रिश्ते कभी भी कुदरती मौत नहीं मरते।।
इनको हमेशा इंसान ही क़त्ल करता है।।
जाने-अनजाने नज़रअन्दाज़ी से ;
कभी बेवजह ग़लतफ़हमी से ;
कभी नफरत(द्वेष) की वजह से ;
तो कभी कषायों(क्रोध-मान-माया व लोभ) की अधिकता होने की वजह से।।
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क्रोध और आंधी दोनों बराबर होते है।
शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुआ है।
इसलिए हमेशा मुस्कुराते रहिये
अच्छी सोच, अच्छी भावना,
अच्छा विचार मन को हल्का करता है।
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आप बस एक काम करे जो आप दुसरो से चाहते है वो काम आप स्वय दुसरो के लिए भी करे । आप जो देते है वह हजार गुना लौट कर आता है। आप थोडा मुस्कुराते है यह जगत हजार गुना आपके साथ मुस्कुराता है। यदि आप चाहते है सब आपसे प्रेम करे, आपको सम्मान दे, आपको समझे तो आप सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करे। क्रोध न करे ,छमा भाव रखे। फिर देखिये बिना मांगे जीवन की हर ख़ुशी आपको कितने अच्छे से गले लगाती है।
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जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो. प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखो. क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखो. भय बहुत भयानक है, उसका सामना करो. स्मृतियां बहुत सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखो.
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पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जाता हैं। इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में, अशांति में रह लें, थोड़ी देर बाद-बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है
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ताला चाबी से भी खुलता है और हथौड़ा से भी.. लेकिन चाबी से खुला ताला बार-बार काम आता है, और हथौड़ा से खुला ताला केवल एक बार..। संबन्धों के ताले को क्रोध के हथौड़े से नही, बल्कि प्रेम की चाबी से ही खोले।
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क्रोध आने पर "चिल्लाने" के लिये ताकत नहीं चाहिए
मगर "क्रोध" आने पर चुप रहने के लिए बहुत ताकत चाहिए
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