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ये कैसे सिलसिले ठहर गए हैं, तेरे मेरे दरमियाँ.......!!
न जाग कर रात गुज़री, न सो कर दिन ढला..........!!
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रात है काफी ठंडी हवा चल रही है ,
याद में आपकी किसी की मुस्कान खिल रही है ,
उनके सपनों की दुनियाँ में आप खो जाओ ,
आँखे करो बंद और आराम से सो जाओ .
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रात को सोते हुये एक बेवजह सा ख़याल आया..
सुबह न जाग पाऊँ तो क्या खबर मिलेगी उसे..!!
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तुमने भी हमें बस एक दिए की तरह समझा था,
रात गहरी हुयी तो जला दिया सुबह हुयी तो बुझा दिया…
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जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम;
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम;
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर;
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
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खुल जाता है उसकी यादो का बाजार शाम होते ही दोस्तो..!!
फिर मेरी रात इसी रौनक मे हर रोज गुजर जाती है..!!
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कभी तुमसे मिले ये रात तो इसको गले लगाना इसीमें लिपटकर तुम मेरे पास चली आना
भेजा है इसमें रखके पैगाम ए प्यार का मेरा प्यार मुझे मिल जाएगा बस तुम मान जाना
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जो मेरा था वो मेरा हो नहीं पाया;
आँखों में आंसू भरे थे पर मैं रो नहीं पाया;
एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि;
हम मिलेंगे ख़्वाबों में पर मेरी बदकिस्मती तो देखिये;
उस रात तो मैं ख़ुशी के मारे सो भी नहीं पाया।
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कल रात उसको ख्वाब में
गले से लगाया था मैंने ...
आज दिन भर मेरे दोस्त मेरी
महक का राज़ पूछते रहे .......
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मेरे दिल का कोई कोना खाली न दिखे ये किस तरह समाये हो
बरसात में आसमान पे जो ये रात कहाँ से लाये हो
मेरी ख़ुशी और गम को पसंद तुम सबको भाये हो
मेरी जिंदंगी मुस्कुराने लगी आखिर किस सदा से आये हो
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