शायर कहकर बदनाम ना कर मुझे !
मैं तो रोज़ शाम को दिनभर का हिसाब लिखता हूँ
====तेरे मेरे रिश्ते को क्या नाम दूँ,
यह नाम दूँ या वो नाम दूँ
इस दुनिया की भीड़ मे,
नाम हो जाते हैं बदनाम,
क्यो ना इस रिश्ते को बेनाम ही रहने दूँ
=====आदत थी मेरी सबसे हँस के बोलना
मेरा शौक ही मुझे बदनाम कर गया
=====Image Credit: virjeshsingh.wordpress.com
=====
क्या खूब लिखा हैं किसी ने संगत का जरा ध्यान रखना साहब
संगत आपकी ख़राब होगी और बदनाम माँ बाप और संस्कार होंगे
=====
अभी सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो
मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो!
=====
शराब को तो ऐसे ही बदनाम कर रखा है।।
वरना मोबाईल में भी नशा इससे कम नहीं है।।
=====
वफ़ा के नाम से वो अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशां थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
‘हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे
=====
नादान इश्क पर बहुत गुनाह कर रहे है
कितना प्यारा है फिर भी बदनाम कर रहे है
=====
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम !!!!
लोग करें मीरा को क्यूँ ही बदनाम साँवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम
======
No comments:
Post a Comment