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एक राजो हो। एक प्रधान हो। एकबार बी दोनु जना सासर चाल्या हा।
रस्ताम बिश्राम देवता रो मिन्दर लाग्यो। प्रधान बोल्यो , "महाराज चालो आप बिश्राम देवता रा मिन्दर म जावा , दर्शन लेवा, थोड़ी देर बिश्राम करा , पछ चाला। राजो बोल्यो , "मन देर हुव ह। सासर सगळा म्हारी बाट देखता होशिला। लुगाई पंचारत्या लेयर उभी होशिला। म तो जाऊ। " और राजो आग चलो गयो।
प्रधान बिश्राम देवतारा दर्शन करयो , थोड़ी देर बिश्राम करया बाद आपरा सासरान निकल्यो।
राजो आपरा सासर पुग्यो तो सुसराजी का महल म आग लाग गयी। कोई बिन पूछ्यो कोणी। बटन प्रधान आपरा सासर पुग्यो जना बिकी लुगाई पंचारती करी, सगळा जना घणो आदर आतिथ्य करयो।
राजो आपरा नागरिम आयो जना सगळी हकीगत प्रधान न बताई। प्रधान बोल्यो ,"महाराज यो सब बिश्राम देवता का मिन्दर माय थे नहीं गया जिरासु हुयो। म बिश्रामजी का दर्शन करन , मिन्दर माय थोड़ो आराम करयो और बादमे सासर गयो तो म्हारो तो घणो ठाटबाट हुयो। "
अगली बार राजा सासर जवान निकल्यो तो रास्ताम बिश्रामजी का मिन्दर माय गयो, दर्शन लिया, थोड़ी देर बिश्राम करयो और बिका बाद सासर निकल्यो। सासर लुगाई पंचारती सु स्वागत करयो। सगळा लोग घनी आओ भगत करया। घणो ठाटबाट हुयो।
हे बिश्राम देवता प्रधानं न दियो ब्यान सबन दीज्यो। राजकी फजीती करी ब्यान कुणाकी मत करज्यो।
एक लपेश्री हो। एक तपश्री हो। तपश्री तपस्या करतो। लपेश्री सव्वसेर लापसी को भोग लगायर जिम लेवतो। एक दिन दोनु जना लड़ पडया। तो नारदजी प्रकट हुया और पुछया , "थे दोइजना क्यू लड़ो?" जना लपेश्री बोल्यो "में बड़ो। " तपश्री बोल्यो "में बड़ो। दिनभर में भगवान की पूजा करू। "
दूजा दिन नारदजी सव्वा करोड़ रो मूंदड़ों तपश्री का खोल्या म न्हाक्यो। तपश्री मूंदड़ों देख्यो तो झट उठायने मांडी रा हेट रख दियो। फिर नारदजी आया और पुछया, "कुन बड़ो ?" और बोल्या, "तपश्री तू मांडी उठा। " तपश्री मांडी उठायो जड़ मांडीरा हेट सव्वा करोड़ रो मूंदड़ों मिल्यो। जना नारदजी बोल्या, "तपश्री तू तपस्वी होकर मूंदड़ों चुरायो , थारी तपस्याम भंग पड़ग्यो ; जिकाऊ लपेश्री बड़ो।
जना तपश्री पूछ्यो , " म्हारी तपस्या को फल क्यान मिली?"
नारदजी जबाब दिया, "कहानी केयर थारी कहानी नई कई बीको फल थन होइ। रोटी पॉयर बाटयो नई पोइ बीको फल थन होइ कांचळी देयर कसनी नई देई बीको फल थन होइ। बिरामण जिमायर दीखना नई देइ बीको फल थन होइ। ननंद जिमयर नांदी नई जिमयी बीको फल थन होइ। दियासु दियो लगाईं बीको फल थन होइ। पगा पर पग धोई बीको फल थन होइ। " इत्तो केयर नारदजी अन्तर्धान हुयग्या।
जना कनावु कया पछ लपेश्री - तपश्री की कहानी केवानी जिको कहानिको फल मिल।
सबस छोटो बेटो गरीब हो। बिन वैश्या को नाद हो। की कमावातो नहीं थो और दिन भर वैश्या का घर म पडयो रेवतो। बिकी लुगाई तीन दीवर जिठाण्या क काम करती और पेट भरती।
एक बार सावन को महीनो आयो। छोटी तीज आई। जना बिकी लुगाई सोची 'बड़ा तीज का पिंडा क्यान बनाओ?'
