जय श्री राम सखियों और सखाओ। आपके लिए ह्रदय को पिघलाने वाला प्रसंग लेकर आयी हु। कृपया पूरा पढ़ना और चिंतन जरूर करना।
गुंटूर शहर में मांडवी नामकी एक छोटी लड़की रहा करती थी अपने परिवार के साथ - जिसमे माता पिता और एक बड़ा भाई था। बड़े भाई का नाम पिनाकी था।
एक दिन मांडवी ने गुल्लक तोड़ दिया और सब सिक्के निकाले और उनको बटोर कर जेब में रख लिया| सारे रुपये लेकर वो घर से पास की केमिस्ट की दुकान पर गयी और दुकानदार से बात करने के लिए आवाज लगा रही थी। पर वो बहोत छोटी थी तो उसे कोई देख नहीं पा रहा था। दुकानदार अपने दोस्त विरुपाक्ष से बात करने में व्यस्त था। विरुपाक्ष विदेश से आया हुआ था।
कई बार आवाज लगाने के बावजूद भी कुछ नहीं हुआ तो मांडवी ने जेब से एक सिक्का निकाला और उसे काउंटर पर फेका। सिक्के की आवाज से दुकानदार का ध्यान उसकी और गया और फिर उसने पूछा, "बेटा आपको क्या चाहिए ?"
फिर मांडवी ने जेब से सब सिक्के निकाल कर अपनी छोटी सी हथेली पर रखे और बोली “अंकल मुझे चमत्कार चाहिए!”
दुकानदार समझ नहीं पाया उसने फिर से पूछा, वो फिर से बोली “मुझे चमत्कार चाहिए.”
दुकानदार हैरान होकर बोला – “बेटा यहाँ चमत्कार नहीं मिलता!”
वो फिर बोली “अगर दवाई मिलती है तो चमत्कार भी आपके यहाँ ही मिलेगा|”
दुकानदार बोला – “बेटा आप से यह किसने कहा?”
फिर मांडवी ने विस्तार से कहना शुरू किया, "मेरा नाम मांडवी है। मेरे भैया है पिनाकी उनको ट्यूमर हो गया है। उनके इलाज में बहोत पैसे लग रहे है समय पर उनका ऑपरेशन होना जरुरी है तभी वो बच सकते है। पर जो खर्च ऑपरेशन का डॉक्टर बता रहे है उतने पैसे नहीं है मेरे पापा के पास इसीलिए वो मम्मी को बता रहे थे की कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है। मै उसी चमत्कार को खरीदना चाहती हु जो मेरे भी पिनाकी को बचा ले।"
उसकी ये सारी बाते विरुपाक्ष भी बड़े ध्यान से सुन रहा था। फिर विरुपाक्ष ने मांडवी से पूछा, "बेटा बताओ कितने रुपये है तुम्हारे पास ?"
मांडवी ने अपनी मुट्टी से सब रुपये उसके हाथो में रख दिए। वो कुछ ५३ रूपए थे। विरुपाक्ष ने सारे रुपये अपने पास रख लिए और कहा, "मांडवी बेटे आपने चमत्कार खरीद लिया है चलो अब मुझे तुम्हारे भाई पिनाकी के पास ले चलो। "
मांडवी विरुपाक्ष को अपने घर ले गयी और अपने मम्मी पापा को बताया, "ये अंकल चमत्कार से पिनाकी भैया को ठीक करेंगे।"
फिर विरुपाक्ष ने बताया की वो एक न्यूरो सर्जन है और विदेश में काम करता है। अभी भारत छुट्टिया मनाने आया है। उसने पिनाकी की मेडिकल फाइल देखी और उसके ट्यूमर का ऑपरेशन करने के हिसाब से बाकि डॉक्टर्स से बात कर के ऑपरेशन का दिन तय कर दिया।
निहित दिन ऑपरेशन हुआ जो विरुपाक्ष ने केवल ५३ रुपये में किया। और पिनाकी की जान बच गयी।
मांडवी सरल भाव से चमत्कार ढूंढने निकली थी जो उसे विरुपाक्ष के रूप में मिला। सरल भावना आपको किसी न किसी रूप में ईश्वर का साक्षात्कार जरूर कराती है। जैसे विरुपाक्ष ने मांडवी की सहायता की वैसे ही आप भी किसी की न किसी की सहायता हमेशा करे। आपके अनुभव जरूर कमेंट करे। यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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