपको 
पहुँचाता हूँ अपने दिल के कहारों से 
उठवाई हुई दिव्या शब्दों की पालकी!
शुभकामनऐं नए साल की!

धन्यवाद !!!








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