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१)
समजते थे हम उनकी हर एक बात को,
वो हर बार हमसे धोका देते थे,
पर हम भी वक़्त के हातो मजबूर थे,
जो हर बार उनको मौका देते थे.
२)
वो दिन कभी मत दिखाना मेरे मालिक
कि मुझे अपने आप पर गुरुर हो जाये
रखना मुझे इस तरह सब के दिलों में
कि हर कोई दुआ देने को मजबूर हो जाये
३)
दिल के टुकड़े मजबूर करते है कलम चलाने को वरना
हक़ीक़त में कोई भी खुद का दर्द लिखकर खुश नही होता..
४)
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
५)
दिल के टुकड़े मजबूर करते है कलम चलाने को वरना
हक़ीक़त में कोई भी खुद का दर्द लिखकर खुश नही होता..
६)
कद्र तो लोग खुदा की भी ना करें
अगर हालातो से मजबूर ना हो
७)
इतना भी नजरअंदाज मत करो मुझे,
की मैं तुम्हें भूलने पे मजबूर हो जाऊं
८)
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम…
९)
हम किसी को मजबूर नही करते कि वो हमसे बात करें,
जिनको है दिल मे हमारी कदर वो खुद याद कर लेते है
१०)
हसीन थी घड़ियाँ और मजबूर थे लम्हें.!
एक ही पन्ने पर दोनो को लिखूँ कैसे
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