बहुत मशरूफ हो तुम भी,
बहुत मशरूफ है हम भी,
तुम्हें खुद से नही फुरसत,
हमें तुमसे नही फुरसत
=====खुद से दिल भर भी जाये,
तुमसे भर जाये मुमकिन नहीं..
=====मुझे समझना है तो बस अपना समझ लेना..
क्यूंकि हम अपनो का साथ खुद से भी ज्यादा निभाते है
=====मुझे समझना है तो बस अपना समझ लेना..
क्यूंकि हम अपनो का साथ खुद से भी ज्यादा निभाते है
=====क्यों ना खुद से आज एक वादा कर लें,
दिल ना दुखे किसी का, ये इरादा कर ले!
=====तुझे शिकायत है कि मुझे बदल दिया है वक़्त ने.
कभी खुद से भी तो सवाल कर ‘क्या तू वही है'.
====खुदाया ये बेखुदी कि खुद के साथ बैठ कर
अपना ही इंतेज़ार किया है मैनें कई शाम …
तमाम चेहरों में कौन सा चेहरा है मेरे दोस्त
है खुद से ये सवाल किया मैनें कई शाम…
====आज फिर गुजरे लम्हो की किताब खुली
फिर कुछ दर्द रिसने लगे एक अपने अजनबी से
आज फिर प्रीत रूसवा हुई कसूर महज इतना
मेरी फितरत मे अपनियत की तासीर थी
कौन आज अपना सा है? मै तुम..?
कुछ सवालो के उलझे सिरे सुलझाने की
जद्दोजहद ने अहसासो के पोरों को जख्मी किया
लहू जिस्म से नही दिल से दिल मे बहने लगा
फिर दर्द के स्याह शब की आगोश मे पनाह लेकर
प्रीत के नये सूरज के इंतजार मे
हर लम्हा कतरा कतरा बिखरा मै को
समेटने की नाकाम कोशिशो मे
वक्त हाथ से निकलता गया
संवेदनाशून्य सा मै खुद से सवाल करता रहा
क्या प्रीत से भरा मै ने प्रीत बरसाकर गुनाह किया
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