सत्तू (पिंडा) बनवाना हा जिकाउन बिका दीवर जिठाण्या का घर बा गहु, धाना, चावल और शक्कर पिश्या। बिक बाद घट्टी न झटकायर् जिको थोड़ो थोड़ो आटो जमा होतो जिको बा घर लेकर आई। पच बिन सेखकर पिंडो बनायो। पच सिंजारा का दिन माथो धोयो, हिन्डो खेल्यो, मेहंदी लगायी। दूजा दिन बड़ी तीज को उपवास रख्यो। शामका लिम्बडी माता की पूजा करि। चाँद न अरग डेयर बा पिंडो पासबान बेठी।
बीको धनि वेश्या का आठसु आयो। हेलो पाड़ाबां लाग्यो , "बार बार खोल किवाड़। ." बा किवाड़ खोल्यो और बिक धानि न घर का मायन लियो। दोई जना पिंडो पासबाँ न बेठ्या की बीको धनि बोल्यो , " मन वेश्या का आठ लिजायर छोड़ दे। " पछ बा पिंडो पासबाँ का पेली धनि न खांदा पर बिठायर वेश्या का आठ छोडर आई। घर आई और पिंडो पासबाँ न बैठी।
बीको धनि और आयो। बा किवाड़ खोल्यो। पिंडो पासबांन बेठताई बीको धनि वेश्या का आठ छोड़ दे बोल्यो। वेश्या को घर नदी का पेल तीर हो। बा धनि न छोड़ दियो। इश्यो सात बार हुयो।
बा आवति जावती जना नदी मायासु आवाज आवतो , "आवतडी जावतड़ी द्रोणो खोल पिवतडी। जीव थारा पिव घर बस। "
बा सातवी बार ध्यान लगायकर नदी मयसु आवतो आवाज सुन्यो , "आवतडी जावतडी द्रोणो खोल पिवतडी। जीव थारा पिव घर बस। " नदी रा किनारा एक आकड़ा को झाड़ हो। बा आकडारा पत्ता लेवने द्रोणो करयो। सातबार नदीको पानी द्रोणो खोलर पियो।
घर आयर बा पिंडो पासबाँन बेठी। बिच समयपर बीको धनि आयो और हेलो पाड़बा लाग्यो , "बार बार खोल किवाड़। " जना बा बोली, "अब म कोणी किवाड। घडी घडी लेजाउ मन देर हुव। पिंडो पासबाँ समय जव। " जना बीको धनि बोल्यो "अब म कोणी जाउ। किवाड़ खोल। " बा किवाड़ खोल्यो। धनि घरमाय आयो और दोई जना पिंडो पासबान बेठ्या। पच बीको धनि वेश्या का आठ कोणी गयो। कमबा लाग्यो।
दूजा दिन जठ बा काम करती बठसु बुलावो आयो जाना बा बोली, "घाना दिन थाका करया। अब म कोणी आउ। मन तीज माता टूटी ह। "
बा आकड़ां का द्रोणा म पानी पी जिकाऊ यो हुयो। आप कच्चो दूध द्रोणा म लेयर पिवणु।
ज्यान तीज माता बिन टूटी ब्यान कहानी केवन वालन, सुनें वालन , द्रोणो खोलर पिवण वालन , व्रत कारन वालन , सगलान टूटज्यो। खोटी ऋ खरी , अधूरी की पूरी करज्यो। सवग भाग अमर रखज्यो।
एक सावकार सावकारणी हा। ब्यान कोई टाबर नहीं हा। जिकाऊ सावकारणी बोलवा करी। बा लिम्बडी माताने बोली, " हे लिम्बडी माता, मन टाबर कोणी। अगर आपकी कृपासू मन टाबर हुयो तो म्हे थोरी पूजा करिस, उजवणो करू, घी गुळ की पल बांधू और चन्दन चोकमे रोपु, सव्वमनको सत्तू चढ़ाउ। "
काई महीना बाद सावकारणीने बेटो हुयो। पर बा बोलावा भूलगी। यान करता करता बिन सात बेटा हुआ। पर सावकारणीं बिकी बोलवा याद कोणी आई।
साल बीतता गया. बड़ा बेटा की सगाई हुई। ब्याव हुयो। नयी बहु घरम आई. भादवा का महिनाम बड़ी तीज आई. बहु पहला दिन माथो धोई और मेंदी लगायि. दूजा दिन गावकी सारी लगाया लिम्बडी की पूजा करन जावन लागि तो बहुभि तैयार होयने पूजाका लिए चली थी। तभी सावकारणी बहु न बोली "आपरा घर म कड़ी लिम्बडी रो पेड़ ह। बहूजी थे बिकी पूजा कर ल्यो।" बहु सासुरी बात मान गयी और उभा लिम्बादिरी पूजा करली।
पूजा हुआ बाद बहु आपरा धनिरा साथै बैढने सेतु पसबा लागी। उत्ताम फा फु करता नागदेवता आया और बिक बिन्दन उठायर ले गया। पर फिर भी सावकरणीं न अपनी बोलवा याद कोणी आई।
सावकरणीका छे बेटा यानई बड़ी तिजका दिन गायब हुयग्या। पर सावकारणीं न बोलवा याद कोणी आई।
