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Thursday 24 January 2019

मे आई प्रेस इट?

आप समस्त स्नेहीजनों को अंतरंग का स्नेह वंदन
॥ जय श्री राम ॥
शुभ प्रभात
आपका दिन मंगलमयी हो ।

नेहा : मम्मी देखिये ये टी शर्ट कैसी लगेगी?" सत्रह वर्षीय नेहा एक मॉल में प्रतिष्ठित ब्रांड की टी शर्ट दिखाते हुए अपनी मम्मी से पूछ रही थी.
मम्मी : अरे वाह कलर कॉम्बिनेशन तो बहुत अच्छा है.तुम पर लगेगा भी बहुत अच्छा.लेकिन इसकी छाती पर यह क्या लिखा हुआ है?
नेहा : लिखा है प्रेस इट ।
मम्मी :  फिर यह शर्ट मत लो, इस तरह की अंट शंट बातें लिखे हुए कपड़े मुझे पसंद नही ।
नेहा : क्या मम्मी अगर किसी चीज को गलत सोचोगे तो उसका अर्थ भी गलत ही निकलेगा । देखो प्रेस इट के नीचे कपडे इस्तरी करने वाली पुराने टाईप की कोईल वाली आयरन का फोटो भी तो बना हुआ है। मतलब यह हुआ की इस टी शर्ट को प्रेस करके ही पहनो । 
मम्मी : अच्छा बताओ नेहा यदि तुम किसी को मखमल में लपेट कर जूता या पत्थर मारोगी तो क्या कहोगी? मैंने तो आपको मखमल मारा है । ठीक इसी तरह यहाँ पर शब्दों का प्रयोग किया गया है ।
नेहा : मम्मी इतनी गहराई में जा कर क्यों सोचती हो? साधारणतः आदमी ऐसे वाक्यों को पढ़ कर दिमाग से निकाल देता है।
सेल्समैन : अरे,मैडम आजकल फैशन ही है ऐसे लिखे कपड़ों का। कुछ और टी शर्ट दिखाते हुए ।
नेहा : मम्मी आप भी कहां सोलहवीं शताब्दी की सोच वाली बातें कर रही हैं। आज हम इक्कीसवीं सदी में है तो कुछ परिवर्तन तो आयेगा ही ना।
मम्मी : परिवर्तन यदि सकारात्मक हों तो अच्छे लगते है.किन्तु इस तरह के परिवर्तन ना सिर्फ गन्दी सोच को प्रदर्शित करते है बल्कि किसी हद तक नैतिक पतन का कारण भी बनते है। तुम्हारे पापा से भी पूछ लेते है । क्यों जी ! तुम्हारा क्या विचार है इस सन्दर्भ में?
पापा : मैं आपसे सहमत हूँ ।  किसी एक गलत आशय से लिखे शब्दों को किसी चित्र के माध्यम से सही प्रदर्शित करने की कोशिश करना तो कहीं से भी नैतिक दृष्टिकोण से सही नहीं हैं।
मम्मी : नेहा ! सोचो कभी इस तरह के लिखे वाक्य वाले कपड़े पहन कर अपने पापा,भाई,ताऊ या चाचा के साथ कहीं जा रही हो और उसी समय कोई निचली मानसिकता वाला मनचला धीरे से कमेंट्स पास करता है 'मे आई प्रेस इट?'  तब तुम पर क्या  गुजरेगी? क्या तुम्हे यह अच्छा लगेगा? क्या तुम अपने पापा या रिश्तेदार से नजर मिलाने की स्थिति में रहोगी? क्या तुम उस समय भी उस मनचले को प्रेस की तस्वीर दिखाओगी? क्या तुम उस समय इस फैशन के प्रति गर्वित होंगी?

यद्यपि नेहा अपने मम्मी पापा की बातों से सहमत नहीं थी , फिर भी उनकी बात रखने के लिये उसने दूसरी टी शर्ट ले ली ।

नेहा के कॉलेज के पहले सेमिस्टर का आज आखरी पेपर है .सभी सहेलियों के बीच यह प्रोग्राम बना की तीन बजे पेपर समाप्त होने के बाद वे पास के सिनेप्लेक्स में चार बजे वाला शो देखने जायेंगी । फिल्म समाप्त होने के बाद समीप के कॉफ़ी शॉप जायेंगे और कॉफ़ी के बाद सब अपने अपने घर चले जायेंगे ।

नेहा : अरे वाह गरिमा , क्या टी शर्ट पहनी है. मुझे भी यह कलर कॉम्बिनेशन खूब अच्छा लगा था।  किन्तु इसकी फ्रंट पर लिखा हुआ मैटर मम्मी पापा को पसंद नहीं आया इस कारण मुझे यह टी शर्ट छोड़नी पड़ी।

गरिमा : प्रेस इट ही तो लिखा है । कोई गाली या देश विरोधी नारा तो लिखा नहीं है। देख मेरी जीन्स की हिप्स वाली पॉकेट पर क्या लिखा है, हंसते हुए।
नेहा : अरे इस पर तो लिखा है ट्राय टू ओपन ।
गरिमा : तेरे मम्मी पापा तो ऑर्थोडॉक्स नेचर के है भई ! आजकल तो फैशन ऐसे ही कपड़ों का है, और हम तो फैशन दीवाने हैं।
जाह्नवी : मम्मी पापा पहन नहीं सकते, इसलिये बच्चों को मना करते है।
गरिमा : बेचारे!  जोर से हंसते हुवे ।

