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Thursday 20 May 2021

मूर्तिपूजा से जुडी भावना

जय श्री कृष्ण सखियों और सखाओ। आज मूर्तिपूजा से जुडी एक कहानी आपके लिए लायी हु। इसे अंततक पढ़ना जरूर। 

Image: aajtak 

अनंतपुर नामके नगर में एक कमलनाथ नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह व्यापर और सामजिक दोनों ही क्षेत्रों में बड़ा निपुण था पर हमेशा परेशान रहता था। अपने मित्रो से अपनी परेशानी बतलाता था पर उसके परेशानी की वजह कुछ खास नहीं रहती थी। 

एक दिन ऐसे ही वह अपने मित्र के साथ परेशानी क्यों है इसकी चर्चा कर रहा था तो उसके मित्र ने उसे सलाह दी कि कृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो। बस फिर क्या था वह अपने घर एक सुन्दर सी कृष्ण की मूर्ति ले आया। और नियम से हर रोज पूजा करने लगा। 

जैसे उसके परेशानी का कोई कारण नहीं था वैसे ही उसकी पूजा में भी कोई रस नहीं था। इस वजह से वह कभी अपनी अकारण परेशानी से मुक्त न हो पाया। 

फिर ऐसे ही किसी और दोस्त से चर्चा करता और समाधान ढूंढने की कोशिश करता। किसी ने कहा हनुमानजी की पूजा करो तो वह हनुमानजी की मूर्ति घर ले आया और कृष्ण जी की मूर्ति को थोड़ा बाजु में हटा कर हनुमानजी को रख दिया। ऐसे करते करते उसके पूजाघर में सभी देवी देवता आगये पर मन कि परेशानी उसकी जरा दूर नहीं हुई। आखिर में किसी के कहने पर वह माताजी की मूर्ति लेकर आया और उसे भी वही रख कर रोज पूजा करने लगा।

ऐसे करते करते कई दिन बित गए और एक दिन उसके मनमे ख़याल आया, 'अरे मैंने तो धुप बत्ती माताजी के लिए लगायी है। पूजाघरमे रखे बाकि देवता भी उसे सूंघ रहे होंगे। मैं एक काम करता हु सबके मुँह बांध देता हु ताकि सिर्फ माताजी को धूपबत्ती का सुगंध मिले। '

जैसे ही वह श्रीकृष्णजी का मुँह बाँधने लगा कृष्ण भगवान ने उसका हाथ पकड़ लिया। वो हैरान रह गया और भगवान से पूछा, "इतने वर्षों से पूजा कर रहा था तब नहीं आए? आज कैसे प्रकट हो गए ?" तभी सारे देवी देवता प्रकट हो गए। 

भगवान श्रीकृष्ण ने समझाते हुए कहा, "आज तक तू एक मूर्ति समझकर मेरी पूजा करता था। किन्तु आज तुम्हें एहसास हुआ कि "कृष्ण साँस ले रहा है! तो बस मैं आ गया।" बाकि देवी देवताओ ने भी कृष्ण जी से सहमति जताई। 

तब कमलनाथ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सभी देवी देवताओ से क्षमा मांगी और वचन दिया, "मूर्ति में आप विराजमान है इसी भावना से अब मैं पूजा करुँगा। " 

कमलनाथ की मूर्ति की और देखने कि भावना बदली तो उसकी अकारण परेशानी भी दूर होने लगी और उसे  मन की शांति मिली। इसीतरह जब हम श्रद्धापूर्ण भाव से कोईभी ईश्वर कार्य करते है तो उसके फल बदल जाते है। जो भी कर्म हम जीवन में करते है उनके पीछे का भाव सकरात्मक कर दीजिये और फिर देखिये की आपको कैसे उस कार्य में सफलता प्राप्त होती है। 


यह कहानी आपको पसंद आयी हो तो एक बार आपकी श्रद्धा जिनके भी चरणों में है उनके नाम का जयकारा कमेंट कर दीजिये जिससे मुझे आपके लिए ऐसीही और कहानिया लाने की प्रेरणा मिलती रहे। और इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिये। धन्यवाद। 


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