मेराक लामा लोद्रे ग्यत्सो इनके बारेमे ज्यादा तो कोई मालूमात है नहीं पर यह कहानी प्रचलित है| तवांग मोनेस्ट्री के बारेमे मेरे अन्य ब्लॉग को जरुर पढ़े| यह अरुणाचल प्रदेश में आये वह महान इंसान है जिन्होंने पाचवे दलाई लामा के आदेश पर तवांग विहार की स्थापना की है|
कहा जाता है की मेराक लामा लोद्रे को पाचवे दलाई लामा ने एक और मोनेस्ट्री बनाने के आदेश दिए थे| वह निर्देशित दिशा में एक घोड़े को लेकर चलते रहे पर उन्हें मन लायक जगह न मिली| फिर एक जगह रुक कर उन्होंने प्रार्थना की| जब उनकी प्रार्थना ख़त्म हुई तब उन्होंने पाया की उनका घोडा कही नहीं है| वे उसे ढूंढने निकले तो मंदेखंग नामक पहाड़ी की चोटी पर घोडा शांति से रुका हुआ मिला| इश्वर का संकेत समझकर उन्होंने उस जगह पर मोनेस्ट्री बनायीं| इस काम में स्थानीय मोनपा जाती के लोगो ने उनकी मदत की| ता का मतलब घोडा और वांग का मतलब चुना हुआ - मतलब एक चुने हुए घोड़े की वजह से यह जगह एक धार्मिक स्थल बन गयी इसीलिए इस जगह का नाम तवांग पड़ा है|
इमेज क्रेडिट: द हॉलिडे इंडिया
कहा जाता है की मेराक लामा लोद्रे को पाचवे दलाई लामा ने एक और मोनेस्ट्री बनाने के आदेश दिए थे| वह निर्देशित दिशा में एक घोड़े को लेकर चलते रहे पर उन्हें मन लायक जगह न मिली| फिर एक जगह रुक कर उन्होंने प्रार्थना की| जब उनकी प्रार्थना ख़त्म हुई तब उन्होंने पाया की उनका घोडा कही नहीं है| वे उसे ढूंढने निकले तो मंदेखंग नामक पहाड़ी की चोटी पर घोडा शांति से रुका हुआ मिला| इश्वर का संकेत समझकर उन्होंने उस जगह पर मोनेस्ट्री बनायीं| इस काम में स्थानीय मोनपा जाती के लोगो ने उनकी मदत की| ता का मतलब घोडा और वांग का मतलब चुना हुआ - मतलब एक चुने हुए घोड़े की वजह से यह जगह एक धार्मिक स्थल बन गयी इसीलिए इस जगह का नाम तवांग पड़ा है|
गूगल नक्शा
यह थोडीसी मालूमात मेराक लामा लोद्रे ग्यत्सो नामक महान व्यक्ती की| अगर इसमें कोई गलती हो या कुछ और भी लिखने लायक बात हो तो कृपया निचे कमेंट में शेयर करे ताकि अन्य वाचको के लिए सुधार किया जा सकता है| अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद|
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