सबसु छोटा बेटा की उम्र ब्यावकी हुयगी। सावकार एक ज्ञानी बिरामण ने बुलायने बिका साथै बेटारो ट्ेवो (कुंडली ) दिनों और बोल्यो "ब्राम्हण देव दूर देश जाओ और एक सुलक्षानी कन्या मोरा बेटा रा लिए ढूंढकर लाओ। " बिरामण घुमतो घुमतो मारवाड़ पोहोच गयो. बढे बिन एक कन्या पसंद आई. बेटे री बारात लेवेने सावकार पोहोंच्यो। घनी धूम धाम सु ब्याव हुयो। सावकार बोल्यो, "अभी बहुन काई दिन आठही पिहरं रवां डयो। चोखो मुहूर्त देखने में लेवण आइस। "
सावनको महीनो आया बाद सावकारणी सावकार ने बहू न लेवण भेज दियो। मारवाड़सु सासर जावन एक महीनो लाग. माँ आपरा बेटिन छोटा बड़ा टीजर बरमे सगलो सिखायो।
बहु आपरा सुसराजिरा साथै ससर जावन निकली। रस्ता म छोटी तीज को सिंजरो आयो बा बोली, " पिताजी आज आठही वास करा। " बहु माथो धोई, मेंदी लगायी, शामका चुरमो बनाओ और भोग लगायने जिमली। दूजा दिन लापसी चावल बनाया। रुपयो सुपारी लेवने कलपनो कलप लीणो।
बिका बाद नारली पूर्णिमा (रक्षाबंधन , श्रावणी पूर्णिमा या पतंगी पूर्णिमा) आई। बिका एक दिन बाद बड़ा तिजरो सिंजरो हो. बहु फिरसे बोली, "पिताजी आज आठही वास करा। "
बा भादवा बद्य दूजका दिन माथो धोयो, सत्तूरो पिंडो बनाओ, मेहंदी लगायी और दाल चूरमा की रसोई बनाई। दूजा दिन तड़क उठने आधारात्यों करयो। रुपयो, सुपारी और सतुकी गोली लेवने कल्पनो कलाप लियो। दिनभर उपवास कारयो। शामका लिम्बडीकी डाली लेवने मट्टीकी पल बनाएर लिम्बडी माता की पूजा मांडी और बा पूजा करबा लागी। बा पूजा शुरू करतही लिम्बडी माता आगे आगे जाबा लागी। बा हाथ प्रार्थना करी, " हे लिम्बडी माँ महारसु काई गलती हुई की जो थे दूर जावो हो?" जाना लिम्बडी माता बोली, "थारा सासुजी न पुछजे काई बोलावा करी थी। "
काई दिन बाद बहु आपरा घर पूगगी। रास्ताम घटी जिकी पूरी बात ससुजिन सुनाई। सासु बोली, "बहूजी मन याद कोणी कई बोलावा बोली थी ?"
यान करता करता साल बित गयो. बड़ा तीजकी पूजा हुई। बहु आपरा बिन्द का साथै पिंडो पासबान बैठी तो फा फु करता नागदेवता आया। बहु बिकपर तोपलो ढक दिनों। पिंडो पासनो हुया बाद दोई जाना भोजन कारन बेठ्या तो नागिन आई और बोली, "म्हारा धानिन छोड़ दे। " जना बहु बोली, "म्हे थारा धानिन छोड़िस पर पहले म्हारा छे वापस करो। "
जाना नागिन बोली, "थारा सासून टाबर नहीं थो जना बा लिम्बडी माता न सव्वामन रो सत्तू चढ़ावन की बोलावा करी थी। सात टाबर हुयग्या ब्याका ब्याव हुयग्या तो भी थारी सासु आपरी बोलवा पूरी कोणी करी। " जना सावकारणी न आपरी बोलवा याद आई। जना बहु बोली , " म्हारी सासुजी भूल गयी। पर म लिम्बडी माता न सव्वासात मन रो सत्तू चढ़ाउ। अब तो म्हारा छे जेठ वापस कर द्यो। "
पच बहु सव्वसात मन रो सत्तू लिम्बडी माता न चढायो। नागदेवता बिक छे जेठन छोड़ दिया और बोल्या, "उभा लिम्बडीम नागदेवता को वास रेव। जिकाउन उभा लिम्बडी की पूजा कोणी करनी। "
सावकारणिका छे बेटा वापस आयग्या जिकाउन बिन आनंद हुयो। आपापरा धनि देखने सब जिठाण्या खुश हुयगी। जिका वजहसे सगळी जन्या छोटा बहु का पग पडबा लागि और जना बा बोली, "थे पदो लिम्बडी माता का पगा और म लागू थाका पगा। "
हे लिम्बडी माता छोटा बहु न तूटी ज्यान सगळां न टूटज्यो। खोटी की खरी, अधुरिकी पूरी करजो। सवाग भाग अमर राखज्यो।
भादवा (भाद्रपद ) बद्य दुज न बडी तिज को सिंजारो रेव. जिका दिन माथो न्हावनो और मेंदी लगावनी.
