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Wednesday 13 August 2014

आकड़ा का द्रोण की कहानी





आकड़ा का द्रोण की कहानी 


 akada

एक सावकार हो। बिका चार बेटा हा। तीन लखपति हां।

सबस छोटो बेटो गरीब हो। बिन वैश्या को नाद हो। की कमावातो नहीं थो और दिन भर वैश्या का घर म पडयो रेवतो। बिकी लुगाई तीन दीवर जिठाण्या क काम करती और पेट भरती।

एक बार सावन को महीनो आयो। छोटी तीज आई। जना बिकी लुगाई सोची 'बड़ा तीज का पिंडा क्यान  बनाओ?'

सत्तू (पिंडा) बनवाना हा जिकाउन  बिका दीवर  जिठाण्या का घर बा गहु, धाना, चावल और शक्कर पिश्या। बिक बाद घट्टी न झटकायर् जिको थोड़ो थोड़ो आटो जमा होतो जिको बा घर लेकर आई। पच  बिन सेखकर पिंडो बनायो। पच सिंजारा का दिन माथो धोयो, हिन्डो  खेल्यो, मेहंदी लगायी। दूजा दिन बड़ी तीज को उपवास रख्यो। शामका लिम्बडी माता की पूजा करि। चाँद न अरग डेयर बा पिंडो पासबान बेठी।

बीको धनि वेश्या का आठसु आयो। हेलो पाड़ाबां लाग्यो , "बार बार खोल किवाड़। ." बा किवाड़ खोल्यो और बिक धानि न घर का मायन लियो। दोई जना पिंडो पासबाँ न बेठ्या की बीको धनि बोल्यो , " मन वेश्या का आठ लिजायर छोड़ दे। " पछ बा पिंडो पासबाँ का पेली धनि न खांदा पर बिठायर वेश्या का आठ छोडर आई। घर आई और पिंडो पासबाँ न बैठी।

बीको धनि और आयो। बा किवाड़ खोल्यो। पिंडो पासबांन बेठताई बीको धनि वेश्या का आठ छोड़ दे बोल्यो। वेश्या को घर नदी का पेल तीर हो। बा धनि न छोड़ दियो। इश्यो सात बार हुयो।

बा आवति जावती जना  नदी मायासु आवाज आवतो , "आवतडी जावतड़ी द्रोणो खोल पिवतडी। जीव थारा पिव घर बस। "

बा सातवी बार ध्यान लगायकर नदी मयसु आवतो आवाज सुन्यो , "आवतडी जावतडी द्रोणो खोल पिवतडी। जीव थारा पिव घर बस। " नदी रा किनारा एक आकड़ा को झाड़ हो। बा आकडारा पत्ता लेवने द्रोणो करयो। सातबार नदीको पानी द्रोणो खोलर पियो।

घर आयर बा पिंडो पासबाँन बेठी। बिच समयपर बीको धनि आयो और हेलो पाड़बा लाग्यो , "बार बार खोल किवाड़। " जना बा बोली, "अब म कोणी  किवाड। घडी घडी लेजाउ मन देर हुव। पिंडो पासबाँ  समय जव। " जना बीको धनि बोल्यो "अब म कोणी जाउ। किवाड़ खोल। " बा किवाड़ खोल्यो। धनि घरमाय  आयो और दोई जना पिंडो पासबान बेठ्या। पच बीको धनि वेश्या का आठ कोणी गयो। कमबा लाग्यो।

दूजा दिन जठ बा काम करती बठसु बुलावो आयो जाना बा बोली, "घाना दिन थाका करया। अब म कोणी आउ। मन तीज माता टूटी ह। "

बा आकड़ां का द्रोणा म पानी पी  जिकाऊ  यो हुयो। आप कच्चो दूध द्रोणा म लेयर पिवणु।

ज्यान तीज माता बिन टूटी ब्यान कहानी केवन वालन, सुनें वालन , द्रोणो खोलर पिवण वालन , व्रत कारन वालन , सगलान टूटज्यो। खोटी ऋ खरी , अधूरी की पूरी करज्यो। सवग भाग अमर रखज्यो।

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