श्रीकिसनजीरी सखा गाय, कदली बन चरबान गई वो राम।
जाय पवास्यो माता चाँदनियारो रुख, नरसिंग शाम डढुकिया वो राम।
दम खा रे नार दादा पाची जाबादे , बछड्यान पायर पाछी आवास्यां वो राम।
गली ये गायतड़ी माता असल गिवार, मरबार खातर कुन आवासी वो राम।
एक बाचा दोय बाचा तीसरोजी बाचा, चोथाम पाची आवास्यां वो राम।
घरकी धिराणी धरमकी बेन, बछड्यान सोरो राखज्यो वो राम।
सियाळ म्हारा बछड्यान ओठा ओबरियाम बाँध, ठंडो पानी पावजो वो राम।
चौमास म्हारा बछड्या पड़झाया बाँध, हरियो घासज निरजी वो राम।
आओ रे म्हारा बालक बछड्या पीवो थाको दूध, अब थाको दूध मना हुयो वो राम।
गली ये गायत्री माता असल गिवार, बच नारो बांध्यो दूध ना पिव वो राम।
आग आग बालक बछड्या लार सखी गाय, कदली बन चरबा गयी वो राम।
जाय पवास्यो चाँदनियारो रुख, नरसिंग शाम डढुकिया वो राम।
आवोजी म्हारा मामा भकल्यो भानेजा, पच ही भखो थाकि बनडी वो राम।
कदका मामाजी कदका भानेज, कदकी मानी बनड़ी वो राम।
आजका मामाजी न आजका भानेज, आजकी मानेडी बनडी वो राम।
आवो रे म्हारा बालक बछड्या कुण दिनी थान सिख, किनार भरमाया माँड्यो मरणो वो राम।
घरकी धिराणी दिनी म्हान सीख, रामजी भरमाया माँड्यो मरणो वो राम।
आवो रे म्हारा बालक बछड्या पीवो थाको दूध, बचनारो बांध्यो दूध छूट गयो वो राम।
बन गायत्रीन चूंदड़ ओढाय, बछड्या भानेजान मोळिया वो राम।
श्रीकिसनजीरी सखा गाय, गाय गावां सु फल पावसी वो राम।।
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