भादवा बद्य तृतिया का दिन बडी तिज रेव. जिका दिन तडकं आदरात्यो करनु. कोई फराळको करं. दही, खडीशक्कर और सत्तु (पिंडो) खावनु. कळपनो कळपर उपवास को संकल्प लेवनो. दिनभर उपवास रखनु. शाम को लिंबडीरी पुजा करनी . पुजा हुया फेर कहाणी केवनु. चाँद निकल्या फेर दर्शन करके अरग देवनु. उकाबाद भोजन करनु .
लिंबडीरी पुजा
लिंबडीरी डंगाली (branch) लेवनु. एक परात म मिट्टीकी पाळ बनानी और लिंबडीरी डंगाली न मिट्टीका गोळा माय फसानु और परात म एक बाजू रखनु . यो तयार हुईग्यो लिंबडी रो तालाब. कोई लोग बेर की डंगाली भी लिंबडी रा साथे लगाव. पाळ दिवार का सहाराभी मांडणी आव.
लिम्बडीरा पूजा का वास्त हलदी, कुंकु, गुलाल, चावळ, मोली, पान, सुपारी, ककड़ी, काकड़ा (अकड़ा) का पान, गाय को कच्चो दूध, तजो पानी, ब्लाउज पीस, रुपयेकी चिल्लर (coin ), उदबत्ती, घीको दियो, मेंदी, काजळ की डिब्बी, धुपरती, निम्बू, सततुकी लिम्बडी, फूल ये सब चीजे रेव.
खवनका पानमाथे कुकुको स्वस्तिक निकलनो. सुपरिन मोली को धागो लपेटकर गणेशजी बनाना और रुपयामाँथे रखनु. पानी और दूधका छाटा (छिटा) देना. हल्दी, कुंकु, गुलाल, चावल और फूल चढानु. मौलिका वस्त्र अर्पण करनु. सत्तू को भोग लगानु.
लिम्बादिका तालाब म पानी और दूध चढानु. दियो और उदबत्ती जोयर तालाबका किनारा रखनु. लिम्बाडिकी पूजा हल्दी, कुंकु, मेंदी, काजळ , चावल, गुलाल सु करनु. बादमे फूल, मोली और ब्लाउज पीस चढानु. सत्तु को भोग लगानु. जो भी रसोई बनाइ ह बीकोभी भोग लगानु. हल्दी,कुंकु, काजल और मेंदी की सोला टीक्या देवनु. इसकेबाद लिम्बडिका तालाबम कसूम्बल, मोती, हीरो, सोनेरी चीज, चांदीरी चीज, लिम्बडी को पत्तो, बेरिको पत्तो, दियो, ककड़ी, निम्बू, सततुकी लिम्बडी ये सब चीजे देखणु।
रुपयेका चिल्लरसु, चांदीका सिक्कासु या चककुसु पिंडो पासनु.
लड़कारा हाथसु लिम्बडिका पत्ता तोड़कर लेवना.
चाँद निकल्याबाद चण्डको दर्शन कर अरग देवनु और बिक बाद भोजन करनु.
पूजा हुआ बाद भोजनका समय अकड़ाका पनको द्रोण बनायर सात बार कच्चो दूध पिनु. दूध पिता समय बोलणु
"सवाग धायी की जल धायी?" "सवाग धायी पर जल नहीं धायी "
भोजन का शुरूमे निम्बादिका पट्टका सात टुकड़ा, ककड़िका सात टुकड़ा, निम्बू, सट्टुका सात टुकड़ा खाना और बादमे पानी पिवणु और भोजन शुरू करनु. भोजन समय बात नहीं करनु.
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