पेपर समाप्त होते ही सभी सहेलियां सिनेमा देखने चली गई । अभी फिल्म शुरु होने में थोड़ा समय था । इसी कारण सभी सहेलियां लाउंज में खड़ी हो गई । गरिमा ने महसूस किया की सामने से तीन लडके उसे लगातार घूरे जा रहे थे । यद्यपि उसे यह थोड़ा असहज लगा किन्तु उसने इसे नजरअंदाज कर दिया ।
इंटरवल में भी गरिमा ने पाया की तीनों लडके उसी को देख कर आपस में बातें कर रहे है। अब कुछ सावधान हो गई ।

फिल्म समाप्त होते ही सभी सहेलियां कॉफ़ी शॉप में चली गई । गरिमा ने देखा तीनों लडके भी उसी कॉफ़ी शॉप में आ गये हैं । गरिमा ने यह बात अपनी सहेलियों को बताई । हालांकि कुल मिला कर पांच सहेलियां थी फिर भी उन तीनों के हावभाव देख कर डर गई।

गरिमा व नेहा एक ही लाइन में रहती थीब पहले नेहा का घर आता था,  उसके लगभग पांच सौ मीटर आगे गरिमा का घर था ।

कॉफ़ी शॉप से सभी सहेलियां अपने अपने घर की तरफ निकल पड़ी । गरिमा  व नेहा साथ में थी । तीनों लड़के दो बाईक पर थे ।

यार बल्लू ऐसा लगता है तू दो हजार की शर्त हार जायगा। तीनों में से एक लड़का बोला।
यह संभव ही नहीं है। तुम तो जानते ही हो बल्लू आज तक कोई शर्त नहीं हारा हैं। और फिर प्रेस करने की चुनौती तो खुद मैडम ने दी है। हम इतने नामर्द भी नहीं है कि ऐसी चुनौती को पूरा ना कर पाएं।
और अगर ट्राय तो ओपन वाली चुनौती पूरी की तो पांच हज़ार का दांव है। दूसरा साथी बोला.
अगर तुम दोनों साथ दोगे तो वह चुनौती भी उतार फेंकेंगे बल्लू बोला

अब तक दोनों लड़कियां समझ चुकी थी कि यह सब टी शर्ट और जीन्स पर लिखी बातों के कारण से हो रहा है .जनवरी की उस ठंडी शाम में भी दोनों का शरीर पसीने से भीग गया । कॉफ़ी शॉप से दोनों का घर इतनी दूर भी नहीं था कि वहां के लिये कोई ऑटो या टैक्सी ली जाय । फिर भी उन्होंने कोशिश की, किन्तु ऑटो वाले इतने अधिक पैसे मांगे की दोनों ने पैदल जाना ही उचित समझा ।
दोनों ने तेज़ तेज़ कदम घर की तरफ बढ़ा दिये ।
दोनों ही किसी अनअपेक्षित घटना से बचने के लिये हेल्प लाइन का नम्बर याद करने की कोशिश कर रही थी ।
लडके बाईक लिये बराबर पीछे चल रहे थे तथा मौके का इंतज़ार कर रहे थे।
तभी अचानक एक अनअपेक्षित घटना घट गई ।
नेहा ! इस तरह दौड़ कर क्यों जा रही हो? कोई इमरजेंसी है क्या? कार रोकते हुए पापा ने पूछा।
पापा ! नेहा ख़ुशी से चीखते हुए बोली जल्दी से दरवाज़ा खोलिये ।
दरवाज़ा खुलते ही नेहा ने पहले गरिमा  को चढ़ाया और फिर खुद चढ़ी ।

कार में बैठते ही गरिमा की रुलाई फूट पड़ी और वह नेहा से चिपक कर रोने लगी ।
पापा समझ गए की जरुर कोई गंभीर घटना घटी है । वे दोनों को लेकर घर आ गये ।

पूरी घटना सुनने के बाद मम्मी गंभीरता से बोली देखो नेहा उस समय हमने लोगो ने सही निर्णय किया था ना?
नेहा : जी ! मम्मी ।
गरिमा : सिसकते हुवे ! मैंने कभी सोचा भी नहीं था इतना सा लिखा होने के कारण मुझे इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
पापा : देखो गरिमा , हर इंसान में अच्छी और बुरी प्रवृत्ति हर समय मौजूद रहती है तथा किस समय कौनसी प्रवृत्ति प्रभावशाली होगी यह उस वक़्त की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हो सकता है जिस समय किसी व्यक्ति की बुरी प्रवृतियां जाग्रत हो रही हो उसी समय इस तरह की कोई बात पढ़ने से यह प्रवृतियां और अधिक प्रोत्साहित हो कर किसी दुर्घटना का कारण बन जाय अतः अपनी तरफ से सावधानी रखना अत्यन्त आवश्यक है।
यदि कुछ लिखा हुआ पहनने की फैशन है तो प्राकृतिक एवं सामाजिक जागरूकता और सुरक्षा से जुड़े संदेशों वाले कपडे पहनो ताकि फैशन भी हो जाय और लोगों को अच्छा सन्देश भी जाय।

मम्मी : यह तो कपड़े बनाने वाली कम्पनी की जवाबदारी भी बनती है कि वह भटकाव वाले संदेशों की जगह चेतना वाले सन्देश छापे ताकि युवा पीढ़ी का झुकाव आदर्शो की तरफ हो ।
पापा : बिलकुल ठीक।

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