1)
समय का सदुपयोग ही उन्नति का मूल मन्त्र है .!
2)
मदद करना सीखिये फायदे के बगैर .।
मिलना जुलना सीखिये मतलब के बगैर.।
जि़न्दगी जीना सीखिये दिखावे के बगैर .।
मुस्कुराना सीखिये सेल्फी के बगैर.।
और प्रभु पर विश्वास रखिये किसी शंका के बगैर।
3)
पावों में यदि जान हो तो मंजिल तुमसे दूर नहीं .
आँखों में यदि पहचान हो तो इंसान तुमसे दूर नहीं .
दिल में यदि स्थान हो तो अपने तुमसे दूर नहीं .
भावना में यदि जान हो तो भगवान तुमसे दूर नहीं .
4)
मनुष्य की चाल धन से भी बदलती है और धर्म से भी बदलती है.. जब धन संपन्न होता है तब अकड़ कर चलता है जब धर्म संपन्न होता है तो विनम्र होकर चलता है.. मनुष्य वास्तविक पूंजी धन नही, बल्कि उसके विचार हैं क्यों कि धन तो खरीदारी में दूसरों के पास चला जाता है पर विचार अपने पास ही रहते हैं
5)
जिंदगी भले छोटी देना मेरे भगवन्.. मगर देना ऐसी -, कि सदियों तक लोगो के दिलों मे - जिंदा रहूँ और हमेशा अच्छे कर्म कर सकूं
6)
क्यों गुरूर करते हो अपने ठाठ पर मुट्ठी भी खाली रहेगी जब पहुंचोगे घाट पर..
7)
कब्रिस्तान में एक तख्ती पर क्या खूब लिखा था
पढ़ ले दुआ किसी के लिए
कल तू भी तरसेगा इसी के लिए
8)
स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह रखिये,
जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता है,
जितनी की किसी गरीब की झोपड़ी में
9)
जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेके आती है और जिन्दगी की हर शाम कुछ तर्जुबे देके जाती है '
10)
जीवन भी एक वीणा के समान है। सब कुछ बजाने की कला के उपयोग पर ही निर्भर होता है। जीवन की वीणा तब ही झंकृत होगी जब हम दैवी गुण (प्रेम, नम्रता, सहनशीलता आदि) अपने जीवन में अपनायेंगे।
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