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Friday 17 July 2020

NCERT notes for Class 7- Sanskrit (रुचिरा ): Chapter 1- सुभाषितानि (Part 3)

नमस्कार दोस्तों, तो आज हम कक्षा 7 के संस्कृत के पहले पाठ 'सुभाषितानि' को समझेंगे। अगर अपने इसके पहले का भाग  यहाँ दबाइये। 
अगर अपने इसके पहले के विषयों को नहीं समझा है तो यहाँ दबाइये। 

पांचवी सुभाषितानि- 
धनधान्यप्रयोगेषु  विद्यायाः संग्रहेषु च। 
अहारे व्यवहारे च त्याक्तलज्जः सुखी भवेत्। 

अर्थ- धन और धन्य मतलब अनाज के प्रयोग में तथा विद्या के संग्रह में संकोच नहीं करना चाहिए। यानि, व्यव्हार और भोजन में लज्जा का त्याग करने वाला ही सुखी रहता है। 
जरुरी शब्दार्थ-
१. धनधान्यप्रयोगेषु- धनधान्य के प्रयोग में 
२. संग्रहेषु- संग्रह में, संचय करने में (संग्रह-collection)
३. त्यक्तलज्जः - संकोच को छोड़ने वाला 
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छटवी सुभाषितानि-
क्षमावशीकृतिर्लोके क्षमया किं  न साध्यते। 
शान्तिखड्गः करे यस्य किं करिष्यति दुर्जनः।  
 
अर्थ- पूरा संसार क्षमा के द्वारा वश में किया जा सकता है। क्षमा के द्वारा हर चीज सिद्ध की जा सकती है। जिसके हाथ में यह शांति रूपी तलवार है उसका दुष्ट भी क्या बिगड़ लेंगे। इसलिए क्षमा से कई अच्छी चीजे की जा सकती है। 
जरुरी शब्दार्थ- 
१. क्षमावशीकृतिर्लोके- संसार में क्षमा सबसे बड़ा वशीकरण है
२. क्षमया- क्षमा से 
३. साध्यते- सिद्ध किया जा सकता। 
४. शान्तिखड्गः - शांति रूपी तलवार
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धन्यवाद पढ़ने के लिए। इस ब्लॉग को शेयर कीजिये अपने दोस्तों के साथ। अगर आपको अपनी शब्दवाली (vocabulary) बढ़ानी है तो यहाँ दबाइये। 
 

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